पॉलिटॉक्स न्यूज/महाराष्ट्र. देश में कोरोना का जानलेवा वायरस और मरीजों की संख्या बदस्तूर बढ़ती जा रही है. ये महामारी देश में 1700 जाने अब तक लील चुकी है जबकि 50 हजार के करीब संक्रमित मरीज हैं. महाराष्ट्र में कोरोना ने सबसे अधिक कहर बरपाया है. अकेले महाराष्ट्र में इस वायरस से अब तक 625 लोगों की मौत हो चुकी है और साढ़े 15 हजार से अधिक संक्रमित मरीज हैं. यहां के 13 जिले रेड जोन में शामिल हैं. राज्य में सबसे ज्यादा केस राजधानी मुंबई से सामने आ रहे हैं. इस विकट और सोचनीय स्थिति से निपटने के लिए राज्य सरकार ने एक आदेश जारी करते हुए प्रदेश के सभी प्राइवेट डॉक्टर्स और चिकित्सा अधिकारियों को सरकारी अस्पताल में भी काम करने के आदेश दिए हैं. जारी निर्देशों में साफ आदेश हैं कि अगर इन आदेशों की पालना नहीं होगी तो उनका लाइसेंस रद्द कर दिया जाएगा.
महाराष्ट्र के चिकित्सा शिक्षा और अनुसंधान निदेशालय ने ये आदेश जारी किए हैं जिनके अनुसार, प्राइवेट डॉक्टर्स के लिए अब सरकारी अस्पताल में भी काम करना अनिवार्य होगा. अगर किसी भी प्राइवेट डॉक्टर ने इस आदेश की अनदेखी की तो उनकी डॉक्टरी का लाइसेंस रद्द कर दिया जाएगा. फिल्हाल ये आदेश केवल मुंबई शहर के लिए जारी किया गया है. संभावना जताई जा रही है कि अगर स्थिति बिगड़ी तो पूरे प्रदेशभर में ये आदेश जारी किए जाएंगे. बता दें, मुंबई में करीब 25 हजार प्राइवेट डॉक्टर्स और स्वास्थ्यकर्मी हैं.
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आदेश में निजी डॉक्टर्स और चिकित्सा अधिकारियों को कोरोना वायरस अस्पतालों में कम से कम 15 दिनों के लिए काम करने के लिए कहा गया है. चूंकि प्रदेश में संक्रमितों की संख्या साढ़े 15 हजार के पार जा चुकी है, ऐसी स्थिति में सरकार का ये निर्णय मौजूदा हालातों से निपटने में निश्चित तौर पर मददगार साबित होगा.
स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, महाराष्ट्र में अब तक 15525 कोरोना के संक्रमित मरीज हैं. एक्टिव मरीजों की संख्या 12 हजार से अधिक है. प्रदेश में कोरोना अब तक 617 लोगों की जान ले चुका है. अच्छी खबर केवल ये है कि अब तक 2819 मरीज रिकवर हो चुके हैं और अस्पताल से डिस्चार्ज होकर घर चले गए हैं. देश में सबसे ज्यादा कोरोना मरीजों वालों राज्यों में महाराष्ट्र पहले नंबर पर है. नंबर पर गुजरात है जहां 6 हजार के करीब मरीज हैं लेकिन दोनों राज्यों में ढाई गुना मरीजों का फर्क है जबकि मरने वालों की संख्या दोगुनी है.