Rajasthan Politics: विपक्षी राजनीतिक पार्टियों का सियासी गठबंधन इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस (I.N.D.I.A.) शुरू से ही सत्तापक्ष की आंखों में खटक रहा है. वहीं इस गठबंधन में शामिल 26 राष्ट्रीय एवं स्थानीय पार्टियों के बीच भी सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है. ये पार्टियां देश के चुनावी नक्शे पर तो एक हैं लेकिन विभिन्न राज्यों में होने जा रहे विधानसभा चुनावों में एक दूसरे की ही पोल खोलते हुए नजर आएंगी. दरअसल इसकी शुरूआत भी हो चुकी है. चूंकि राजस्थान में इस साल 200 सीटों पर विधानसभा चुनाव होने हैं, ऐसे में गठबंधन में शामिल कांग्रेस और आम आदमी पार्टी एक दूसरे के खिलाफ चुनावी जंग लड़ने जा रही है. विधानसभा चुनावों में गठबंधन की परिस्थितियां मुश्किल दिखाई दे रही है. आम आदमी पार्टी ने 26 विधानसभा सीटों पर उम्मीद तय करते हुए इसके शुरुआत भी कर दी है.
आम आदमी पार्टी ने दिल्ली, पंजाब और गुजरात की सीमा से सटे जिलों को फोकस में रखा है. वजह है कि इन तीनों राज्यों में पार्टी की अच्छी खासी पैठ है. दिल्ली और पंजाब में आप की सरकार है जबकि गुजरात में पार्टी के पास 5 सीटें हैं. इन राज्यों से जुड़े इलाकों में पार्टी की सरकारों के काम और योजनाओं को लेकर पहले से हो रही माउथ पब्लिसिटी काे भुनाने की रणनीति है.
आम आदमी पार्टी के प्रभारी विनय मिश्रा के अनुसार, आप पार्टी ने गंगानगर, हनुमानगढ़, बांसवाड़ा, सीकर, जयपुर, अलवर, कोटा, दौसा, चुरू, अजमेर, टोंक और सवाईमाधोपुर जिले की 26 सीटों पर चुनाव लड़ाए जाने वाले चेहरे तय कर लिए हैं. अगले सप्ताह इन 26 सीटों पर संभावित उम्मीदवारों के नामों की घोषणा कर दी जाएगी. उन्होंने ये भी कहा कि पार्टी राजस्थान में मजबूती से चुनाव लड़ेगी. अलायंस को लेकर कोई संशय नहीं होना चाहिए कि पार्टी राजस्थान विधानसभा चुनाव को लेकर पूरी तरह से गंभीर है.
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वैसे देखा जाए तो आम आदमी पार्टी की अलायंस में एंट्री सबसे बाद में हुई है. बुधवार को ही दिल्ली की सातों लोकसभा सीटों पर अकेले चुनाव लड़ने का बयान कांग्रेस को अब भी खासा महंगा पड़ रहा है. दिल्ली की राष्ट्रीय प्रवक्ता अलका लांबा ने बयान दिया कि कांग्रेस दिल्ली की सभी सातों सीटों पर अकेले चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है. यह बयान आप को नागवार गुजरा और उनके गठबंधन की बैठक में जाने से स्पष्ट इनकार के बाद कांग्रेस को बयान बदलने पर मजबूर होना पड़ा. इसके तुरंत बाद आम आदमी पार्टी की ओर से आ रही अकेले चुनाव लड़ने की जानकारी के बाद कांग्रेस एक प्रकार के सदमे से बाहर भी नहीं निकल पाएगी.
इसकी एक खास वजह भी है. एक मीडिया चैनल द्वारा हाल में कराए एक ओपिनियन पोल में 47 फीसदी लोगों की राय थी कि राजस्थान विधानसभा के चुनाव में आम आदमी पार्टी की एंट्री से कांग्रेस को ज्यादा नुकसान होगा. बीजेपी को नुकसान होने के पक्ष में 27 फीसदी लोगों ने अपनी राय दी. सर्वे में ये भी सामने आया कि राजस्थान में मुख्य चुनावी मुकाबले कांग्रेस और बीजेपी के बीच ही होगा. सर्वे के ये आंकड़े कांग्रेस के लिहाज से बिलकुल भी ठीक नहीं है क्योंकि प्रदेश में अब कोई कांग्रेस और बीजेपी के मजबूत विकल्प की ओर जाएगा तो निश्चित तौर पर वह आम आदमी पार्टी होगी.
