Politalks.News/Rajasthan. मोदी सरकार के द्वारा संसद में पारित करवाए गए कृषि बिलों को लेकर देश भर के किसानों की नाराजगी सामने आ रही है. पंजाब में कृषि बिलों को लेकर एनडीए की प्रमुख सहयोगी पार्टी अकाली दल खुलकर बिल के विरोध में आ चुकी है. वहीं हरियाणा मेें भी खट्टर सरकार को समर्थन दे रहे जेजेपी के दुष्यंत चैटाला पर भी दबाव बढ़ता जा रहा है.
किसानों के 25 तारीख से शुरू हो रहे देशव्यापी बन्द, रेल रोको आंदोलन और प्रदर्शनों के बीच राजस्थान में आरएलपी प्रमुख और किसानों के नेता कहलाने वाले राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के मुखिया और नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल की कृृषि बिलों पर खामोशी राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बनी हुई है. हर बड़े और छोटे राजनीतिक मसलों पर सोशल मीडिया के माध्यम से अपनी सटीक प्रतिक्रिया देने वाले किसान नेता हनुमान बेनीवाल की मोदी सरकार द्वारा लाए गए कृषि बिलों पर खामोशी किसी के भी समझ में नहीं आ रही है.
आपको बता दें, हनुमान बेनीवाल आरएलपी प्रमुख होने के साथ-साथ सांसद और एनडीए के घटक दल में भी शामिल हैं. पिछले एक सप्ताह से किसानों के लिए लाए गए कृषि बिलों को लेकर देश में घमासान मचा हुआ है लेकिन राजस्थान के किसान नेता के रूप में पहचान बनाने वाले हनुमान बेनीवाल की ओर से अभी तक कुछ भी स्पष्ट नहीं है कि क्या वो इन बिलों का पूरी तरह समर्थन कर रहे हैं, या फिर नहीं. जो भी है, इन बिलों को लेकर चूंकि उनका कोई व्यक्तव्य नहीं आया है, इसलिए स्थिति स्पष्ट नहीं है.
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कहीं दुविधा में तो नहीं हनुमान बेनीवाल
राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि मोदी सरकार को समर्थन देने के चलते हनुमान बेनीवाल की स्थिति दुविधा भरी है. एक और मोदी सरकार द्वारा लाए गए बिलों को लेकर किसानों में रोष बढ़ता जा रहा है, वहीं दूसरी ओर ऐसे समय में किसानों की भावनाओं से अलग हटकर अपने आपको किसान नेता के रूप में स्थापित रखना भी एक तरह की चुनौती से कम नहीं है.
केंद्र सरकार में मंत्री बनने की है चर्चा
पिछले कई दिनों ने राजनीतिक क्षेत्रों में चर्चा चल रही है कि मोदी सरकार के मंत्रीमंडल विस्तार के तहत हनुमान बेनीवाल को मंत्री बनाया जा सकता है. इस खबर के दौरान कृषि बिलों पर उनकी खामोशी कई सवाल भी खड़े कर रही है. अगर पंजाब और हरियाणा की तरह राजस्थान में किसान आंदोलन ने उड़ान भरी तो किसान नेता हनुमान बेनीवाल के सामने राजनीतिक विकल्प कम ही बचेंगे.
जानकारों के अनुसार हनुामन बेनीवाल की खामोशी को मोदी सरकार के मंत्रीमंडल विस्तार से जोड़कर भी देखा जा रहा है. वैसे तो हनुामन बेनीवाल सीधे-सीधे मोदी सरकार के सहयोगी हैं, चूंकि उन्होंने कृषि बिलों को लेकर कोई विपरीत टिप्पणी नहीं की है. इसलिए माना जा रहा है कि केंद्र सरकार द्वारा लाए गए कृषि बिल उनकी नजर में सही है. लेकिन वहीं बेनीवाल के द्वारा इन कृषि बिलों का स्वागत नहीं करना या फिर इन बिलों के पक्ष या समर्थन में कोई बयान नहीं देना भी कई सवाल खड़े कर रहा है.
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राजनीतिक क्षेत्र से जुड़े लोगों का मानना है कि मोदी सरकार के संभावित मंत्रीमंडल विस्तार में यदि सांसद हनुमान बेनीवाल को मौका मिल जाता है तो राजनीतिक दृष्टि से सबकुछ सही रहेगा. फिर हनुमान बेनीवाल किसानों को समझाएंगे कि मोदी सरकार के द्वारा लाए गए बिल किसानों के हितों में हैं और अगर ऐसा नहीं हुआ तो बेनीवाल के पास किसान नेता होने के नाते दूसरे कई राजनीतिक विकल्प होंगे. फिलहाल मोदी सरकार के कृषि बिलों पर किसान नेता हनुमान बेनीवाल की खामोशी राजनीतिक गलियारों में काफी शोर मचा रही है.