Politalks.News/NewDelhi. देश की राजधानी दिल्ली में हर दिन हो रहे कोरोना के महाविस्फोट के चलते सोमवार को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने एक बार फिर दिल्ली में अगले सात दिन के सख्त लॉकडाउन की घोषणा की है. ऐसे में सीएम केजरीवाल जब दिल्ली में लॉकडाउन की घोषणा कर रहे थे तब वह मोदी सरकार के उस ‘कानून‘ जो पिछले महीने मार्च में ही लागू किया गया है, उसके प्रति पूरी तरह समर्पित दिखाई दिए. केंद्र का वह कौन सा कानून है जिस पर दिल्ली सरकार ‘नतमस्तक‘ होते हुए दिखाई दी, इसकी चर्चा हम आगे करेंगे. पहले आपको बता दें, देश के अन्य राज्यों की तरह ही राजधानी दिल्ली भी कोरोना वायरल के विकराल रूप से पूरी तरह दहशत में है. मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने 3 दिनों के लिए पिछले शुक्रवार से रविवार तक दिल्ली में लॉकडाउन लगाया हुआ था. लेकिन बेकाबू कोरोना के चलते सोमवार को सीएम केजरीवाल ने एक बार फिर 19 अप्रैल रात 10 से 26 अप्रैल तक राजधानी में 7 दिनों का लॉकडाउन लगाने का एलान किया है. बता दें कि राजधानी दिल्ली में हर दिन औसत 25 हजार केस आ रहे हैं. यानी स्थित बेकाबू है.
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सोमवार को दिल्ली में लॉकडाउन लगाने के एलान में केजरीवाल केंद्र सरकार के बनाए नए नियम और कानून का पालन करते हुए भी दिखाई दिए. ऐसे में अब भाजपा सरकार दिल्ली में अपनी हिस्सेदारी पुख्ता होने पर जरूर उत्साहित हुई होगी. पहले आपको बताते हैं आज का घटनाक्रम क्या रहा. दिल्ली में शुक्रवार से लॉकडाउन लगा हुआ था. सोमवार की सुबह जब इसे खोला गया तो सीएम अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली के उपराज्यपाल (एलजी) अनिल बैजल के साथ पहले मीटिंग की, एलजी बैजल की सहमति के बाद केजरीवाल ने बाकायदा एक प्रेस कॉन्फ्रेंस भी की. मुख्यमंत्री केजरीवाल जब प्रेस को संबोधित कर रहे थे तब उन्होंने दिल्ली में 7 दिनों का लॉकडाउन लगाने के लिए बाकायदा उपराज्यपाल अनिल बैजल की अनुमति का उल्लेख करते हुए दोपहर 12 बजे राजधानी में लॉकडाउन लगाने का एलान किया. केंद्र सरकार के पिछले दिनों संसद के शीतकालीन सत्र में पारित किए गए कानून को मानते हुए केजरीवाल को राजधानी में लॉकडाउन लगाने के लिए उपराज्यपाल बैजल के दरबार में पहले जाना पड़ा. उसके बाद यह आदेश जारी किया. सही मायने में आज दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार अपने अधिकारों को लागू करने के लिए उपराज्यपाल की सहमति लेना अनिवार्य हो गया. इससे पहले भी रविवार को मुख्यमंत्री केजरीवाल ने दिल्ली में कोरोना से हालात बिगड़ने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखी थी. इसके साथ केजरीवाल ने गृहमंत्री अमित शाह से फोन पर बात की और उन्हें कोरोना के बढ़ते मामलों को लेकर दिल्ली के हालातों पर जानकारी दी. आइए अब आपको बताते हैं कि केंद्र सरकार का वह कौन सा कानून है, जिसमें दिल्ली के उपराज्यपाल की शक्तियां बढ़ाईं गई थीं.
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बजट सत्र के दूसरे चरण में केंद्र ने सदनों से जीएनसीटी बिल पारित कर बनाया था कानून
आपको बता दें कि बजट सत्र के दूसरे चरण, जो कि 8 मार्च से शुरू हुआ था, इसमें केंद्र सरकार ने दिल्ली के उपराज्यपाल को अधिक शक्तियां देने के लिए एक बिल पारित कराया था. आम आदमी पार्टी समेत विपक्ष के कई सांसदों के भारी विरोध के बावजूद ये विधेयक 24 मार्च को राज्यसभा में, उससे पहले 22 मार्च को लोकसभा में पारित किया गया था. इसके विरोध में केजरीवाल ने कहा था कि लोकसभा में जीएनसीटी संशोधन विधेयक पारित करना दिल्ली के लोगों का अपमान है, विधेयक प्रभावी रूप से उन लोगों से शक्तियां छीन लेता है जिन्हें लोगों ने वोट दिया गया था. केजरीवाल ने आगे कहा कि ये बिल उन्हें दिल्ली चलाने के लिए शक्तियां प्रदान करता है जिनको लोगों ने पराजित किया था. भाजपा ने लोगों को धोखा दिया है. इस दौरान आम आदमी पार्टी के नेताओं के अलावा कांग्रेस के सांसदों ने भी केंद्र सरकार पर आम आदमी पार्टी की जनता के द्वारा चुनी हुई सरकार को दबाने के आरोप लगाए थे. उसके बाद 29 मार्च को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र शासन संशोधन विधेयक 2021 जीएनसीटी बिल) को मंजूरी दे दी थी. राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद ये ‘कानून‘ बन गया है.
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बता दें कि इस कानून के मुताबिक दिल्ली विधानसभा में पारित विधान के परिप्रेक्ष्य में ‘सरकार‘ का आशय राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के ‘उपराज्यपाल‘ से होगा और शहर की सरकार को किसी भी कार्यकारी कदम से पहले उपराज्यपाल की सलाह लेनी होगी. इसमें दिल्ली की स्थिति संघराज्य क्षेत्र की होगी, जिससे विधायी उपबंधों के निर्वाचन में अस्पष्टताओं पर ध्यान दिया जा सके. आज राजधानी में लगाए गए लॉकडाउन में मुख्यमंत्री केजरीवाल उपराज्यपाल अनिल बैजल की सहमति और केंद्र सरकार के बनाए गए कानून का शत-शत पालन करते हुए दिखाई दिए. इसके बाद भाजपा सरकार भी आज बहुत खुश होगी, क्योंकि अब दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार जब-जब आगे और भी कोई नए नियम या कोई आदेश पारित करेगी तब एलजी की सलाह जरूर लेगी.