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लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करिश्माई नेतृत्व और अमित शाह के राजनीतिक कौशल के दम पर बीजेपी ने बंपर जीत हासिल की. जिसमें पार्टी को 303 सीटों पर फतह हासिल हुई. सीटों की यह संख्या भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में किसी गैर कांग्रेसी दल को मिली सीटों से सबसे ज्यादा है. बंपर जीत के बाद मोदी ने अपने मंत्रिमंडल में इस बार कई नए चेहरों को शामिल किया. इसमें दो ऐसे चेहरे शामिल हुए जिनकी एंट्री सभी के लिए चौकाने वाली रही. ये चेहरे हैं बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह और पूर्व विदेश सचिव एस जयशंकर.

देश के हर हिस्से में खुद के अध्यक्ष बनने के बाद बीजेपी का झंडा बुलंद करने में अहम भूमिका निभाने वाले अमित शाह को मोदी ने अपनी कैबिनेट में गुजरात की तरह बतौर गृह मंत्री शामिल किया. वहीं अपनी कूटनीतिक सोच का लोहा मनवाने वाले एस जयशंकर को भी पीएम मोदी ने सरकार में अहम पद से नवाजा है. उन्हें विदेश मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई. दोनों की शख्सियत के अलावा उनको दिए गए पद की भी खासी अहमियत मानी जा रही है.

अमित शाह के मोदी कैबिनेट में शामिल होने के बाद अब यह तय है कि जल्द ही बीजेपी को नया अध्यक्ष मिलेगा. क्योंकि बीजेपी के भीतर एक समय, एक व्यक्ति, एक पद का सिद्धांत है. जिसके कारण एक व्यक्ति एक समय के दौरान एक से ज्यादा पदों की जिम्मेदारी नहीं संभाल सकता है. अब अमित शाह के बाद पार्टी अध्यक्ष की जिम्मेदारी कौन संभालेगा, इसे लेकर सभी के मध्य उत्सुकता है. हालांकि दिल्ली मीडिया के भीतर दो नामों को लेकर चर्चा तेज है. इनमें जेपी नड्डा और भूपेन्द्र यादव के नाम शामिल हैं. जानिए इन दोनों नेताओं के बारे में.

जगत प्रकाश नड्डाः हिमाचल प्रदेश से ताल्लुक रखने वाले इस नेता का कद पिछले कुछ सालों से बीजेपी में उरूज पर है. वहीं नड्डा का सियासी करियर वर्तमान में स्वर्णिम दौर से गुजर रहा है और हो सकता है कि उनकों आने वाले कुछ दिनों में बीजेपी के भीतर बड़ी जिम्मेदारी मिल जाए. नड्डा पीएम मोदी और पार्टी अध्यक्ष अमित शाह के काफी विश्वस्त माने जाते हैं. वे पिछली मोदी सरकार की कैबिनेट में बतौर हिमाचल चेहरे के तौर पर शामिल किये गए थे.

जेपी नड्डा ब्राहम्ण समुदाय से आते है. ब्राहम्ण समुदाय से उनका आना अध्यक्ष पद के लिए उनकी दावेदारी को और मजबूत करता है. क्योंकि इन लोकसभा चुनाव में बीजेपी को हर बार की तरह इस बार भी ब्राहम्ण समुदाय का खूब समर्थन मिला है. इसके कारण पार्टी अध्यक्ष पद पर ब्राहम्ण समुदाय को खुश करने के लिए नड्डा जैसे बड़े ब्राहम्ण चेहरे पर दांव लगा सकती है . नड्डा संघ के भी विश्वस्त है. उनका जुड़ाव राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से काफी लंबे समय से है.

नड्डा की छवि पार्टी के भीतर मेहनती और साफ सुथरे नेता की है. वो पीएम मोदी की अगुवाई वाली पहली राजग सरकार में स्वास्थ्य मंत्री की जिम्मेदारी संभाल चुके है. इस बार उनके मंत्रिमंडल में शामिल होने की पूरी संभावना थी, लेकिन वो मोदी कैबिनेट के भीतर जगह नहीं बना पाए. हो सकता है शायद पार्टी ने उनके लिए अध्यक्ष पद जैसी बड़ी जिम्मेदारी सोच रखी हो.

हालांकि नड्डा की किस्मत कई बार उनको अंतिम समय पर गच्चा दे जाती है. इसका नमूना हमने हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में देखा था. साल 2017 में हिमाचल में विधानसभा के चुनाव थे. राज्य में वीरभद्र सिंह के नेतृत्व में कांग्रेस सरकार विराजमान थी. बीजेपी के भीतर मुंख्यमंत्री पद के चेहरे के लिए पीएम मोदी और अमित शाह के करीबी होने के कारण नड्ड़ा की दावेदारी तय लग रही थी.

