Politalks.News/ElectionCommission. देश के पांच राज्यों में से 4 राज्यों में विधानसभा चुनाव सम्पन्न हो चुके हैं जबकि बंगाल में अभी पांच चरण के चुनाव होना बाकी हैं. लेकिन अब तक संपन्न हुए चुनावों में कुछ घटनाओं को लेकर चुनाव आयोग की किरकिरी हो रही है. एक के बाद एक ऐसे मामले सामने आ रहे हैं, जिससे निर्वाचन आयोग के काम करने के तरीके पर सवाल उठने लगे हैं. सोशल मीडिया पर चुनाव आयोग को लेकर लगातार मिम्स शेयर किए जा रहे हैं और चुनाव आयोग को ट्रोल किया जा रहा है. आखिर क्या है चुनाव आयोग के सोशल मीडिया के निशाने पर आने का कारण? हम आपको बताएंगे पांच ऐसे मामले जो न सिर्फ आपको चौंका देंगे बल्कि आपको बहुत कुछ सोचने पर मजबूर कर देंगे.
पहला मामला– तमिलनाडु में एक स्कूटर पर EVM ले जाते पकड़े गए दो लोग
तमिलनाडु विधानसभा चुनाव के बीच EVM को लेकर एक और चौंकाने वाली खबर आई है. चेन्नई में दो लोग स्कूटर पर रखकर EVM ले जा रहे थे. लोगों का आरोप है कि इन्हें छेड़छाड़ करने के लिए ले जाया जा रहा था. चुनाव आयोग ने इस मामले में अपने कर्मचारियों की गलती मानी है. दरअसल, चेन्नई में वेलचेरी नाम की जगह पर दो लोग स्कूटर पर रखकर ईवीएम ले जा रहे थे. कुछ लोगों ने देखा तो उन्हें रोक लिया और मौके पर भारी भीड़ जमा हो गई. इसी बीच डीएमके से जुड़े लोग भी वहां आ गए. उन्होंने आरोप लगाया कि इन ईवीएम से छेड़छाड़ करने के लिए इन्हें ले जाया जा रहा था. इस दौरान पुलिस भी मौके पर पहुंच गई. हालात बिगड़ते दिखे तो पुलिस ईवीएम ले जा रहे लोगों को अपने साथ ले गई. घटना को लेकर लोगों में पुलिस के खिलाफ भी गुस्सा देखा गया. लोगों का आरोप था कि पुलिस ने ईवीएम ले जा रहे लोगों से पूछताछ तक नहीं की. कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने इसे लेकर धरना प्रदर्शन भी किया. उधर, डीएमके नेता और चेन्नई के पूर्व मेयर एमए सुब्रमणयम ने मामले में इलेक्शन कमीशन से संपर्क किया और इस तरह से ईवीएम मिलने पर सफाई मांगी.
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दूसरा मामला- असम में बूथ पर कुल 90 मतदाता, जबकि यहां वोट गिरे 171
असम का एक जिला है दीमा हसाओ, यहां के बूथ 107(A) खोतलिर एलपी स्कूल पर 90 लोग मतदान करने के योग्य थे, लेकिन यहां 171 वोट गिरे. इस मामले को लेकर केंद्रीय चुनाव आयोग ने 5 पोलिंग अफसरों को सस्पेंड किया है. यह बूथ जिले के हाफलॉन्ग निर्वाचन क्षेत्र में पड़ता है, जहां 1 अप्रैल को दूसरे चरण में चुनाव हुए थे.
