Politalks.News/Rajasthan. पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट को अपना आदर्श बताने वाले पूर्व मंत्री और कांग्रेस विधायक विश्वेन्द्र सिंह के बेटे अनिरुद्ध सिंह ने केंद्र के कृषि कानूनों का विरोध करने वालों पर निशाना साधते हुए कृषि कानूनों का खुलकर समर्थन किया है. ऐसे में किसान बिलों के विरोध को ‘नौटंकी‘ बताने वाले अनिरुद्ध सिंह ने एक तरह से सचिन पायलट को भी ‘नौटंकी‘ कह दिया है. बता दें, पूर्व पीसीसी चीफ सचिन पायलट लगातार यहां तक कि पहले दिन जब तीनों कृषि बिल लोकसभा में पारित हुए थे तब से इन कानूनों का विरोध कर रहे हैं, तो क्या अनिरुद्ध की नजर में पायलट भी नौटंकी कर रहे हैं? अब देखने समझने वाली बात यह है कि आखिर असल नौटंकी कर कौन रहा है?
जब मोदी सरकार किसान बिल में संशोधन का कह चुकी तो यह नौटंकी क्यों?
अनिरुद्ध सिंह ने सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए कृषि कानूनों का विरोध करने वालों पर निशाना साधा. अनिरुद्ध ने सोशल मीडिया पर लिखा, ‘मेरा परिवार हमेशा किसानों के साथ रहा है, मेरा परिवार तन-मन और धन से किसानों के साथ है, जब मोदी सरकार किसान बिल में संशोधन करने के लिए कह चुकी तो फिर यह अल्का लांबा नौटंकी क्यों?‘ दरअसल, कांग्रेस नेता अलका लांबा कृषि क़ानूनों के खिलाफ दिल्ली राजनिवास के घेराव के दौरान घायल हो गई थीं. लाम्बा के हाथ पर चोट लगने से खून बहने लगा था. इसको लेकर दिल्ली पुलिस पर जानबूझकर हमला करने का आरोप भी लगा था. इस मुद्दे पर अनिरुद्ध ने अलका लांबा पर नौटंकी करने का आरोप लगाया.
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अनिरुद्ध द्वारा किसान विरोधी बिलों का विरोध करने वालों को नौटंकी करार देने के बाद यूजर्स ने जब अनिरुद्ध सिंह की पोस्ट पर कड़ी प्रतिक्रिया जताई तो अनिरुद्ध सिंह ने फिर एक ओर पोस्ट करके सफाई दी. लेकिन इसमें कांग्रेस का नाम लिए बिना निशाना साधा, अनिरुद्ध ने लिखा, ‘मैं साफ कर दूं कि मैं किसानों के साथ हूं, भारत किसानों के बगैर कुछ भी नहीं और हम भी किसानों के बगैर कुछ भी नहीं हैं, लेकिन कुछ राजनीतिक दल जो इसका फायदा उठा रहे हैं उसके खिलाफ हूं.’
इस मामले में अनिरुद्ध सिंह ने आगे मीडिया (दैनिक भास्कर) से कहा कि केंद्रीय कृषि कानूनों पर किसान जिन बिंदुओं को लेकर विरोध कर रहे हैं, उन पर केंद्र सरकार ने संशोधन का आश्वासन दिया है. कुछ समय तो केंद्र को देना ही पड़ेगा, लेकिन किसानों के मुद्दे पर कुछ लोग राजनीतिक फायदा उठाना चाहते हैं जो पूरी तरह गलत है. सबसे बड़ा मुद्दा यह है कि हम सुधारों को कब तक टालेंगे, अगर हम कृषि क्षेत्र में सुधार नहीं करेंगे, नए कानून बनाकर अड़चनें दूर नहीं करेंगे तो हम प्रतिस्पर्धा के इस दौर में अर्थव्यवस्था को आगे नहीं बढ़ा पाएंगे. सबसे बड़ा नुकसान तो आखिर किसान को ही होना है, इस मुद्दे पर राजनीतिक रोटियां सेंकना गलत है.
जब अनिरुद्ध से कांग्रेस के विरोध और पार्टी लाइन से अलग जाकर बयान देने पर पूछा तो अनिरुद्ध ने कहा कि यह अलग बात है कि कांग्रेस के कृषि कानूनों के खिलाफ धरने में मेरे पिताजी भी शामिल हुए हैं, लेकिन सच्चाई से हम आंखें नहीं मोड़ सकते. सच्चाई यह है कि कृषि कानूनों के अंधविरोध का नुकसान किसानों को ही होना है. मान लीजिए केंद्र ने कानून वापस ले भी लिए और कुछ समय बाद नए कानून बना दिए तो क्या फिर वापस आंदोलन पर बैठेंगे?
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बता दें, अनिरुद्ध सिंह अपने पिताजी विश्वेन्द्र सिंह की पार्टी की कांग्रेस सरकार का आए दिन किसी न किसी बहाने विरोध करते ही रहते हैं. वहीं दूसरी ओर अनिरुद्ध सिंह अपने आदर्श सचिन पायलट के हर कदम की भरपूर तारीफ भी करते हैं. ऐसे में क्या मोदी सरकार के कामों की तारीफ और कृषि बिलों का खुलकर समर्थन करने वाले अनिरुद्ध सिंह को विश्वेन्द्र सिंह और सचिन पायलट द्वारा कृषि बिलों का पहले दिन से विरोध करना भी ‘नौटंकी‘ नजर आता है? इसका जवाब तो अनिरुद्ध दे नहीं पाएंगे यह सबको पता है, लेकिन एक ही परिवार से दोनों पार्टियों को साधने की अद्भुत कला को जनता क्या नाम देगी ‘नौटंकी’?