पॉलिटॉक्स न्यूज/गुजरात. गुजराज की रूपाणी सरकार में नंबर दो माने जाने वाले उप मुख्यमंत्री नितिन पटेल फिर से सरकार से नाराज हो गए हैं. सार्वजनिक तौर पर दिए गए बयान से उनकी टीस साफ झलक रही है. उनके एक ऐसे ही बयान के बहाने विधानसभा में एक विधायक ने उन्हें कांग्रेस की ओर से मुख्यमंत्री बनाने तक का ऑफर दे दिया, बशर्ते वे अपने साथ 15 से 20 विधायक तोड़कर ले आएं. कांग्रेस के नितिन पटेल को मुख्यमंत्री पद थाली में सजाकर दिए जाने वाले खुले ऑफर के बाद गुजरात में सियासी सरगर्मीयां काफी बढ़ गई है. वहीं गुजरात के बीजेपी अध्यक्ष जीतूभाई वाघाणी ने कांग्रेस पर पटेल के बयान का गलत अर्थ निकालकर जनता को गुमराह करने का आरोप लगाया है.
इससे पहले पाटीदार समाज की कुलदेवी मां उमिया के शिलान्यास समारोह के दौरान कड़वा पाटीदार समुदाय के सैंकड़ों लोगों की हाजिरी में नितिन पटेल ने कहा कि सब एक ओर हैं और वे अकेले दूसरी ओर. पटेल ने कहा कि कई लोगों को वे नापसंद हैं और उन्हें अकेला करने की कोशिशें होती रहती है लेकिन फिर भी वे मां उमिया के आशीर्वाद से यहां खड़े हैं. उन्होंने ये भी कहा कि कुछ लोग मुझे भुला देना चाहते हैं कि याद रखें कि मैं किसी को नहीं भूलता. इस बयान के जरिए उन्होंने चाहते या न चाहते हुए सीएम विजय रूपाणी पर निशाना साध दिया. अपने बयान से नितिन पटेल ने ये तो कम से कम बता ही दिया कि गुजरात सरकार में नंबर दो की हैसियत रखने वाले नितिन पटेल किसी न किसी बात पर सरकार से नाराज चल रहे हैं. अपनों के बीच जब नितिन पटेल का दर्द छलका तो वहां मौजूद हर कोई अचरज में पड़ गया.
उनके इस बयान की गूंज विधानसभा में भी गूंजी जब गुजरात विधानसभा में कांग्रेस विधायक विधायक ब्रजेश मिर्जा, बलदेवजी ठाकोर ने नितिन पटेल के बयान का हवाला देते हुए सदन में राज्य सरकार पर निशाना साधा, साथ ही पटेल के बयान को लेकर खूब चटकारे लिए. वहीं, स्वास्थ्य विभाग के प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान कांग्रेस के वीरजी ठुमर ने कहा, ‘नितिन भाई बहुत अच्छा काम कर रहे हैं और हम उनका समर्थन करते हैं. लेकिन उनके अपने लोग (बीजेपी) उनकी तारीफ नहीं कर रहे हैं. आप मुख्यमंत्री बनने के काबिल हैं. आप 15 विधायकों के साथ कांग्रेस आइए और हम आपको मुख्यमंत्री बनाएंगे’. बीच सदन में इस आॅफर से बीजेपी के विधायक सकते में आ गए. इस खुले आॅफर के बाद गुजरात में सियासी गर्मियां की तपिस बढ़ना स्वभाविक है.
वहीं निर्दलीय विधायक जिग्नेश मेवानी ने चुटकी लेते हुए कहा कि नितिन भाई अपने 15-20 लोगों को साथ लेकर पार्टी से बाहर आ जाएं और मुख्यमंत्री की कुर्सी पर विराजमान हों.
हालांकि सदन में कांग्रेस के बयान पर बीजेपी ने कोई अधिकारिक टिप्पणी नहीं की, साथ ही पाटीदार समाज के मंच पर दिए बयान को लेकर राज्य सरकार गंभीर नहीं दिखी लेकिन कांग्रेस नेता दिनभर उत्साह में जरूर नजर आए. कांग्रेस का यही मानना है कि अगर नितिन पटेल की नाराजगी का सिलसिला यूं ही बरकरार रहा तो मोदी के गढ़ में सेंध लगाना मुश्किल काम नहीं होगा.
वहीं गुजरात के बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष जीतूभाई वाघाणी ने कहा कि नितिन के बयान का गलत अर्थ निकालकर कांग्रेस जनता को गुमराह कर रही है. वाघाणी ने कहा कि जब समूचा विपक्ष एकजुट होकर आरोप प्रत्यारोप करता है तो पटेल अकेले ही विपक्ष के सभी सवालों का जवाब देने में सक्षम होते हैं. वाघाणी ने ये भी कहा कि कांग्रेस सत्ता में आने का सपना देख रही है लेकिन उसका ये सपना केवल सपना ही बनकर रहेगा.
बता दें, मूलरूप से उत्तर गुजरात के कड़ी मेहसाणा निवासी नितिन पटेल की पाटीदार समुदाय में गहरी पैठ है. वे संघ के भी काफी करीबी बताए जाते हैं. अगस्त, 2016 में तत्कालीन सीएम आनंदीबेन के इस्तीफे के बाद नितिन पटेल को ही मुख्यमंत्री बनाए जाने की चर्चा थी लेकिन बाजी मार ले गए विजय रूपाणी. उसके बाद से ही समय समय पर दोनों के बीच हितों के टकराव की खबरें सियासी गलियारों से आती रही हैं.
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ऐसा भी नहीं है कि नितिन पटेल की हैसियत डिप्टी सीएम होने के चलते रत्तीभर भी कम है. 2017 में सरकार गठन के बाद नितिन पटेल ने वित्त मंत्रालय का प्रभार दिए जाने को कहा लेकिन ये विभाग नहीं सौंपा गया. ऐसे में पटेल ने नाराज होकर कार्यालय जाना ही छोड़ दिया. बाद में झुकते हुए विजय रूपाणी ने उन्हें वित्त मंत्रालय का कार्यभार सौंप दिया था. नितिन पटेल का कद और उनके रसूख को देखते हुए राज्य सरकार भी उन्हें ज्यादा समय तक नाराज रखने के मूड में नहीं है. लेकिन ये नाराजगी अब किस बात को लेकर है, इस बात का पता फिलहाल नहीं चल पा रहा है.