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हरियाणा में विधानसभा चुनाव की घोषणा चुनाव आयोग की तरफ से जल्द की जा सकती है. संभावना है कि चुनाव आयोग सितंबर और अक्टूबर के महीने में हरियाणा में विधानसभा चुनाव करवाए. पॉलिटॉक्स न्यूज ने हरियाणा विधानसभा चुनाव को लेकर एक विशेष कार्यक्रम शुरु किया है. जिसमें हम आपको विधानसभा क्षेत्र की ग्राउंड रिर्पोट से अवगत करवाते हैं. आज हम बात करेंगे हरियाणा की आदमपुर विधानसभा सीट की.

हिसार जिले का आदमपुर हलका चौधरी भजनलाल परिवार का राजनीतिक गढ़ है. भजनलाल परिवार का इस सीट पर पिछले 52 साल से एकछत्र राज है. हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री चौधरी भजनलाल यहां से आठ बार विधायक चुने गए. भजनलाल के बाद आदमपुर की कमान उनके पुत्र कुलदीप विश्नोई ने संभाली और आदमपुर ने कुलदीप को भजनलाल की तरह ही अपनी आंखो का तारा बना लिया. कुलदीप दो बार और कुलदीप की पत्नी रेणुका यहां से एक बार विधायक चुनी गई. आदमपुर विधानसभा क्षेत्र हिसार लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है.

 2014 विधानसभा चुनावः

पिछले विधानसभा चुनाव में कुलदीप विश्नोई अपनी पार्टी हरियाणा जनहित कांग्रेस के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरे. बता दें कि साल 2007 में हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री चौधरी भजनलाल ने कांग्रेस का साथ छोड़. हरियाणा जनहित कांग्रेस के नाम से नई पार्टी का गठन किया था. कुलदीप ने चुनाव में इंडियन नेशलन लोकदल के कुलवीर बेनीवाल को लगभग 17000 मतों से मात दी थी. कुलवीर बेनीवाल साल 2005 में विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र भट्टू से कांग्रेस की टिकट पर विधायक बने थे, लेकिन साल 2014 में उन्होंने भूपेन्द्र हुड्डा से अनबन के बाद कांग्रेस का हाथ छोड़ इनेलो को दामन थाम लिया था. चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी सत्येन्द्र तीसरे और बीजेपी करण सिंह राणोलिया चौथे नंबर पर रहे थे.

सामाजिक समीकरणः

आदमपुर विधानसभा क्षेत्र हिसार जिले के अंतर्गत आता है. हिसार जिला वैसे तो जाट बाहुल्य क्षेत्र है, लेकिन आदमपुर विधानसभा क्षेत्र में जाट समुदाय के साथ-साथ विश्नोई समुदाय भी भारी तादाद में है. भजनलाल परिवार के एकक्षत्र राज का मुख्य कारण इस इलाके का विश्नोई बाहुल्य होना ही है. विश्नोई वोटरों के दम पर ही भजनलाल परिवार इतने लंबे समय से अपराजय है.

2019 विधानसभा चुनावः

विधानसभा चुनाव को लेकर तमाम पार्टियों ने प्रत्याशी चयन की प्रकिया शुरु कर दी है. पार्टियों के वरिष्ठ नेता इलाकों में अपने मजबूत उम्मीदवारों की तलाश में लग गए हैं. कांग्रेस के सामने प्रत्याशी चयन में कोई समस्या नहीं है. कांग्रेस के टिकट का फैसला ना हुड्डा करेंगे, नही अशोक तंवर करेंगे. यहां के प्रत्याशी चयन करने में कुलदीप विश्नोई स्वतंत्र हैं. अब कुलदीप को यह तय करना है कि वो खुद चुनाव लड़ेंगे या अपने पुत्र भव्य विश्नोई को चुनावी मैदान में उतारेंगे. बीजेपी की तरफ से 2014 में करण सिंह राणोलिया चुनाव लड़े थे, लेकिन राणोलिया राज्य में बीजेपी की लहर होने के बावजूद अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाये थे. बीजेपी यहां पिछले चुनाव में मुख्य मुकाबले तक में भी नहीं आ पाई थी. पिछले विधानसभा चुनाव में प्रत्याशी के निराशाजनक प्रदर्शन के बाद बीजेपी आलाकमान आगामी विधानसभा चुनाव में किसी नए प्रत्याशी पर दांव लगाने का मन बना रहा है. ये नए प्रत्याशी कांग्रेस से बीजेपी में आए सत्येन्द्र सिंह हो सकते हैं. बता दें कि सत्येन्द्र ने साल 2014 में आदमपुर विधानसभा सीट से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा था. जननायक जनता पार्टी की तरफ से दुष्यंत की मां, डबवाली विधायक नैना चौटाला चुनाव लड़ सकती है.

जीत की संभावनाः

साल 1967 में आदमपुर विधानसभा के वजूद में आई थी. तब से लेकर आज  तक स्वर्गीय चौधरी भजन लाल और उनका परिवार इस सीट पर काबिज रहा है. एक वक्त था जब 50 हजार से ज्यादा मतदाता चौधरी भजन लाल के इशारे पर मतदान करते थे. भजनलाल आदमपुर को अपना परिवार मानते थे. यहीं वजह थी कि आदमपुर किसी भी प्रत्याशी या पार्टी के लिए हमेशा से एक अभेद किले की तरह रहा, लेकिन 52 साल बाद पहली बार इस अभेदय किले में बीजेपी ने सेंधमारी की है. बीजेपी ने लोकसभा चुनाव में भजनलाल परिवार के किले की दीवारों को पूरी तरह से हिलाकर रख दिया है. दरअसल लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर कुलदीप विश्वोई के पुत्र भव्य विश्नोई ने चुनाव लड़ा था. चुनाव में भव्य को बीजेपी के बृजेंद्र सिंह के हाथों करारी हार का सामना करना पड़ा था. वैसे लोकसभा चुनाव में हार तो कांग्रेस की सभी 10 सीटों पर हुई है, लेकिन कुलदीप विश्नोई को लोकसभा चुनाव में सबसे बड़ा झटका आदमपुर विधानसभा से लगा. आदमपुर विधानसभा क्षेत्र से भव्य विश्नोई को 22000 मतों से हार का सामना करना पड़ा. लोकसभा चुनाव के नतीजों को देखते हुए आगामी विधानसभा चुनाव विश्नोई परिवार के लिए आसान नहीं होगें .

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