Politalks.News/Uttarpradesh. कहते हैं इतिहास अपने आप को दोहराता है और जो जैसा करता है वैसा ही पाता है. पिछले 8 से 10 सालों में और खासकर सात सालों में बीजेपी ने देश के कई राज्यों में चुनाव के समय और बिना चुनाव के सत्ताधारी या बहुमत वाली मजबूत पार्टी के विधायकों को तोड़कर अपनी सरकारें बनाई हैं. अब जैसे को तैसा की तर्ज पर उत्तरप्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले कुछ इसी तरह की राजनीति सूबे में देखने को मिल रही है.
चुनावी तारीखों के एलान के बाद तेजी से बदल रहा हवाओं का रुख
पिछले 7 सालों में जहां एक रणनीति के तहत अन्य दलों के नेता अपनी पार्टी का साथ छोड़ बीजेपी में शामिल होते थे. वहीं जबसे उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव की तारीखों का एलान हुआ है हवाओं का रुख तेजी से बदलता दिखाई दे रहा है. पिछले दो दिनों में बीजेपी के कई दिग्गज अन्य पार्टियों में शामिल होते दिखाई दे रहे है. बीजेपी के इन दिग्गजों का ठिकाना मुख्य रूप से समाजवादी पार्टी हैं. बीते दो दिन में योगी सरकार के दो मंत्रियों और चार बीजेपी विधायकों का इस्तीफा देना और उसके तुरंत बाद समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव से उनकी मुलाकात होना इस बार बदलाव के संकेत दे रही है.
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दलितों, पिछड़ों और युवाओं की अनदेखी ने करवाया मौर्या के बाद चौहान का इस्तीफा
मंगलवार को योगी सरकार में श्रम मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्या के इस्तीफे के बाद बुधवार को वनमंत्री दारा सिंह चौहान ने भी इस्तीफा देते हुए राज्यपाल को भेजी चिट्ठी में योगी सरकार पर दलितों, पिछड़ों और युवाओं की अनदेखी का आरोप लगाया है. इससे पहले स्वामी प्रसाद मौर्या भी प्रदेश सरकार पर इसी तरह का आरोप लगा चुके है. दारा सिंह चौहान ने राज्यपाल को लिखे पत्र में लिखा कि, ‘माननीय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी के मंत्रिमंडल में वन पर्यावरण और जन्तु उद्यान मंत्री के रूप में मैंने पूरे मनोयोग से अपने विभाग की बेहतरी के लिए कार्य किया, किन्तु सरकार की पिछड़ों, वंचितों, दलितों, किसानों और बेरोजगार नौजवानों की घोर उपेक्षात्मक रवैये के साथ-साथ पिछड़ों और दलितों के आरक्षण के साथ जो खिलवाड़ हो रहा है, उससे आहत होकर मैं उत्तर प्रदेश मंत्रिमंडल से इस्तीफा देता हूं.’
केशव प्रसाद मौर्या को सताया डर, की अपील
मंगलवार को स्वामी प्रसाद मौर्या सहित 4 विधायकों का इस्तीफा और बुधवार को दारा सिंह चौहान का इस्तीफा बीजेपी की मुश्किलों को न सिर्फ बढ़ा रहा है बल्कि पार्टी को चुनाव से ठीक पहले भाजपा को अपने दलित वोटबैंक को खोने का डर भी सताने लगा है. इसी कारण उत्तरप्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने दोनों ही मंत्रियों के पार्टी से इस्तीफा देने पर उन्हें पुनर्विचार करने की बात कही है. केशव प्रसाद मौर्य का इस तरह चिंतित होना भी वाजिब हैं क्योंकि मौर्य इन्हीं कुछ मंत्रियों के सहारे योगी सरकार में दलितों की आवाज को मजबूत करते रहे है.
उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या ने व्यथित होते हुए कहा कि, ‘परिवार का कोई सदस्य भटक जाये तो दुख होता है जाने वाले आदरणीय महानुभावों को मैं बस यही आग्रह करूँगा कि डूबती हुई नांव पर सवार होनें से नुकसान उनका ही होगा. बड़े भाई दारा सिंह जी आप अपने फैसले पर पुनर्विचार करिये.’ केशव प्रसाद मौर्या जहां अपने नेताओं से अपने फैसलों पर पुनर्विचार करने की बात कह रहे है तो वहीं सियासी पंडितों का दावा हैं कि ‘दारा सिंह चौहान उन नेताओं में गिने जाते हैं जो ज़मीनी हक़ीक़त को पढ़ लेते हैं. पिछले कई बार से वे उत्तर प्रदेश के चुनावी नतीजों की सटीक भविष्यवाणी करते रहे हैं, इस बार उनका बीजेपी छोड़ कर जाना क्या ख़तरे की घंटी है?’
चौहान ने की अखिलेश से मुलाकात, ट्वीट कर किया स्वागत
आपको बता दें, दारा सिंह ने अपना इस्तीफा देने के तुरंत बाद सपा प्रमुख अखिलेश यादव से मुलाकात की. हालांकि दारा सिंह चौहान ने अभी तक समाजवादी पार्टी की सदस्य्ता ग्रहण नहीं की है. हां लेकिन अखिलेश यादव ने ट्वीट कर लिखा कि, ‘सामाजिक न्याय’ के संघर्ष के अनवरत सेनानी दारा सिंह चौहान जी का सपा में ससम्मान हार्दिक स्वागत एवं अभिनंदन. सपा व उसके सहयोगी दल एकजुट होकर समता-समानता के आंदोलन को चरम पर ले जाएँगे… भेदभाव मिटाएँगे. ये हमारा समेकित संकल्प है. सबको सम्मान ~ सबको स्थान.’ दारा सिंह रावत के इस्तीफे के बाद ये खुद केशव प्रसाद मौर्या ने उन्हें अपने फैसले पर पुनर्विचार करने को कहा.
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14 जनवरी होगा सियासी उत्तरायण
आपको बता दें, मकर सक्रांति का दिन उत्तरप्रदेश की सियासत के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होने वाला हैं. माना जा रहा है कि सूर्य के उत्तरायण के दिन सूबे में सियासी उत्तरायण होगा. भाजपा का साथ छोड़ चुके दोनों दिग्गजों मौर्या और चौहान का दावा है कि 14 जनवरी को बड़ा धमाका होने वाला है. अब तक मौर्य और चौहान के समर्थन में 4 विधायक अपना इस्तीफा दे चुके हैं तो वहीं कई अन्य विधायक 14 जनवरी को बीजेपी का साथ छोड़ सकते हैं. वहीं सूत्रों का कहना हैं कि 14 जनवरी को ही कांग्रेस आगामी चुनाव के लिए उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर सकती है. वहीं खबर ये भी सामने आ रही हैं कि भाजपा और सपा के प्रत्याशियों की पहली लिस्ट भी इसी दिन आएगी.
वहीं दूसरी तरफ माना जा रहा है कि दारा सिंह चौहान और स्वामी प्रसाद मौर्या के सपा में शामिल होने की केवल औपचारिकता ही बाकी है. लेकिन अगर ऐसा होता है तो भाजपा को इसका आगामी विधानसभा चुनाव में नुकसान होना तय है. मौर्य गैर यादव पिछड़ा वर्ग से ताल्लुक रखते हैं और प्रदेश की राजनीति में इस जाति का असर करीब 100 विधानसभा सीटों पर माना जाता है. वहीं, ओबीसी का चेहरा माने जाने वाले दारा सिंह चौहान के जाने से उनके समर्थक भी भाजपा का साथ छोड़ सकते हैं. उधर, एनसीपी प्रमुख शरद पवार भी दावा कर चुके हैं कि स्वामी प्रसाद मौर्य के अलावा 13 और विधायक भाजपा से इस्तीफा देंगे, जिसे विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा के लिए संकट के तौर पर देखा जा रहा है.