आम आदमी पार्टी इस समय पर राष्ट्रीय दर्जा प्राप्त राजनीतिक दल है. गुजरात में बीजेपी और कांग्रेस के वोटर्स के बीच सेंध लगाने का काम भी आप पार्टी ने बखूबी किया है. हालांकि पार्टी को उम्मीद के मुताबिक सफलता नहीं मिली लेकिन गुजरात में 5 सीटों के साथ खाता खुलने से उन्हें राष्ट्रीय पार्टी होने का तमगा तो मिल ही गया. कांग्रेस के लिए परेशान करने वाली बात ये रही कि इन पांच के अलावा 37 सीटों पर पार्टी के उम्मीदवार नंबर दो पर रहे. इनमें से अधिकांश सीटों पर बीजेपी प्रत्याशी जीत कर विधानसभा पहुंचे हैं. हालांकि गुजरात चुनाव बीजेपी के लिए एकतरफा रहा लेकिन अगर आप पार्टी मैदान में न होती तो जीत हार का अंतर 20 से 30 सीटों का ही रहता. अब अगर ऐसा ही कुछ राजस्थान में भी घटने जा रहा है.
इसमें कोई दोराय नहीं कि इस बार राजस्थान विधानसभा में कांग्रेस और बीजेपी के साथ साथ दर्जनभर पार्टियां अपना भाग्य आजमा रही हैं. इनमें अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी (AAP), बंगाल सीएम ममता बनर्ती की तृणमूल कांग्रेस (TMC), असुद्दीन ओवैसी की AIMIM, हनुमान बेनीवाल की राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (RLP), मायावती की बसपा, अखिलेश यादव की सपा, भारतीय ट्राईबल पार्टी (BTP), कांग्रेस समर्थित राष्ट्रीय लोक दल (RLD) और दीनदयाल जाखड़ की भारत नव निर्माण पार्टी (BNNP) शामिल है. इनमें मुख्य टक्कर तो कांग्रेस और बीजेपी में है लेकिन आम आदमी पार्टी तीसरा मोर्चा बनने की सोच के साथ मैदान में उतर रही है. केजरीवाल एंड टीम के दोनों राज्यों में सत्ता की स्थिति बेहतर और योजनाएं जनहित वाली हैं. कांग्रेस सरकार भी काफी हद तक दिल्ली सरकार में लाए गए मुफ्त बिजली, मोहल्ला क्लिनिक आदि योजनाओं पर ही काम कर रही है. ऐसे में आम आदमी पार्टी यहां ज्यादा कुछ नहीं तो कम से कम कांग्रेस का खेल बिगाड़ कर जाएगी, इसकी संभावना तीव्र है.
चूंकि लोकसभा चुनाव 2024 में मोदी को सत्ता से बेदखल करने के लिए इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस (I.N.D.I.A.) में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी भी शामिल हैं. ऐसे में राष्ट्रीय मंच पर तो दोनों दल के नेता एक दूसरे को मोहब्बत की दुकान की प्यार भरी चाशनी में डूबी हुई मिठाई खिलाएंगी लेकिन उससे पहले विधानसभा चुनावों में आरोप-प्रत्यारोप की कड़वाहट भी मन में रखेंगे. चुनावी रैलियों में जमकर एक दूसरे को नीचा दिखाया जाएगा, कीचढ़ उछाला जाएगा, आरोप लगेंगे, एक दूसरे की अधूरी योजनाओं पर बवाल मचाया जाएगा. जब ये सब हो जाएगा तो चार राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों के ठीक 5 महीनों बाद कैसे एक ही मंच पर ये दल एक दूसरे के गले गलते हुए दिखाई देंगे. यह एक बड़ा सवाल देश के सियासी नक्शे पर सवालिया निशान लगाए खड़ा है.