दक्षिण की सियासी जमीन पर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और एमके स्टालिन के बीच आपस में तन गई है. दोनों एक दूसरे के सामने आ गए हैं. तमिलनाडू के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने केंद्रीय मंत्री के फैसले पर आपत्ति जताते हुए उसे मानने से इनकार कर दिया है. शाह को आंख दिखाते हुए स्टालिन ने कहा कि हम किसी के गुलाम नहीं हैं और किसी के गुलाम बनेंगे भी नहीं. इसके बाद तमिलनाडु बीजेपी प्रमुख के.अन्नामलाई ने स्टालिन पर पलटवार करते हुए कहा कि स्टालिन ठीक से समझ नहीं पाए कि अमित शाह क्या कहना चाहते हैं? मामला दक्षिण में भाषा से जुड़ा है.
दरअसल, 4 अगस्त को अमित शाह ने संसदीय राजभाषा समिति की 38वीं बैठक की अध्यक्षता करते हुए देशभर में हिन्दी को स्वीकारे जाने की बात पर जोर दिया था. शाह ने कहा कि सभी को बिना किसी विरोध के हिंदी भाषा स्वीकार करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि हिंदी बाकी भाषाओं के कंपटीशन में नहीं है, सभी भारतीय भाषाओं को बढ़ावा देने से ही देश मजबूत होगा. इस बात पर स्टालिन ने आपत्ति जताई है.
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इस पर पलटवार में तमिलनाडू के बीजेपी अध्यक्ष के.अन्नामलाई ने स्टालिन पर निशाना साधते हुए मीडिया के समक्ष कहा कि मीडिया से कहा कि एमके स्टालिन को न तो हिंदी ठीक से आती है और न ही अंग्रेजी, इसलिए वे ठीक से समझ नहीं पाए कि अमित शाह क्या कहना चाहते हैं? अन्नामलाई बोले कि शाह ने ये साफ कह दिया सभी राज्यों में मातृभाषा में पढ़ाई होनी चाहिए.
इससे पहले हिंदी भाषा को लेकर गृह मंत्री अमित शाह के एक बयान पर तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन ने नाराजगी जताई. स्टालिन ने एक करते हुए लिखा, ‘अमित शाह गैर-हिंदी राज्यों पर जबरदस्ती हिंदी थोप रहे हैं. तमिलनाडु इसे स्वीकार नहीं करेगा, हम हिंदी के गुलाम नहीं बनेंगे. कर्नाटक और पश्चिम बंगाल जैसे और स्टेट भी इसका विरोध कर रहे हैं.’