Politalks.News/Bharat/CoronaEpic. आज 25 मार्च है और ठीक एक वर्ष पहले जब देश में कोरोना की रफ्तार बढ़ रही थी तब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश में ‘लॉकडाउन’ लागू किया था. उस समय लाखों-करोड़ों देशवासियों ने लॉकडाउन शब्द को पहली बार ही सुना होगा. जब देशवासियों ने सोचा नहीं होगा कि एक साल बीतने के बाद भी लॉकडाउन फिर सामने आ खड़ा होगा. देश के कई राज्यों में एक बार फिर कोरोना के मामले बढ़ने पर कई शहरों में लॉकडाउन और नाइट कर्फ्यू लगा हुआ है. एक बार फिर यह महामारी देश में बेकाबू होती जा रही है. पिछले वर्ष इसी तारीख को हमने 68 दिन का पूर्ण लॉकडाउन देखा लेकिन महामारी के दौरान क्या कुछ खोया-क्या पाया और क्या सबक सीखा आज इसे समझने के लिए अच्छा दिन हैं.
देश में एक बार फिर कोविड-19 के मामले 50 हजार पार कर चुके हैं. वैक्सीन आने के बाद भी आज भी देश वहीं खड़ा हुआ है, जहां पिछले वर्ष था. चीन के वुहान से फैले कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए भारत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 22 मार्च 2020 को 14 घंटे के ‘जनता कर्फ्यू’ की अपील की. दो दिन बाद यानी 24 मार्च की रात अगले दिन से देशभर में 21 दिनों के लॉकडाउन लगाने की घोषणा कर दी गई. देश के इतिहास में पहली बार पब्लिक और प्राइवेट ट्रांसपोर्ट पूरी तरह से बंद कर दिया गया. आसमान में न हवाई जहाज थे, न सड़कों पर गाड़ियां. पटरियों पर धड़धड़ाती ट्रेनें भी थम गईं. कारखाने, दुकानें और हजारों कंपनियां समेत लगभग सभी जरूरी साधनों को बंद करना पड़ा और लोग घरों में कैद हो गए थे. यह कोरोना का खतरनाक वायरस मंत्री, नेता, डॉक्टर, पुलिसकर्मी के साथ आम और खास सभी को लील गया. डरे सहमे लोगों ने अपने घरों को लौटने के लिए पलायन शुरू कर दिया.
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देश के विभिन्न शहरों में निवास कर रहे लाखों मजदूरों ने पैदल ही अपने घरों की राह पकड़ ली. सड़कों पर महिलाओं, पुरुषों और छोटे-छोटे बच्चों की तस्वीरें इतनी दुखद थी कि दुनिया को झकझोर कर गई. कई लोग ऐसे भी थे जो अपने घरों को नहीं पहुंच पाए और उनका रास्ते में ही जिंदगी का सफर खत्म हो गया. इसके साथ लाखों लोगों के रोजगार, नौकरी भी चली गई और धंधे चौपट हो गए. कोरोना काल में तमाम कच्चे माल की कीमतें बढ़ गई, जिससे उद्योग पर असर पड़ा. कई फैक्ट्री और कंपनियां बंद हो गईं. लॉकडाउन के दौरान विषम हालातों में सर्वाधिक प्रवासी श्रमिकों की वापसी उत्तर प्रदेश में हुई थी. ऐसे ही बिहार, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, राजस्थान आदि राज्यों में प्रवासी लोग घरों की ओर लौटे थे. विदेशों से भी भारतीयों को लाया जा रहा था.
दूसरी ओर इस महामारी से लोग तेजी के साथ अपनी जान गंवा रहे थे. इसके बाद एक जून से 30 नवंबर तक 6 चरणों में अनलॉक हुआ, जो आज तक जारी है. लॉकडाउन से अनलॉक के बीच का फासला तय करते हुए इस साल ने 1.17 करोड़ से ज्यादा लोगों को कोरोना संक्रमण की चपेट में आते देखा तो हमने 1.60 लाख से ज्यादा लोगों को खो भी दिया. हजारों परिवार ऐसे भी थे जो अपने लोगों को कंधा भी नहीं दे पाए. यह एक साल हमें बहुत कुछ सिखा भी गया. मास्क, सोशल डिस्टेंसिंग और सैनिटाइजर के साथ लोग बाजारों में जाने लगे. यही नहीं देशभर में कई शादियां भी कैंसिल करनी पड़ी थी. लेकिन धीरे-धीरे मनुष्य एक बार फिर इस महामारी को लेकर ढिलाई बरतने लगा. सरकारों के सभी नियम दरकिनार कर दिए गए. देश में कई लोग तो यह समझ बैठे थे कि यह महामारी अब जा चुकी है. लेकिन अब पिछले एक महीने से जिंदगी फिर डरी हुई नजर आ रही है.
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फिर बढ़ने लगी देशवासियों की धड़कनें
एक महीने से एक बार फिर देशवासियों को पिछले वर्ष जैसी ही डरावनी तस्वीरें दिखाई पड़ने लगी हैं. महाराष्ट्र, केरल, कर्नाटक पंजाब और दिल्ली समेत देश के कई राज्यों में मिले कोरोना वायरस के नए वैरिएंट ने केंद्र सरकार की चिंता को और बढ़ा दिया है. सरकार ने महाराष्ट्र और पंजाब में डबल म्यूटेंट वैरिएंट के बढ़ते मामलों को गंभीर बताया है. महामारी की रफ्तार को रोकने के लिए कई राज्यों ने पिछले साल की तरह इस बार भी लॉकडाउन, नाइट कर्फ्यू का लगा दिया है. इसके अलावा कुछ राज्यों में स्कूल-कॉलेजों को भी बंद कर दिए हैं. स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि महाराष्ट्र, पंजाब, केरल, कर्नाटक, छत्तीसगढ़ और गुजरात में कोरोना वायरस के मामले रोज बढ़ रहे हैं और इन राज्यों से कोविड-19 के 80.63 प्रतिशत नए मामले आ रहे हैं.
देश में इस वैश्विक महामारी से संक्रमित कुल लोगों में से 74.32 प्रतिशत मरीज तीन राज्यों महाराष्ट्र, केरल और पंजाब में हैं. देश में अभी 3.95 लाख मरीज कोविड-19 का इलाज करा रहे हैं. बीते 24 घंटों में 53,476 नए मामले सामने आए है जो इस साल एक दिन में आए सर्वाधिक मामले हैं. केंद्र सरकार से लेकर राज्य सरकारें अब एक्टिव हो गई हैं. इस महामारी से लोगों को बचाने के लिए रोजाना नए नियम और पाबंदियां बढ़ रहीं हैं. होली को लेकर भी सख्त गाइडलाइन जारी की गई है. होली के कार्यक्रमों को भी रद कर दिए हैं. कई राज्यों में त्योहारों पर लोगों को इकट्ठा होने की इजाजत नहीं होगी. सार्वजनिक स्थानों पर होली खेलने के लिए भी प्रतिबंध लगा दिया.
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वहीं एक्सपर्ट बताने लगे हैं यह महामारी एक बार फिर अगले महीने अप्रैल और मई में पीक पर रह सकती है. दूसरी ओर केंद्र सरकार लोगों को वैक्सीन लगाने के लिए अधिक जोर दे रही हैं. सही मायने में देश एक बार फिर इस महामारी से संकटकाल में आता जा रहा है. अब एक बार फिर देश के नागरिकों को सावधान और सचेत रहने की जरूरत है, तभी इस महामारी पर हम काबू पा सकते हैं.