अब क्या कह रहा है चुनाव आयोग? दीमा हसाओ के डिस्ट्रिक्ट इलेक्शन अफसर द्वारा निलंबन का आदेश 2 अप्रैल को ही जारी कर दिया गया था, लेकिन मामला 5 अप्रैल को सामने आया है. चुनाव आयोग के एक अधिकारी ने PTI से बात करते हुए कहा है कि काम में कोताही बरतने को लेकर चुनाव आयोग ने खोसिअम लंघुम (सेक्टर ऑफिसर), प्रह्लाद रॉय (प्रीसाइडिंग ऑफिसर), परमेश्वर चरणसा (पोलिंग अफसर), स्वराज दास (पोलिंग अफसर) और लालजमलो थिएक (पोलिंग अफसर) को तत्काल प्रभाव से सस्पेंड कर दिया है. अधिकारी ने आगे बताया कि उस गांव के प्रमुख ने चुनाव आयोग की वोटर लिस्ट को मानने से इनकार कर दिया और अपनी लिस्ट ले आए. गांव के लोगों ने अपनी लिस्ट के मुताबिक़ वोटिंग की. पोलिंग अधिकारियों ने ग्राम प्रधान की मांग क्यों मानी? और मौके पर सुरक्षाकर्मियों ने क्या भूमिका निभाई? यह अभी तक पता नहीं चल सका है.
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तीसरा मामला- असम में बीजेपी कैंडिडेट की गाड़ी में मिली EVM
एक और मामले में 1 अप्रैल को असम में मतदान के बाद करीमगंज जिले की पथरकंडी विधानसभा सीट से बीजेपी प्रत्याशी कृष्णेंदु पॉल की सफेद बोलेरो कार में EVM मिली थी. हालांकि जो ईवीएम बीजेपी पथरकंडी से बीजेपी प्रत्याशी कृष्णेंदु पॉल की गाड़ी में मिली थी, वो राताबारी विधानसभा के पोलिंग 149 की है. कृष्णेंदु ने बताया था कि उनके भाई गाड़ी से आ रहे थे और रास्ते में किसी ने लिफ्ट मांगी तो उन्होंने दे दी, गड़बड़ी का मकसद नहीं था. इलेक्शन कमीशन ने बताया कि भले ही ईवीएम और वीवीपैट जैसी चीजें सील बंद पाई गई हैं, लेकिन फिर भी बूथ नंबर 149 इंदिरा एम.वी. स्कूल पर दोबारा वोटिंग कराई जाएगी. इस मामले में पीठासीन अधिकारी और 3 अन्य अधिकारियों को सस्पेंड भी किया गया है और पीठासीन अधिकारी को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है. पूछा गया है कि उन्होंने ट्रांसपोर्ट प्रोटोकॉल का उल्लंघन क्यों किया? मामले में स्पेशल ऑब्जर्वर से रिपोर्ट भी तलब की गई है.
चौथा मामला-TMC नेता के घर मिली EVM और वीवीपैट
पश्चिम बंगाल के हावड़ा जिले में टीएमसी के एक नेता के घर पर चार इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन और लगभग इतनी ही संख्या में वीवीपैट मशीन मिलने के बाद एक चुनाव अधिकारी को निलंबित कर दिया गया है.
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पांचवा मामला- पुड्डुचेरी विधानसभा चुनावों में आधार डेटा का गलत इस्तेमाल, मद्रास हाईकोर्ट की फटकार
पुडुचेरी में विधानसभा चुनावों के बीच बीजेपी पर गंभीर आरोप लगा है. मद्रास हाईकोर्ट में दाखिल एक याचिका में आरोप लगाया गया है कि भारतीय जनता पार्टी ने आधार से जुड़ी जानकारी का उपयोग गलत इस्तेमाल के लिए किया है. मद्रास हाईकोर्ट ने इस केस को लेकर पुड्डुचेरी बीजेपी और UIDAI को फटकार भी लगाई है. मद्रास उच्च न्यायालय ने इस मामले को गंभीर बताते हुए UIDAI से जवाब देने को कहा है. हाईकोर्ट ने कहा कि पुडुचेरी में बीजेपी ने चुनावी लाभ के लिए आधार लिंक्ड मोबाइल नंबर का इस्तेमाल कर लोगों को मैसेज भेजे, यह एक गंभीर आरोप है जिस पर UIDAI को जवाब देना चाहिए. लेकिन अफसोस इस मामले में भी केंद्रीय चुनाव आयोग की नींद नहीं टूटी है.