बिहार में एनडीए की प्रचंड जीत के बाद नीतीश कुमार ने 10वीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेकर नया इतिहास रचा है. उनके साथ कैबिनेट के 26 सदस्यों ने मंत्री पद की शपथ ली, जिनमें भाजपा के दो उपमुख्यमंत्री भी शामिल हैं. गौरतलब है कि इस बार नीतीश कुमार के मंत्रीमंडल में सिर्फ एक ही मुस्लिम नेता को स्थान मिला है, जो जदयू (JDU) के टिकट पर विधायक चुने गए हैं. यह वही नेता हैं, जो पिछली नीतीश सरकार में भी अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री रहे थे.
नीतीश सरकार 2025 की मंत्रिपरिषद में शामिल इकलौते मुस्लिम मंत्री मोहम्मद जमा खान हैं, जो कैमूर जिले की चैनपुर विधानसभा सीट से जनता दल (यूनाइटेड) के टिकट पर लगातार दूसरी बार विजयी हुए हैं. पूर्ववर्ती सरकार में भी खान अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री के रूप में अपनी जिम्मेदारी निभा चुके हैं. वर्ष 2021 से वह इस विभाग का कार्यभार संभाल रहे हैं.
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राजनीतिक करियर की बात करें तो वर्ष 2020 में मोहम्मद जमा खान बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर चुनावी मैदान में उतरे थे. इसके बाद उन्होंने जदयू का दामन थामा और मंत्री पद तक पहुंचे. एनडीए को इस बार बिहार विधानसभा चुनाव में 243 में से 202 सीटों पर विजय मिली है, लेकिन गठबंधन के भीतर मुसलमानों का प्रतिनिधित्व काफी सीमित रहा — जमा खान एनडीए के इकलौते मुस्लिम विधायक भी हैं.
हालांकि एनडीए ने चुनाव में मुस्लिम समुदाय को साधने की कोशिश की थी, लेकिन आरजेडी, कांग्रेस और एआईएमआईएम के प्रभावी प्रदर्शन के कारण गठबंधन को इस वर्ग में अपेक्षित समर्थन नहीं मिल पाया. एआईएमआईएम के पाँच उम्मीदवार विजयी रहे.
बिहार में 2022–23 के जातिगत सर्वे अनुसार राज्य की लगभग 17.7% आबादी मुस्लिम है, जबकि राजनीतिक प्रतिनिधित्व में यह संख्या काफी कम है. इस विधानसभा में कुल 11 मुस्लिम विधायक चुने गए हैं. ऐसे में नीतीश कैबिनेट में शामिल एकमात्र मुस्लिम मंत्री मोहम्मद जमा खान को इस बार भी अल्पसंख्यक कल्याण विभाग की जिम्मेदारी मिलने की प्रबल संभावना है.



























