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गुरुवार को मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का शपथ ग्रहण का कार्यक्रम राष्ट्रपति भवन में संपन्न हुआ. इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित 58 मंत्रियों ने पद और गोपनीयता की शपथ ली. मंत्रिमंडल में यूपी में मिली बंपर जीत के बाद यहां से पीएम मोदी सहित आठ चेहरों को मौका मिला है. इनमें राजनाथ सिंह, स्मृति ईरानी, महेन्द्रनाथ पांडे, संजीव बालियान, संतोष गंगवार, वीके सिंह, साध्वी निरंजन ज्योति व मुख्तार अब्बास नकवी को शामिल किया गया है.

यूपी की चंदौली लोकसभा सीट से सांसद चुने गए बीजेपी अध्यक्ष महेंद्र नाथ पांडे को मोदी कैबिनेट में बतौर काबीना मंत्री शामिल किया गया है. मंत्रिमंडल में शामिल होने के बाद यह तो तय माना जा रहा है कि महेंद्र नाथ पांडे किसी भी समय यूपी बीजेपी अध्यक्ष के पद से इस्तीफा दे सकते है. क्योंकि बीजेपी की कार्यप्रणाली के अनुसार एक व्यक्ति एक समय के दौरान एक ही पद का निर्वहन कर सकता है. महेंद्र नाथ पांडे को भी यूपी प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी केशव प्रसाद मौर्य के उपमुख्यमंत्री बनने के बाद दी गई थी.

विधानसभा चुनाव के दौरान बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष पद पर केशव प्रसाद मौर्य कार्यरत थे. लेकिन उन्होंने उपमुख्यमंत्री पद संभालते ही अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था. महेंन्द्र नाथ पांडे के मोदी कैबिनेट में शामिल होने के बाद नए बीजेपी अध्यक्ष की सुगबुगाहाट शुरू हो गई है. जो नेता मोदी कैबिनेट में जगह नहीं बना पाये वो अब अध्यक्ष पद के लिए अगले कुछ दिनों में दौड़-भाग करते नजर आएंगे, यह तय है.

लेकिन यह बड़ा सवाल अब सभी के जहन में है कि अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी के लिए पार्टी अब किस नेता पर भरोसा करेगी. यहां हम उन संभावित नेताओं के बारे में बता रहे हैं, जो अध्यक्ष पद के लिए पार्टी की पसंद बन सकते हैं –

रामशंकर कठेरिया

इटावा संसदीय सीट से चुनाव जीतकर संसद पहुंचे रामशंकर कठेरिया को दलित चेहरे के तौर पर मोदी मंत्रिमंडल में शामिल होने की आस थी, लेकिन उनको कैबिनेट में जगह नहीं मिल पाई. अब कठेरिया की उम्मीद महेंद्र नाथ पांडे के मंत्री बनने के बाद खाली होने वाली प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी पर टिकी है. उनकी आस को मजबूती इसलिए है क्योंकि यूपी सरकार के में सवर्ण और ओबीसी चेहरों को मुख्यमंत्री या उपमुख्यमंत्री बनाया गया है, लेकिन दलित समुदाय को ऐसा कोई पद योगी सरकार में अभी तक नहीं मिला. कठेरिया इससे पूर्व भी कई अहम पदों को संभाल चुके है. वो राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष भी रह चुके है.

अशोक कटारिया

संगठन मंत्री सुनील बंसल और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के चहेते माने जाने वाले अशोक कटारिया को भी बीजेपी अध्यक्ष बनाया जा सकता है. कटारिया वर्तमान में युपी विधानपरिषद के सदस्य है. वो ओबीसी समुदाय से आते है. गुर्जर समाज में कटारिया की पकड़ काफी मजबुत मानी जाती है. कटारिया की इसी पकड़ का फायदा पार्टी को लोकसभा चुनाव में मिला है. हालांकि कटारिया की राह में सबसे बड़ा रोड़ा उनकी कम उम्र बन सकती है.

स्वतंत्र देव सिंह

यूपी में अध्यक्ष पद के लिए बीजेपी की पसंद योगी कैबिनेट में राज्य मंत्री के रुप में कार्यरत स्वतंत्र देव सिंह बन सकते है. स्वतंत्र देव बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह और पीएम मोदी के करीबी माने जाते है. राज्य मंत्री की जिम्मेदारी संभालने से पूर्व वो पीएम मोदी की चुनावी रैलियों का प्रबंधन देखते थे.

सुरेश खन्ना

योगी सरकार में संसदीय कार्यमंत्री का जिम्मा संभाल रहे यूपी बीजेपी के दिग्गज चेहरे सुरेश खन्ना को भी पार्टी अध्यक्ष पद के लिए चुन सकती है. खन्ना शांहजापुर विधानसभा सीट से लगातार 9 बार से विधायक चुने जा रहे है. लगातार जीत का यह आंकड़ा उनके पार्टी के मध्य कद को बयां करता है.

महेश शर्मा

पार्टी ब्राहम्ण चेहरे के हटने पर अगर किसी ब्राहम्ण चेहरे पर दांव लगाएगी तो महेश शर्मा की दावेदारी अध्यक्ष पद के लिए सबसे मजबूत होगी. वो पिछली मोदी सरकार में अहम विभाग संभाल चुके है. महेश शर्मा को इस बार मोदी कैबिनेट में जगह नहीं मिल पायी है.

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