Politalks.News/Delhi. गांधी परिवार के लिए मुसीबत का सबब बनी वरिष्ठ नेताओं की चिट्ठी पीछा छोड़ने का नाम नहीं ले रही है. इस चिट्ठी को लिखने वाले कांग्रेस के दिग्गज नेता अब एक-एक करके मुखर होकर बयान दे रहे हैं. चिट्ठी को लेकर गांधी परिवार पर सवाल उठने का सिलसिला जारी है. कांग्रेस नेता जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद, पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल के बाद अब आनंद शर्मा और अब पूर्व केंद्रीय मंत्री पृथ्वीराज चह्वाण ने मुखर होकर अपने बयान दिए हैं.
चुनाव के जरिए पूर्णकालिक अध्यक्ष की बात करना गलत तो नहीं है – चह्वाण
पृथ्वीराज चह्वाण ने कहा है कि लोकसभा चुनाव के बाद राहुल गांधी ने एकदम से अध्यक्ष पद छोड़ दिया. सोनिया गांधी स्वास्थ्य कारणों से समय नहीं दे पा रही हैं. ऐसे में चुनाव के जरिए पूर्णकालिक अध्यक्ष की बात करना गलत तो नहीं है. इसे गांधी परिवार के विरोध के रूप में क्यों देखा जा रहा है, या तो राहुल गांधी आगे आएं और अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी लें. लेकिन वो कह चुके हैं अध्यक्ष नहीं बनेंगे तो फिर चुनाव से पूर्णकालिक अध्यक्ष चुन लिया जाना चाहिए.
चह्वाण ने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था बहुत खराब दौर में हैं. चीन से हर दिन झड़प की खबरें आ रही हैं. इसके अलावा भी कई मुददे हैं, उन सबके बावजूद कांग्रेस असरदार तरीके से अपनी भूमिका नहीं निभा पा रही है क्योंकि पार्टी के पास पूर्णकालिक अध्यक्ष नहीं है, इसलिए चुनाव कराकर अध्यक्ष चुना जाना चाहिए.
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पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि हालांकि कुछ राज्यों में कांग्रेस की सरकार बनीं लेकिन कर्नाटक और मध्य प्रदेश में सरकार नहीं बचा सके. कई नेता अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी से मिलना चाहते थे लेकिन उन्हें समय नहीं दिया गया इसलिए चिट्ठी लिखनी पडी. उम्मीद थी कि कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक में इस चिट्ठी पर खुलकर चर्चा होगी लेकिन ऐसा हुआ नहीं. चिट्ठी की बजाए चिट्ठी लिखने वालों पर कई आरोप लगाए गए.
आज से पहले कांग्रेस कभी भी इतनी कमजोर नहीं थी
इससे पहले कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने इस मसले पर खुलकर बोला. उन्होंने कहा कि कांग्रेस आज से पहले कभी भी इतनी कमजोर नहीं थी. आनंद शर्मा ने राहुल गांधी के युवा कांग्रेस में चुनाव शुरू कराने वाले फैसले पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि अब वहां भी परिवारवाद शुरू हो गया है. एक मीडिया को दिए इंटरव्यू में आनंद शर्मा ने कहा कि कांग्रेस में अनिश्चित्ता और बिखराव की स्थिति को लेकर वो चिंतित हैं.
इसका मुख्य कारण है कि वर्तमान में राजनीति और प्रजातंत्र के नैरेटिव पर भाजपा और आरएसएस की सोच हावी है और उनका वर्चस्व है. अगर विपक्ष कमजोर होगा और उसका सीधा नुकसान हमारी संवैधानिक संस्थाओं पर पड़ेगा. आनंद शर्मा ने यह भी कहा कि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस 135 साल पुराना संगठन है. राष्ट्रीय आंदोलन में हर साल कांग्रेस के अध्यक्ष का चुनाव होता था, जिसमें कभी पूरब, पश्चिम, तो कभी दक्षिण से अध्यक्ष चुना जाता था. लेकिन अभी कांग्रेस कमजोर हो गई है क्योंकि संगठन की अनदेखी की गई है.
आनंद शर्मा ने बताया कांग्रेस की हार का कारण
वार्ता में आनंद शर्मा ने कहा कि 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा. 2014 के आम चुनावों में लगभग साढ़े दस करोड़ नए वोटर तो 2019 में आठ करोड़ नए वोटर ने भाग लिया. 2009 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को 11.92 करोड़ वोट मिले और भाजपा को 7.84 करोड़ वोट. जब 2014 में साढ़े दस करोड़ नए वोटर आए तो हमारा वोट घट कर 10.69 करोड़ हो गया. यानि करीब 1.23 करोड़ वोट हमारा कम हुआ जबकि भाजपा 7.84 करोड़ से बढ़कर 17.60 करोड़ वोट पर पहुंच गई.
ऐसे नतीजे आए तो राहुल गांधी ने त्यागपत्र दे दिया और हार की वजहों पर चर्चा नहीं हुई. पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह ने भी हार की पड़ताल के लिए कमेटी बनाने और उस पर कार्य समिति में चर्चा किए जाने की बात कही थी. 2014 के चुनाव के बाद एंटनी समिति बनी थी. 2019 चुनाव के बाद राहुल गांधी के इस्तीफे के 15 महीने हो गए लेकिन अब तक इस पर कोई भी आत्मचिंतन या विश्लेषण नहीं हुआ बल्कि इस शब्द को ऐसा बना दिया गया है जैसे कि यह अप्रजातांत्रिक शब्द है.
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आनंद शर्मा ने कहा कि कांग्रेस कैडर बेस पार्टी नहीं है. उसका आधार युवा और छात्र संगठनों के जरिये बढ़ता था, वहां पर मेरिट और आम सहमति से लोग आते थे. अब वहां चुनाव होने लगे हैं, जिसमें पैसा और वंशवाद चल रहा है. बड़े नेता के पुत्र-पुत्री और पैसे वालों का संगठन पर कब्जा होता जा रहा है.
कांग्रेस नेता शर्मा ने कहा कि कार्य समिति में 23 लोग हैं मगर इस बैठक में 60 लोग थे. पत्र को केवल चार-पांच लोगों ने देखा था, जिससे साफ है कि यह एक तरह का अभियान था, जिसमें पत्र लिखने वालों के खिलाफ मिथ्या प्रचार किया गया. आनंद शर्मा ने कहा कि सबसे बड़ा कष्ट मेरी मां को हुआ जब हमको गद्दार और जयचंद कहा गया. हम तो इंदिरा गांधी, संजय गांधी, राजीव गांधी के काल से लेकर अब तक तीन पीढ़ियों से कांग्रेस के साथ हैं.