लेकिन पार्टी ने अन्य राज्यों की तरह पीएम मोदी के चेहरे पर ही चुनाव लड़ने का फैसला किया. लेकिन चुनाव प्रचार के खत्म होने से दो दिन पूर्व अमित शाह ने चुनाव को फंसता हुआ देख प्रेम कुमार धुमल को बतौर मुख्यमंत्री के चेहरे के तौर पर पेश किया. अमित शाह का यह ऐलान जेपी नड्डा के लिए झटके जैसा था. नड्डा की मुख्यमंत्री बनने की उम्मीद धुमिल हो चुकी थी. लेकिन अभी हिमाचल की राजनीति में ट्विस्ट आना बाकी था. नतीजे आए तो बीजेपी ने इतिहास रच दिया था.

बीजेपी ने 68 सीटों वाली हिमाचल प्रदेश विधानसभा की 44 सीटों पर जीत हासिल की थी. इतनी बड़ी जीत के बावजूद भी आलाकमान परेशान था. परेशानी का कारण यह था कि जिन प्रेम कुमार धुमल को पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने चुनाव प्रचार खत्म होने के दो दिन पूर्व मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया था. वो स्वयं सुजानपुर सीट से कांग्रेस प्रत्याशी राजेन्द्र सिंह राणा से चुनाव हार गए थे. धुमल की हार के बाद नड्डा की मुख्यमंत्री पद के लिए मृत हुई उम्मीदों में एक बार फिर से सांसे दौडने लगी.

जेपी नड्डा को लगने लगा कि अब बीजेपी आलाकमान मुख्यमंत्री पद के लिए उन्हीं पर दांव खेलेगा, लेकिन आलाकमान ने नड्डा की उम्मीदों को तोड़ते हुए अपेक्षाकृत छोटे नेता जयराम ठाकुर को मुख्यमंत्री के लिए चुना. आलाकमान ने ठाकुर का मुख्यमंत्री पद के लिए चुनाव इसलिए किया क्योंकि पूर्व में घोषित मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार प्रेम कुमार धुमल राजपूत बिरादरी से आते है. तो पार्टी ने उनके स्थान पर राजपूत चेहरे को ही चुनना मुनासिब समझा.

भूपेन्द्र यादव: पिछले काफी समय से बीजेपी के भीतर संगठन का कामकाज देख रहे भूपेन्द्र यादव को अध्यक्ष पद के लिए चुना जा सकता है. अध्यक्ष पद के लिए जो बातें उनके पक्ष में है, उनमें वो पीएम मोदी और अमित शाह से काफी लंबे समय से परिचित है. साथ ही भूपेन्द्र यादव संघ पृष्ठभूमि से आते है. तो अध्यक्ष पद के लिए उनकी पैरवी नागपुर मुख्यालय से भी की जा सकती है.

साथ ही जो बात भूपेन्द्र यादव के पक्ष सबसे महत्वपूर्ण है. वो यह है कि उनको बीजेपी संगठन के भीतर कार्य करने का लंबा अनुभव है. वो कई राज्यों के चुनाव प्रभारी रह चुके हैं और इन राज्यों में उनका कार्य काबिले तारीफ रहा था. बीजेपी आलाकमान इन कार्यों का ईनाम उन्हें बीजेपी अध्यक्ष बना कर दे सकती है. इनके अलावा संगठन का कार्य देखने वाले ओमप्रकाश माथुर और विनय सहस्त्रबुदे का नाम भी अध्यक्ष पद के लिए सामने आ रहा है.

इन दो चेहरों के अलावा पीएम मोदी और अमित शाह की तरफ से कोई चौकाने वाला नाम भी अध्यक्ष पद के लिए सामने आ सकता है. क्योंकि वो ऐसे ही फैसलों के लिए जाने जाते हैं. चाहे हरियाणा में मनोहर लाल खट्टर को मुख्यमंत्री बनाने का निर्णय हो या फिर महाराष्ट्र की कमान देवेन्द्र फड़नवीस के हाथ में देना रहा हो. दोनों मामलो में पीएम मोदी और अमित शाह ने राजनीतिक विश्लेषकों को चौका दिया था. हालांकि अध्यक्ष पद के लिए व्यक्ति का चुनाव पीएम मोदी और अमित शाह की पसंद वाले व्यक्ति का ही किया जाएगा, जिसका इंतजार हर किसी को है.

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