किसने मां का दूध पिया, जो उद्धव ठाकरे को अयोध्या आने से रोक सके: राम मंदिर ट्रस्ट के महासचिव

ट्रस्ट के चंपत राय के बयान पर मचा बवाल, हनुमानगढ़ी के महंत ने बताया संतों का अपमान, विहिप, अखाड़ा परिषद, अयोध्या संत समिति ने कंगना मामले पर शिवसेना प्रमुख के अयोध्या आगमन पर विरोध की दी है चेतावनी

Uddhav Thackeray
Uddhav Thackeray

Politalks.News/UP/Maharashtra. कंगना रनौत (Kangana Ranaut) और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) के बीच चल रहे विवाद के बीच चंपत राय का एक बड़ा बयान आया है. श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट महासचिव चंपत राय ने कंगना बनाम ठाकरे जंग में उद्धव ठाकरे का समर्थन करते हुए कहा कि अयोध्या में किसने अपनी मां का दूध पिया है जो ठाकरे को यहां आने से रोक सके? दरअसल, विहिप, अखाड़ा परिषद, अयोध्या संत समिति और हनुमानगढ़ी के महंत राजू दास ने शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के अयोध्या आगमन पर उनका विरोध करने की चेतावनी दी थी. वहीं ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने उद्धव ठाकरे का अयोध्या आने पर स्वागत करने की बात कही है. इसके बाद चंपत राय के बयान को लेकर अयोध्या में बवाल उठ खड़ा हुआ है.

उद्धव ठाकरे का समर्थन करते हुए महासचिव चंपत राय ने कहा कि अयोध्या में किसने अपनी मां का दूध पिया है जो ठाकरे को यहां आने से रोक सके? राय ने कहा कि हम उद्धव ठाकरे का अयोध्या में स्वागत करते हैं. उन्होंने कहा कि राजस्थान की एक कहावत है- किसकी मां ने जीरा खाकर बच्चे को पैदा किया जो नदी को रोक सके. यहां भी किसकी मां ने जीरा खाया है जो उद्धव को रोक सके. यह सब निरर्थक बहस है. अगर विश्व हिंदू परिषद की तरफ से कोई बयान दिया गया है तो अधिकृत नहीं है.

अब चंपत राय के बयान पर विवाद शुरू हो गया है. हनुमानगढ़ी के महंत राजू दास ने उनके बयान को ईस्ट इंडिया कंपनी की भाषा कहते हुए संतों का अपमान बनाया है. चंपत राय को आड़े हाथों लेते हुए महंत राजू दास ने कहा कि वे जिस तरीके का बयान दे रहे हैं, वह ईस्ट इंडिया कंपनी की भाषा है. उनका बयान साधु संतों का अपमान है. भगवान श्री राम की धरती को गाली दे रहे हैं. भाजपा संगठन से भी अपील है कि ऐसे लोगों की अयोध्या में जरूरत नहीं है. महंत ने चंपत राय के बयान को बेहद निंदनीय बताते हुए कहा कि वे किसी मंदिर या मठ के महंत नहीं हैं. वे एक संगठन के छोटे से पदाधिकारी हैं.

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वहीं महंत राजू दास ने कंगना को देश की बेटी बताते हुए कहा कि महाराष्ट्र सरकार की कथित तानाशाही का विरोध करने वाली कंगना रनौत के मकानों और दफ्तरों पर बुलडोजर चलाया गया जो अन्याय है और इस पर चुप नहीं बैठा जा सकता. महंत ने कहा कि हमने उद्धव ठाकरे का इस नाते विरोध किया था कि अगर वह अयोध्या आते हैं तो फिर उन्हें प्रवेश नहीं दिया जाएगा. हम स्वर्गीय बाला साहब ठाकरे का विरोध नहीं कर रहे हैं. वह हिंदू हृदय सम्राट थे, जिन्होंने विवादित ढांचे के विध्वंस में सहयोग किया था, लेकिन उद्धव ठाकरे का क्रियाकलाप सनातन संस्कृति के विपरीत है. इस नाते हम उनका विरोध कर रहे हैं.

महंत राजू दास ने महराष्ट्र में संतों की हत्या का जिक्र करते हुए कहा कि महाराष्ट्र में जूना अखाड़े के संतों की हत्या दुर्भाग्यपूर्ण थी. उसके विरोध में हम लोगों ने आवाज उठाई और यह मांग रखी कि महाराष्ट्र में साधु की हत्या की जांच और दोषियों को फांसी की सजा होनी चाहिए. घटना के समय उपस्थित पुलिस वालों पर भी कार्रवाई की मांग की गई. लंबा समय बीत जाने के बावजूद महाराष्ट्र सरकार ने ध्यान नहीं दिया जबकि न्याय की गुहार लगाने वाले वकील की सड़क दुर्घटना में मौत हो गई. उनके इसके लिए मुख्यमंत्री को जिम्मेदार ठहराया.

इससे पहले अयोध्या संत समिति के अध्यक्ष महंत कन्हैया दास ने भी महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे पर अभिनेत्री कंगना के प्रताड़ना का आरोप लगाया था. उन्होंने ऐलान किया था कि यहां के संत उद्धव ठाकरे और उनके समर्थकों को अयोध्या में प्रवेश नहीं करने देंगे और उनका विरोध करेंगे. विहिप के प्रवक्ता शरद शर्मा ने भी कंगना रनोट के समर्थन में बयान देकर उद्धव सरकार के एक्शन की निंदा की थी.

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बता दें, 5 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अयोध्या में राम मंदिर का शिलान्यास किया था. इस धार्मिक कार्यक्रम में देश के सभी संप्रदायों के संतों, राम मंदिर आंदोलन से जुड़े लोगों व कुछ राजनैतिक शख्सियतों को आमंत्रित किया गया था. हिंदूत्व का प्रतिनिधित्व करने वाली शिवसेना के प्रमुख उद्धव ठाकरे इस कार्यक्र में शामिल नहीं थे. इसके बावजूद उद्धव ठाकरे ने शिलापूजन से पहले एक करोड़ रुपए मंदिर निर्माण के लिए दान किये थे.

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