पॉलिटॉक्स ब्यूरो. महाराष्ट्र की राजनीति (Politics of Maharashtra) दिल्ली शिफ्ट होने के बाद ओर भी दिलचस्प होती जा रही है. सोमवार को राज्यसभा के 250वें सत्र के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण में एनसीपी नेताओं की तारीफ करके इस राजनीति को ओर गरमा दिया. उधर महाराष्ट्र में सरकार बनाने का सपना देख रही शिवसेना को शरद पवार के सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद आए बयान से बड़ा झटका लगा है. शरद पवार ने कहा कि हमारे बीच सरकार बनाने को लेकर कोई चर्चा ही नहीं हुई. वहीं शरद पवार और सोनिया गांधी की मुलाकात के बाद पवार से मिलने पहुंचे शिवसेना नेता संजय राउत ने मुलाकात के बाद कहा कि, शरद पवार को समझने में कई जन्म लग जाएंगे. राउत ने कहा कि पवार साहेब का कद बड़ा है, प्रधानमंत्री भी उनकी तारीफ करते हैं.
दूसरी तरफ सोमवार को केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने समाचार एजेंसी एएनआई से बातचीत में कहा कि मैंने बीजेपी और शिवसेना में समझौते एक नया फार्मूला सुझाया है, जिसके तहत 3 साल तक मुख्यमंत्री पद बीजेपी के लिए और बाकी के 2 साल शिवसेना के लिए हो सकता है. अठावले के मुताबिक इस बारे में उनकी संजय राउत से बात भी हो चुकी है और इसके जवाब में संजय राउत ने कहा कि अगर बीजेपी सहमत हो तो इस पर विचार किया जा सकता है. लेकिन जिस तरह की आग उगलने वाली राजनीति इन दिनों देखी जा रही है उससे अब बीजेपी-शिवसेना गठबंधन (Politics of Maharashtra) की संभावना तो दूर-दूर तक नजर नहीं आती है.
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हमारी यह बात इससे भी साबित होती है कि महाराष्ट्र में पिछले कुछ दिनों से बनी दैनिक दिनचर्या के तहत आज फिर शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में बीजेपी नेताओं पर अपना हमला जारी रखा. शिवसेना ने बीजेपी नेता प्रहलाद जोशी को टेढ़े मुंहवाला बताते हुए कहा कि कश्मीर में मुफ़्ती की पार्टी से निकाह करने से पहले बीजेपी ने एनडीए से पूछा था क्या? फिर हमें एनडीए से निकालने वाले तुम कौन हो? शिवसेना ने कहा कि बीजेपी नेताओं (Politics of Maharashtra) की बयानबाजी से साफ हो गया है कि इनके विचारों की खुजली बाहर आ गई है.
शिवसेना ने एनडीए गठबंधन से खुद को अलग किए जाने का जबरदस्त विरोध करते हुए अपने मुखपत्र ‘सामना’ में कहा कि, “राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) में से शिवसेना के नहीं होने की घोषणा दिल्ली के बीजेपी नेताओं ने किस आधार पर और किसकी अनुमति से की? दिल्ली के मोदी मंत्रिमंडल में से किसी एक प्रह्लाद जोशी ने यह घोषणा की है कि कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस से शिवसेना के संबंध जुड़ने के कारण उन्हें ‘एनडीए’ से बाहर निकाल दिया गया है और उनके सांसदों को संसद में विरोधी पक्ष में बैठाया गया है.” शिवसेना ने कहा, “जिस टेढ़े मुंहवाले ने ये घोषणा की है उसे शिवसेना का मर्म और ‘एनडीए’ का कर्म-धर्म का नहीं पता.”
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‘सामना’ में आगे लिखा कि, “कश्मीर में राष्ट्रद्रोही और पाकिस्तानियों के गीत गानेवाली महबूबा मुफ्ती के साथ सत्ता के लिए निकाह करने वाली बीजेपी ने ‘एनडीए’ की अनुमति ली थी क्या? सारे लोगों के विरोध में जाने के दौरान ‘मोदी’ का बचाव करने वाले शिवसेना प्रमुख के संगठन को ‘एनडीए’ से बाहर निकालने का मुहूर्त मिला वो भी शिवसेना प्रमुख बाला साहेब की पुण्यतिथि का? खुद को हरिश्चंद्र का अवतार मानने वालों ने हरिश्चंद्र जैसा बर्ताव नहीं किया. अब इनकी (Politics of Maharashtra) राजनीति की उल्टी गिनती शुरू हो गई है. महाराष्ट्र के कोने-कोने में अब सिर्फ एक ही गर्जना होगी, ‘शिवसेना जिंदाबाद!’ हिम्मत है तो आओ, आओ सामने। हम तैयार हैं.”
शिवसेना ने आगे लिखा, “एनडीए से शिवसेना को बाहर निकालने की बात करनेवालों को एक बार इतिहास देख लेना चाहिए. बालासाहेब ठाकरे, अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी, जॉर्ज फर्नांडीज और पंजाब के बादल जैसे दिग्गजों ने जब राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की नींव रखी उस समय आज के ‘दिल्लीश्वर’ गुदड़ी में भी नहीं रहे होंगे. कइयों का तो जन्म भी नहीं हुआ होगा. आज ‘एनडीए’ का प्रमुख या निमंत्रक कौन है इसका उत्तर मिलेगा क्या? शिवसेना को बाहर निकालने का निर्णय किस बैठक में और किस आधार पर लिया गया? कोई बताएगा.”
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शिवसेना ने आगे कहा, “कोई एक टेढ़े मुंहवाला (प्रह्लाद जोशी) उठता है और शिवसेना को ‘एनडीए’ से बाहर निकालने की घोषणा करता है. ठीक ही हुआ, इस कृत्य से तुम्हारे विचारों की खुजली आज बाहर आ गई. पिछले कुछ दिनों से झूठ-मूठ की खुजली शुरू थी. उसके पीछे की असली बीमारी अब बाहर आई. (Politics of Maharashtra) इन खुजलीबाजों को इस कृत्य के लिए दिन भी मिला तो कौनसा शिवसेना प्रमुख बालासाहेब ठाकरे के सातवें स्मृतिदिन का मुहूर्त मिला.”