पॉलिटॉक्स न्यूज/लद्दाख. 15 जून की वो खूनी रात (LAC) जहां चीनी और भारतीय सेना आपस में उलझ गए और फिर शुरु हुई खूनी झड़प. दोनों ओर से 63 जवानों के मारे जाने और हताहत होने की खबर है. दोनों ओर से सीमा उल्लंघन के आरोप लगाए जा रहे हैं. इसके अगले ही दिन एक तरफ चीन वार्ता के जरिए सीमा विवाद और ताजा मसले को सुलझाने की कोशिश की बात कह रह है, वहीं दूसरी तरफ ड्रैगन ने गलवान से भी ऊंचे पहाड़ी क्षेत्र में एडवांस हथियारों के साथ युद्धाभ्यास किया. चीन के अखबार ग्लोबल टाइम्स ने इसका खुलासा किया है. चीन की आर्मी यानी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) तिब्बत मिलिट्री कमांड ने भी इस युद्धाभ्यास की पुष्टि की है. एक तरफ सुलह वार्ता और दूसरी तरफ युद्धाभ्यास… आखिर चीन का अगला कदम क्या होगा?
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ये दोनों काम एक साथ करके और डायलॉगबाजी के जरिए मसले का हल निकालने की चीन की कथनी और करनी में फर्क साफ तौर पर समझा एवं देखा जा सकता है. चीन के अखबार ग्लोबल टाइम्स में बताया गया है कि चीन ने हाल ही में एक बहुत ही ऊंचाई वाले पहाड़ी क्षेत्र में सैन्य अभ्यास किया. इस अभ्यास में स्पेशल फोर्स ने एडवांस टैंक, लंबी दूरी की तोप, जमीन से हवा में मार करने वाली मिसाइलों का इस्तेमाल किया जो चीन के डबल साइड फेस को दिखाने के लिए काफी है. सोमवार रात हुई खूनी झड़प से पहले भी चीन लगातार वार्ता के जरिए सीमा विवाद को सुलझाने और वार्ता से पहले पीछे हटने की बात कह रहा था लेकिन अंत में जो हुआ, वो दोनों देशों के साथ पूरी दुनिया ने देखा. बिना हथियारों के केवल हाथापाई में इतनी जाने जाना अपने आप में एक उलझाने वाला मसला जान पड़ता है.
चीन के अखबार ग्लोबल टाइम्स में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार, 15 जून की रात गलवान घाटी में भारत के साथ बॉर्डर पर हिंसक झड़प होने के बाद अगले दिन 16 जून को चीन की आर्मी यानी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) तिब्बत मिलिट्री कमांड ने ये जानकारी दी. रिपोर्ट में बताया गया है कि चीन ने हाल ही में एक बहुत ही ऊंचाई वाले पहाड़ी क्षेत्र में सैन्य अभ्यास किया. चीन की स्पेशल फोर्स ने एडवांस टैंक, लंबी दूरी की तोप, जमीन से हवा में मार करने वाली मिसाइलों का अभ्यास किया.चीन की सेना ने ये अभ्यास 4700 मीटर की ऊंचाई वाले नियांकिंग तेंगुला क्षेत्र में किया है.
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वैसे तो सेनाओं के लिए युद्धाभ्यास कोई नया नहीं है लेकिन तनाव के इस वक्त चीनी सेना की यह तैयारी कोई आम तैयारी नहीं है. चीनी सैनिकों को ड्रिल के नाम पर सूचनाएं जमा करने से लेकर टारगेट सेट करने तक की तमाम वो बारीकियां सिखाई गई हैं, जैसे युद्ध के दौरान ट्रेनिंग दी जा रही हो. इतना ही नहीं, चीन ने इस ट्रेनिंग के दौरान अपने एडवांस हथियारों का इस्तेमाल किया है जिसमें टाइप 15 वाले हल्के वजन वाले टैंक भी शामिल थे. चीन की स्पेशल फोर्स ने एडवांस टैंक, लंबी दूरी की तोप, जमीन से हवा में मार करने वाली मिसाइलों का भी अभ्यास किया.
ग्लोबल टाइम्स ने इस अभ्यास में शामिल बिग्रेड कमांडर जांग जियालिन के हवाले से लिखा है कि सैनिकों ने एक चुनौतीपूर्ण वातावरण में ये प्रैक्टिस की है, जो उन्हें किसी भी तरह के मिशन को अंजाम देने में काम आएगी.
गलवान घाटी में हुए घटना कांड और उसके एक दिन बाद ही बेहद कठिन परिस्थितियों में युद्धाभ्यास चीन की कोई सोची समझी चाल नजर आ रही है. क्या यह कहा जाए कि चीन का अगला कदम अटैक होगा? भारतीय सैनिकों की शहादत के बाद भी चीनी बेहद आत्मविश्वास के साथ विदेश मंत्रालय के जरिए ये भी कहने से नहीं चूक रहा कि गलवान घाटी का इलाका चीनी इलाका है और भारतीय सेना अंदर घुसने की कोशिश कर रही है. चीन आंखे दिखाते हुए ये भी कह रहा है कि मोदी सरकार भारतीय सेना को नियंत्रण में रखें, वरना… हालांकि इस ‘वरना’ का जवाब भारतीय सेना दे सकती है लेकिन इशारे भर की देरी है.
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इधर चीन ने अभी भी वार्ता के जरिए ही मसले को सुलझाने की इच्छा व्यक्त की है. साथ ही भारतीय सेना को एक तरफा कार्रवाई न करने की नसीयत भी. वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मसले पर विपक्ष के शब्दी प्रहारों से घायल होकर 19 जून को शाम 5 बजे एक सर्वदलीय बैठक बुलाई है जिसमें पीएम मोदी सभी दलों के अध्यक्षों से इस बारे में वार्ता करेंगे. वहीं केंद्रीय रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने तीनों सेनाओं के सेनाध्यक्ष से बैठक की है और रणनीति पर सभी के सुझाव मांगे हैं. एक ओर विपक्ष एवं जनता की मांग यही है कि जवानों की शहादत का पूरजोर बदला लिया जाए, वहीं ब्रिटेन सहित अन्य देशों ने दोनों देशों को सलाह देते हुए मसले को हिंसा के बजाए वार्ता से सुलझाने को कहा है.