चुनावी साल में लोगों की नाराजगी से डरी गहलोत सरकार ने प्रदेश में नए जिलों की घोषणा पर लगाया ब्रेक!

आगामी 17 मार्च को विधानसभा में नए जिलों की घोषणा का इंतजार कर रहे कई विधायकों और नेताओं को लगा झटका, गहलोत सरकार ने नए जिलों के गठन को लेकर सुझाव देने के लिए रिटायर्ड आईएएस रामलुभाया की अध्यक्षता वाली हाईपावर कमेटी का कार्यकाल 6 महीने के लिए बढ़ाया, एक ​जगह की डिमांड पूरी करते हैं तो तीन क्षेत्रों के लोग नाराज होते, इसलिए पूरे प्रदेश में नए जिलों से नाराजगी का था खतरा

ashok gehlot
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Extended Tenure of the Committee Headed by Rtd IAS Ramlubhaya: राजस्थान में 24 जिलों के उन 60 कांग्रेसी व अन्य नेताओं की उम्मीदों को बड़ा झटका लगा है, जो अपने अपने क्षेत्र को जिला बनाने के लिए लम्बे समय से प्रयासरत थे और आगामी 17 मार्च को विधानसभा में इसकी घोषणा का इंतजार कर रहे थे. चुनावी साल में जनता और अपने नेताओं की नाराजगी से डरी गहलोत सरकार ने नए जिलों के मामले को ठंडे बस्ते में डालना ही उचित समझा, जिसके चलते गहलोत सरकार ने नए जिलों के गठन को लेकर सुझाव देने के लिए रिटायर्ड आईएएस रामलुभाया की अध्यक्षता वाली हाईपावर कमेटी का कार्यकाल 6 महीने के लिए बढ़ा दिया है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शुक्रवार देर रात हाईपावर कमेटी का कार्यकाल बढ़ाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी.

2022 के बजट में की गई घोषणा के तहत 21 मार्च 2022 को सीएम अशोक गहलोत ने रिटायर्ड आईएएस अधिकारी रामलुभाया की अध्यक्षता में हाईपावर कमेटी का गठन किया था. कमेटी को पहले छह माह में रिपोर्ट देनी थी, लेकिन दो बार कार्यकाल बढ़ाया गया. इस बार आगामी 13 मार्च को इस कमेटी का कार्यकाल खत्म हो रहा था, लेकिन दो दिन पहले इसे फिर छह महीने तक के लिए बढ़ा दिया है. सरकार ने रामलुभाया कमेटी का कार्यकाल 13 सितंबर तक के लिए बढ़ाकर यह साफ संकेत दे दिए है कि अभी कमेटी की रिपोर्ट नहीं आई है और जब तक कमेटी की रिपोर्ट नहीं आएगी तब तक सरकार नए जिलों की घोषणा नहीं करेगी.

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आपको बता दें कि अलग-अलग जिलों के नेता पिछले साल भर से रिटायर्ड आईएएस अधिकारी रामलुभाया से मुलाकात कर जिले की मांग की फाइल सौंपते रहे हैं. राजस्थान में 24 जिलों की 60 जगहों से नए जिलों की डिमांड है. रामलुभाया कमेटी के पास 60 जगहों के नेता अलग-अलग ज्ञापन देकर नए जिलों की डिमांड रख चुके हैं. वहीं मुख्यमंत्री अशोक गहलोत 17 मार्च को विधानसभा में वित्त विधेयक और विनियोग विधेयक पर बहस का जवाब देंगे. इस दौरान यह माना जा रहा था कि सीएम गहलोत नए जिलों कीर घोषणा कर सकते हैं, लेकिन अब इसकी संभावना खत्म हो गई है, क्योंकि गहलोत सरकार ने कमेटी की रिपोर्ट में समय लगने का तर्क देकर फिलहाल सभी संभावनाओं पर ब्रेक लगा दिया हैं.

दरअसल, जिलों की मांग जनता का भावनात्मक मुद्दा है. बताया जाता है कि सीएम अशोक गहलोत ने नए जिलों के सियासी फायदे नुकसान पर फीडबैक लिया था. इस फीडबैक में फायदे से ज्यादा नुकसान की बात सामने आ रही थी. इसलिए 24घण्टे राजनीति करने वाले सीएम गहलोत ने फिलहाल के लिए इस मामले को टालना ही उचित समझा. इसके साथ ही प्रदेश में जिलों की डिमांड के साथ विवाद भी बहुत है. कई जिले ऐसे हैं जहां से तीन से चार जगह से डिमांड है. ऐसे में एक ​जगह की डिमांड पूरी करते हैं तो तीन क्षेत्रों के लोग नाराज होते हैं. इसलिए पूरे प्रदेश में नए जिलों से नाराजगी का भी खतरा था. बताया जाता है कि चुनावी साल में सरकार ऐसा कोई रिस्क नहीं उठाना चाहती जिस पर लोग नाराज हो जाएं.

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