Politalks.News/Uttarakhand. देवभूमि उत्तराखंड के साथ 5 राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव में अब महज कुछ महीनों का ही समय बचा है. लेकिन सर्दी की ठंडी हवाओं के बीच आगामी चुनाव को देखते हुए सियासी तपिश बढ़ गई है. कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही पार्टियां सत्ता पाने के लिए अपनी पुरजोर ताकत के साथ जुट गई हैं. बात करें देवभूमि उत्तराखंड की तो बीजेपी द्वारा जहां दो बार मुख्यमंत्री परिवर्तन गले की फांस बना हुआ है तो कांग्रेस की आपसी खींचतान भी किसी से छिपी नहीं है. अब इस खींचतानरुपी आग में घी डालने का काम किया है उत्तराखंड कांग्रेस प्रभारी देवेंद्र यादव ने. देवेंद्र यादव ने सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के अरमानों पर अपने एक बयान से पानी फेर दिया. देवेंद्र यादव ने रविवार को मीडिया से बात करते हुए कहा कि ‘आगामी चुनाव से पहले कांग्रेस मुख्यमंत्री के चेहरे पर चुनाव नहीं लड़ेगी बल्कि सामूहिक रूप से आगामी चुनाव लड़ा जाएगा’. ऐसे में हरीश रावत के भीतर छिपे उन अरमानों पर गहरी ठेस लगी है जिनमें वो खुद को सूबे का अगला मुख्यमंत्री मान कर चल रहे थे.
आगामी चुनाव से पहले प्रदेश कांग्रेस के नेताओं, कार्यकर्ताओं से फीडबैक लेने बागेश्वर पहुंचे प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव ने मीडिया से आगामी चुनाव को लेकर चर्चा की. पत्रकार वार्ता के दौरान यादव ने कहा कि ‘अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी मुख्यमंत्री पद के लिए कोई चेहरा घोषित नहीं करेगी और सामूहिक नेतृत्व में ही चुनाव लड़ेगी. जीत के बाद सबसे विचार-विमर्श करके मुख्यमंत्री का चयन किया जाएगा.’ देवेंद्र यादव ने आगे कहा कि ‘आज भाजपा के पास एक चेहरा है, लेकिन हमारे पास 10 चेहरे हैं और ये सभी चेहरे आपके सामने हैं. हमारे पास बड़ों का आशीर्वाद है तो युवाओं का साथ भी है…चुनाव के समय हमारे यहां नेतृत्व हमेशा पीसीसी अध्यक्ष का होता है‘.
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देवेंद्र यादव ने आगे कहा कि ‘चुनाव अभियान समिति के प्रमुख के रूप में हमारे पास हरीश रावत हैं और हम एक सामूहिक नेतृत्व में आगामी चुनाव लड़ने जा रहे हैं. रही बात मुख्यमंत्री की तो, हमारे पक्ष में नतीजे आने के बाद हम सबके साथ चर्चा कर मुख्यमंत्री के बारे में फैसला करेंगे’. वहीं भाजपा छोड़ पुनः कांग्रेस में शामिल होने वाले नेताओं को लेकर देवेंद्र यादव ने कहा कि ‘पांच साल पहले कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए नेताओं के लिए पार्टी के दरवाजे बंद नहीं हुए हैं, लेकिन उन्हें शामिल करने का निर्णय राजनीतिक आकलन के आधार पर किया जाएगा’.
देवेंद्र यादव ने आगे कहा कि ‘पांच वर्षों में बेरोजगारी को दूर करने के लिए सरकार ने कोई कदम नहीं उठाया. राज्य में बेरोजगारों की फौज खड़ी हो गई है और राज्य की जनता महंगाई से त्रस्त है‘. यादव ने कहा कि ‘बीती रात मैंने उत्तराखंड के तमाम गांवों में रात्रि प्रवास कर लोगों की समस्याएं जानने की कोशिश की और हर वर्ग खुद को ठगा सा महसूस कर रहा है. साथ ही साथ लोगों में पांच साल में तीन मुख्यमंत्री बदलने से भी गुस्सा व्याप्त है, ऐसे में आगामी चुनाव में कांग्रेस अपना परचम जरूर लहरायेगी’.
कांग्रेस प्रभारी यादव ने दावा किया कि, ‘आगामी चुनाव में आम आदमी पार्टी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का इस चुनाव में कोई असर नहीं होगा और कांग्रेस 70 सदस्यीय विधानसभा में 50 से अधिक सीटें हासिल करेगी’. यादव ने आगे कहा कि, ‘लोगों ने बहुत उम्मीद से भाजपा की सरकार बनाई थी, लेकिन उम्मीदों को पूरा करना छोड़ दीजिए, समस्याएं बढ़ती जा रही हैं. खासतौर पर यहां बेरोजगारी और महंगाई बहुत बड़े मुद्दे हैं. इसके अलावा भ्रष्टाचार, पलायन, महिला सुरक्षा और किसानों के मुद्दे भी हैं, अब लोग कांग्रेस की सरकार को याद कर रहे हैं‘.
आपको बता दें, उत्तराखंड की राजनीति बीते एक दशक से कहीं न कहीं हरीश रावत के इर्द गिर्द घूम रही है. पार्टी नेता भी ये अच्छे से जानते हैं कि सत्ता हासिल करने के लिए हरीश रावत को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. कुछ दिन पहले ही हरीश रावत ने कांग्रेस आलाकमान से गुहार लगाई थी कि, ‘वह मुख्यमंत्री के चेहरे का एलान करे ताकि भाजपा आगामी चुनाव को ‘नरेंद्र मोदी बनाम कांग्रेस’ न कर सके और चुनाव प्रदेश के मुद्दों तक ही केंद्रित रहे’. हरीश रावत अपनी इस मांग से आलाकमान की मंशा का अंदाजा लगाना चाहते थे कि आखिर मुख्यमंत्री के तौर पर आलाकमान किसे देखता है. हरीश रावत एक आस के साथ बैठे हैं कि पार्टी आगामी चुनाव उन्हीं के चेहरे पर लड़ने वाली है लेकिन कांग्रेस प्रभारी यादव का यह बयान कई सारे सवाल खड़े करता है.