पॉलिटॉक्स न्यूज/दिल्ली. जैसा कि दिल्ली विधानसभा चुनावों में बीजेपी की करारी हार के बाद सुगबुगाहट थी…मनोज तिवारी की दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष पद से छुट्टी कर दी गई. उनकी जगह पश्चिम पटेल नगर के पार्षद आदेश कुमार गुप्ता को बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष की कमान सौंपी गई है. आदेश कुमार की पहचान जमीनी नेता के रूप में होती है. गुप्ता नॉर्थ दिल्ली (NDMC) के मेयर भी रह चुके हैं. इस बाबत पार्टी महासचिव अरुण सिंह की ओर से आधिकारिक लेटर जारी कर दिया गया है. हालांकि मनोज तिवारी का कार्यकाल बतौर प्रदेशाध्यक्ष पूरा हो चुका था लेकिन विधानसभा चुनावों को देखते हुए उनका कार्यकाल बढ़ाया गया था. अगर बीजेपी तिवारी के नेतृत्व में दिल्ली वि.स.चुनाव जीतने में कामयाब होती तो अभी कुछ साल और तिवारी इस जिम्मेदारी को संभालते दिखाई देते. बीजेपी नेतृत्व द्वारा अचानक मनोज तिवारी को हटाया जाना दिल्ली की राजनीति में नई सुगबुगाहट पैदा कर रहा है.
गौरतलब है कि 2016 में बीजेपी की ओर से पहले पूर्वांचली वोटरों को लुभाने के लिए मनोज तिवारी को अध्यक्ष बनाया गया था. चुनाव से पहले उनके दिल्ली सीएम के उम्मीदवार बनाए जाने की भी चर्चा भी काफी हुई थी. लेकिन इसी साल दिल्ली में हुए विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने एक तरफा जीत दर्ज की. बीजेपी को महज 8 सीटों पर संतोष करना पड़ा जबकि लोकसभा चुनावों के बाद से ही तत्कालीन दिल्ली प्रदेशाध्यक्ष 45 सीटों पर जीत का दावा ठोक रहे थे. उनका ये अतिआत्मउत्साह इस कदर हिलोले मार रहा था कि परिणाम वाले दिन जब सभी न्यूज़ चैनल और एसेंसियां आम आदमी पार्टी की झोली में 40 से अधिक सीटें डाल बैठे थे, तिवारी जी दोपहर तीन बजे तक इंतजार करने और धैर्य रखने की बात सभी को कह रहे थे.
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जब परिणाम आए तो आप पार्टी के पास 62 और बीजेपी के पास 8 सीटें आयी. कांग्रेस का खाता न खुल सका. इसके तुरंत बाद मनोज तिवारी ने हार स्वीकारते हुए अपने इस्तीफे की पेशकश की लेकिन आलाकमान ने इसे अस्वीकार कर दिया और तिवारी बतौर सांसद के साथ प्रदेशाध्यक्ष की जिम्मेदारी निभाते रहे. लेकिन विवादों से उनका पुराना नाता रहा है.
भोजपुरी एक्टर-सिंगर और रिंकिया के पापा से मशहूर मनोज तिवारी की हाल में उस वक्त काफी किरकिरी हुई जब वह लॉकडाउन के बाजवूद सोनीपत के एक स्टेडियम में क्रिकेट खेलने चले गए. उनका वीडियो वायरल हुआ जिसमें वह लोगों के बीच स्टेडियम में गाने गा रहे थे. सोशल डिस्टेन्सिंग की धज्जियां उड़ाने के चलते कांग्रेस और आप पार्टी के निशाने पर आ गए थे. स्थानीय स्तर पर भी कई बार मनोज तिवारी को विरोध का सामना करना पड़ा. क्रिकेट के मैदान से राजनीति का सफर तय करने वाले दिल्ली सांसद गौतम गंभीर से बढ़ी तल्खी तो जग जाहिर है ही.
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बीजेपी लंबे समय से किसी नए चेहरे की तलाश में थी. वैसे ये तलाश गौतम गंभीर पर आकर खत्म हो सकती थी लेकिन केंद्रीय नेतृत्व की ये खोज पश्चिम पटेल नगर के पार्षद आदेश कुमार गुप्ता पर आकर समाप्त हुई. आदेश कुमार की पहचान जमीनी नेता के रूप में होती है. वे नॉर्थ दिल्ली के मेयर भी रह चुके हैं. मूलरूप से उत्तर प्रदेश के रहने वाले आदेश गुप्ता छत्रपति साहूजी महाराज यूनिवर्सिटी कानपुर से साल 1991 में बीएससी की डिग्री हासिल की थी. आदेश गुप्ता के खिलाफ कोई भी आपराधिक केस नहीं है और उनका पेशा ठेकेदारी है. गुप्ता की छवि एक साफ सुधरे राजनीतिज्ञ की है.
गुप्ता का जन्म कन्नौज के गुरसहायगंज निवासी शंभूदयाल गुप्ता के यहां 1969 में हुआ और उनकी पढ़ाई लिखाई भी स्थानीय स्कूल में हुई. 51 वर्षीय आदेश गुप्ता पेशे से कारोबारी हैं. 2017 नगर निगम चुनाव में उनकी ओर से दाखिल चुनावी हलफमाने के मुताबिक उनके पास 1.22 करोड़ रुपए की संपत्ति है. वह बेहद साफ सुथरी छवि के नेता हैं और हलफनामे के मुताबिक उनके खिलाफ कोई आपराधिक केस दर्ज नहीं है. वेस्ट पटेलनगर से पार्षद गुप्ता इससे पहले भाजपा, युवा मोर्चा और विद्यार्थी परिषद में कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभा चुके हैं. कन्नौज से दिल्ली आकर भी वे बीजेपी में जिम्मेदारियां संभालते रहे. वह 2018 में उत्तरी नगर निगम के मेयर बने.
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हालांकि आदेश कुमार का नाम काफी चौंकाने वाला है. साथ ही ये भी कहा जा रहा है कि लॉकडाउन के उल्लंघन और उसके बाद एफआईआर होने के चलते मनोज तिवारी की छुट्टी की गई है लेकिन जैसा कि हमने पहले भी कहा कि बीजेपी को दिल्ली में आगामी कुछ वर्षों के लिए एक लोकल नेता की तलाश थी. अब एक बार फिर दिल्ली बीजेपी की ओर से कोशिश की गई है कि नया चेहरा लाकर संगठन में जान फूंकी जाए.
माना जा रहा है कि आदेश गुप्ता को दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष की कमान सौंपने के बाद बीजेपी अब अपना पूरा फोकस एमसीडी चुनाव पर करने वाली है. एक पूर्व मेयर और वर्तमान पार्षद होने के नाते आदेश कुमार की लोकल एरिया में अच्छी पकड़ बताई जा रही है. वहीं, आदेश गुप्ता व्यापारी समाज से आते हैं. ऐसे में एक बार फिर बीजेपी अपने कोर वोटरों को लुभाने की कोशिश में जुट गई है.