Politalks.News/UttarPradesh. अपनी यूपी यात्रा के दौरान महामहिम रामनाथ कोविंद सोमवार को राजधानी लखनऊ पहुंचे. राष्ट्रपति की उत्तरप्रदेश यात्रा को देखते हुए यूपी की योगी सरकार ने सोचा महामहिम का कुछ राजनीतिक ‘सदुपयोग‘ ही कर लिया जाए. राष्ट्रपति कोविंद का यह दौरा ऐसे समय हुआ है जब उत्तर प्रदेश में अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव की ‘गहमागहमी‘ तेज है. ऐसे में योगी सरकार ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से ‘मिशन 2022‘ के लिए दलितों को रिझाने के लिए ‘संदेश‘ भी दे दिया. महामहिम रामनाथ कोविंद की पांंच दिन की यूपी यात्रा के अंतिम दिन भाजपा सरकार ने अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव को देखतेेे हुए ‘सियासी तीर‘ चलाया है.
बता दें कि राष्ट्रपति कोविंद भी ‘दलित वर्ग‘ से आते हैं. आगामी विधानसभा चुनाव को जीतने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहते हैं. योगी सरकार की नजर दलित वोट पर है. दलित वर्ग को साधने के लिए योगी सरकार राजधानी लखनऊ में भारत रत्न बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर के नाम पर स्मारक बनवाने जा रही है, योगी सरकार के इस स्मारक के शिलान्यास के लिए साल 2022 के विधानसभा चुनाव में दलितों के बीच पैंठ जमाने के लिए राष्ट्रपति से बेहतर और कोई नहीं हो सकते थे. मंगलवार दोपहर महामहिम रामनाथ कोविंद ने लखनऊ में ‘डॉ भीमराव अंबेडकर स्मारक और सांस्कृतिक केंद्र’ का शिलान्यास किया. इस मौके पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और राज्यपाल आनंदीबेन पटेल भी मौजूद रहीं. इस दौरान राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में कहा कि लखनऊ शहर से भीमराव अंबेडकर का भी एक खास संबंध रहा है, जिसके कारण लखनऊ को बाबा साहब की ‘स्नेह-भूमि‘ भी कहा जाता है.
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वहीं योगी सरकार ने अंबेडकर स्मारक का राष्ट्रपति के हाथों से शिलान्यास करा कर अपना इरादा जाहिर कर दिया है कि सात महीने बाद होने वाले विधानसभा चुनाव में दलित भी पार्टी के एजेंडे में शामिल रहेंगे. डॉ. अंबेडकर स्मारक को बीजेपी के ‘दलित कार्ड‘ के तौर पर देखा जा रहा है. आपको बता दें कि राष्ट्रपति कोविंद प्रेसिडेंशियल ट्रेन से 25 जून को दिल्ली से अपने पैतृक गांव कानपुर देहात पहुंचे थे. 26-27 जून को राष्ट्रपति ने कानपुर में आयोजित कार्यक्रम में भाग लिया. इस बीच दो कार्यक्रमों में उन्होंने अपना संबोधन दिया था. 28 जून को राष्ट्रपति प्रेसिडेंशियल ट्रेन से कानपुर से लखनऊ पहुंचे. अंबेडकर स्मारक शिलान्यास करने के बाद राष्ट्रपति विशेष विमान से दिल्ली रवाना हो गए, लेकिन योगी सरकार के लिए विधानसभा चुनाव में दलित समुदायों में भाजपा की लहर बनाने के लिए अपना मैसेज भी दे गए.
दूसरी ओर ‘अंबेडकर के ‘सांस्कृतिक केंद्र‘ के शिलान्यास को बसपा सुप्रीमो मायावती ने यूपी की भाजपा सरकार की नाटकबाजी करार दिया है. मायावती ने योगी सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर व उनके करोड़ों शोषित-पीड़ित अनुयाइयों का सत्ता के लगभग पूरे समय उपेक्षा व उत्पीड़न करते रहने के बाद अब विधानसभा चुनाव के नजदीक यूपी भाजपा सरकार द्वारा बाबा साहेब के नाम पर सांस्कृतिक केंद्र का शिलान्यास करना यह सब ‘नाटकबाजी‘ है.
अंबेडकर स्मारक बनाने में योगी सरकार 50 करोड़ रुपये करेगी खर्च
‘मुख्यमंत्री योगी ने लखनऊ के ऐशबाग में प्रस्तावित अंबेडकर स्मारक बनाने में 50 करोड़ रुपये का बजट रखा है‘. इसके लिए सरकार की तरफ से बजट भी मंजूर कर दिया है. यहां हम आपको बता दें कि ‘सीएम योगी चाहते हैं कि उनका अंबेडकर स्मारक बसपा से भी बड़ा हो और भव्य हो, इसके लिए उन्होंने पूरी तैयारी की है. इस प्रस्तावित स्मारक में भीमराव अंबेडकर की 25 फीट ऊंची प्रतिमा स्थापित की जाएगी. बाबा साहेब की अस्थियों का कलश दर्शन के लिए स्थापित किया जाएगा. यहां पर पुस्तकालय, शोध केंद्र, 750 लोगों की क्षमता का अत्याधुनिक प्रेक्षागृह और संग्रहालय का निर्माण भी किया जाएगा. इसके अलावा डॉरमेट्री, कैफिटेरिया, भूमिगत पार्किंग सहित अन्य मूलभूत सुविधाएं भी मिलेंगी. संस्कृति विभाग की ओर से अंबेडकर स्मारक एवं सांस्कृतिक केंद्र का निर्माण भी कराया जाएगा.
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बता दें कि पूरे देश में अंबेडकर के नाम पर सियासत खूब होती रही है, जो अभी तक जारी है. ‘बहुजन समाजवादी पार्टी ने तो अभी तक अपनी पूरी राजनीति डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के सहारे ही चलाई है, बसपा प्रमुख मायावती ने दलितों को अपनी और खींचने में अंबेडकर के नाम का खूब सियासीकरण किया और इसी के बल पर वे उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री पद पर काबिज हुईं थींं‘. मायावती ने 1995 में अपने कार्यकाल में अंबेडकर स्मारक, स्टेडियम, परिवर्तन स्थल और पार्कों को बनाया था. अंबेडकर के नाम पर बनाए गए इन स्थलों को बनाने में मायावती केेे सरकारी धन के दुरुपयोग करने के आरोप भी लगे थे.
प्रदेश में आखिरी बार साल 2007 में सत्ता में लौटने पर बसपा प्रमुख मायावती ने इन इमारतों के पुनर्निमाण और विस्तार के लिए तीन जेलों को तोड़कर 185 एकड़ जमीन पर 1075 करोड़ की लागत से ‘कांशी राम इको पार्क‘ बनवाया था. उसके बाद साल 2012 में समाजवादी पार्टी की सरकार आने के बाद इन अंबेडकर स्थलों पर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की नजर ‘टेढ़ी‘ होती चली गई. सपा शासनकाल में यह सभी मायावती के सियासी ड्रीम प्रोजेक्ट ‘वीराने‘ में खो गए. अखिलेश ने भी अपने कार्यकाल में लखनऊ के गोमती नगर इलाके में 376 एकड़ में जनेश्वर मिश्र पार्क बनवाया था. इस पार्क को बनाने में अखिलेश ने करीब 168 करोड़ रुपये खर्च किए. अब प्रदेश की भाजपा सरकार अगले वर्ष विधानसभा चुनाव जीतने के लिए मायावती और अखिलेश की ‘राह‘ पर निकल पड़ी है.