Politalks.News/Rajasthan. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की अध्यक्षता में बुधवार को वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से करीब साढ़े 3 घंटे तक चली राज्य मंत्रिपरिषद की बैठक के दौरान प्रदेश में राजस्थान बोर्ड की 10वीं और 12वीं की परीक्षाओं, कोविड प्रबंधन, वैक्सीनेशन, कोरोना महामारी के कारण अनाथ हुए बच्चों को संबल देने के लिए पैकेज जल्द तैयार करने तथा तीसरी लहर में संक्रमण के फैलाव को रोकने की तैयारियों आदि पर विस्तृत चर्चा कर महत्पूर्ण फैसले लिए गए. बैठक में सर्वसम्मति से राजस्थान बोर्ड की 10वीं और 12वीं की परीक्षाओं को निरस्त करने का निर्णय लिया गया. आपके पसंदीदा वेबपोर्टल पॉलिटॉक्स न्यूज़ ने कल सुबह ही सबसे पहले यह कन्फर्म कहा था कि ये परीक्षाएं रद्द ही होंगी.
बैठक में इस बात पर विचार किया गया कि महामारी से समाज के अन्य वर्गों के साथ-साथ विद्यार्थी वर्ग भी अत्यधिक प्रभावित हुआ है. चिकित्सा विशेषज्ञ संक्रमण की तीसरी लहर से बच्चों के अधिक प्रभावित होने की आशंका व्यक्त कर रहे हैं. ऐसे में राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, अजमेर की दसवीं एवं बारहवीं की बोर्ड परीक्षाओं को निरस्त करने का निर्णय लिया जाना चाहिए. इस पर सभी मंत्रियों ने एकराय से परीक्षा को रद्द करते हुए विद्यार्थियों को प्रमोट करने के निर्णय पर अपनी सहमति दी, जिसके बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी इस फैसले पर अपनी मुहर लगा दी.
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आपको बता दें, विद्यार्थियों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए सीबीएसई 1 दिन पहले ही 12वीं बोर्ड की परीक्षाओं को रद्द करते हुए विद्यार्थियों को प्रमोट करने का फैसला लिया था तो वहीं सीबीएसई की दसवीं बोर्ड की परीक्षाओं को पहले ही रद्द करने का फैसला लिया जा चुका है. वहीं अब राजस्थान बोर्ड की परीक्षाओं को निरस्त करने के बाद विद्यार्थियों को किस मार्किंग के आधार पर प्रमोट किया जाए, इसको लेकर शिक्षा विभाग की ओर से बीकानेर निदेशालय को निर्देश भी दे दिए हैं. साथ ही आने वाले दिनों में शिक्षा विभाग के अधिकारियों के साथ मीटिंग करने के बाद मार्किंग का आधार तय किया जाएगा.
गहलोत मंत्रिपरिषद की इस बैठक में दूसरा महत्वपूर्ण फैसला लिया गया कि कोरोना वायरस के चलते अपने माता, पिता या दोनों को खो देने वाले बच्चों की राजस्थान सरकार मदद करेगी. बैठक के बाद कैबिनेट मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा ने जानकारी देते हुए कहा कि सरकार अनाथ हुए ऐसे बच्चों के लिए सामाजिक सुरक्षा पैकेज की घोषणा करेगी. बैठक में यह भी बताया गया कि पहली लहर के समय जिन 33 लाख असहाय, निराश्रित एवं श्रमिक परिवारों को 3 हजार 500 रुपए प्रति परिवार की सहायता प्रदान की गई थी, उन्हें संबल देने के लिए इस वर्ष की एक हजार रुपए की दूसरी किश्त इसी जून माह में जारी कर दी जाएगी. इन परिवारों को एक हजार रुपए इस वर्ष की पहली किश्त अप्रैल माह में ही दी जा चुकी है.
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बैठक में राज्य मंत्रिपरिषद ने प्रस्ताव पारित किया कि केंद्र सरकार अन्य आयु वर्गों की भांति ही 18 से 44 आयुवर्ग के युवाओं के लिए निशुल्क वैक्सीन उपलब्ध कराए. ग्लोबल टेंडर करने के बावजूद वैक्सीन निर्माता कंपनियां राज्यों को वैक्सीन उपलब्ध कराने के लिए तैयार नहीं है. ऐसे में केंद्र सरकार का दायित्व है कि जिस तरह 45 वर्ष से ऊपर के लोगों के लिए निशुल्क वैक्सीन उपलब्ध कराई गई हैं, उसी प्रकार राजस्थान सहित देश के सभी राज्यों को युवा वर्ग के लिए भी पर्याप्त मात्रा में और निशुल्क वैक्सीन उपलब्ध कराए. इसी अनुरूप भविष्य में आने वाली बच्चों की वैक्सीन भी राज्यों को निशुल्क उपलब्ध कराई जानी चाहिए.
बैठक में मंत्रिपरिषद ने कहा कि प्रदेश में वैक्सीन डोज की वेस्टेज का प्रतिशत 20.8 है. जो कि वैक्सीन वेस्टेज की राष्ट्रीय औसत का 6 प्रतिशत एवं भारत सरकार द्वारा वैक्सीन खराबी की अनुमत सीमा 10 प्रतिशत से काफी कम है. वैक्सीनेशन के साथ-साथ कोरोना के खिलाफ जंग के सभी मानकों में राजस्थान देश के अग्रणी राज्यों में है.
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गहलोत मंत्रिपरिषद की बैठक में कोरोना संक्रमण की वर्तमान स्थिति वैक्सीनेशन, ब्लैक फंगस रोकने के उपायों एवं तीसरी लहर की रणनीति पर विस्तृत चर्चा की गई. इस दौरान बताया गया कि राज्य सरकार के कुशल प्रबंधन तथा जन अनुशासन लॉकडाउन की प्रभावी पालन के कारण बीते करीब 20 दिनों में एक्टिव रोगियों की संख्या में तेजी से कमी लाने में मदद मिली है. संक्रमण की दूसरी लहर के पीक पर राज्य में एक्टिव रोगियों की संख्या 2 लाख से अधिक हो गई थी, जो अब घटकर 37 हजार के स्तर पर आ गई है. रिकवरी रेट भी 95 प्रतिशत से अधिक हो गई है.
इसके साथ ही, ऑक्सीजन की खपत 400 एमटी प्रतिदिन से घटकर 222 एमटी प्रतिदिन के करीब हो गई है. म्यूकोर माइकोसिस (ब्लैक फंगस) के उपचार के लिए 37 निजी एवं राजकीय अस्पतालों को अधिकृत किया गया है. बैठक में बताया गया कि तीसरी लहर की तैयारियों के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र स्तर तक स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर किया जा रहा है, जिसके तहत पाइपलाइन से ऑक्सीजन की आपूर्ति तथा ऑक्सीजन जनरेशन प्लांट स्थापित किए जा रहे हैं. चिकित्सा कर्मियों को प्रशिक्षित किया जा रहा है. साथ ही बच्चों के लिए आवश्यक दवाओं का प्रबंधन किया जा रहा है.