Politalks.News/WestBengalElection. पश्चिम बंगाल के चुनावी दंगल में आर-पार की जंग चरम पर है. लेकिन कुछ ऐसा भी हो रहा है जिससे सभी अचंभित हैं. पश्चिम बंगाल में चुनाव प्रचार के दौरान भाजपा की ओर से सबसे ज्यादा प्रचार जिस नेता का हुआ वे शुभेंदु अधिकारी हैं. हर नेशनल चैनल और अखबार के वो आंखों के तारे थे, लेकिन जब तक की नंदीग्राम में वोटिंग नहीं हो गई, तब तक. अब 1 अप्रैल को हुई वोटिंग के बाद से शुभेंदु अधिकारी का कोई अता-पता नहीं है, किसी को नहीं पता की शुभेंदु अधिकारी और उनका परिवार कहां है. तीसरे चरण में 1 अप्रैल को उनकी नंदीग्राम सीट पर मतदान हुआ था उसके अगले दिन से ही उनका अता-पता नहीं है. हो सकता है कि शुभेंदु अधिकारी स्थानीय स्तर पर कहीं प्रचार के काम में लगे हो, लेकिन अब राष्ट्रीय या प्रदेश के मीडिया में उनको नहीं दिखाया जा रहा है. यहां तक कि उसके बाद से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी या अमित शाह की सभाओं में भी वे नहीं दिखे हैं. ऐसा लग रहा है कि भाजपा जिस मकसद से उनको ले आई थी वह पूरा हो गया और उसके बाद अब पार्टी को उनकी कोई खास जरूरत नहीं है.
शुभेंदु अधिकारी को बीजेपी में इसलिए लाया गया था कि वे मेदिनीपुर के इलाके में ममता बनर्जी के वर्चस्व को तोड़ेंगे. हालांकि ममता बनर्जी ने नंदीग्राम से चुनाव लड़ कर सारे समीकरण बिगाड़ दिए. फिर भी अगर उस इलाके में भाजपा लड़ती हुई दिखी तो उसका कारण शुभेंदु अधिकारी और उनका परिवार ही था. लेकिन इसे लेकर भाजपा के अंदर बहुत विरोध हो गया था. पार्टी के पुराने नेताओं ने शुभेंदु अधिकारी परिवार का विरोध किया था. शुभेंदु अधिकारी अपने आप को इतने जोर-शोर से मुख्यमंत्री का दावेदार पेश करने लगे थे कि भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष को कहना पड़ा कि भाजपा की सरकार बनती है तो कोई ऐसा व्यक्ति भी मुख्यमंत्री बनेगा, जो विधायक नहीं हो. यह भी कहा जा रहा है कि भाजपा नेताओं के विरोध की वजह से शुभेंदु अधिकारी को लाइमलाइट से हटाया गया है. तृणमूल कांग्रेस से बीजेपी में आए मुकुल रॉय के भी लगभग यही हाल हैं, वो भी पहले से ही लाइमलाइट से बाहर हैं.
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बता दें कि बीजेपी के भ्रम को तो़ड़ने के लिए ही ममता बनर्जी ने अपनी सीट भवानीपुर से चुनाव नहीं लड़कर नंदीग्राम में शुभेंदु अधिकारी के सामने चुनाव लड़ने का ऐलान किया था, नंदीग्राम तभी से बंगाल चुनाव की सबसे हॉट सीट बनी हुई थी, जिसपर सभी की निगाहें थी. नेशनल मीडिया पर भी नंदीग्राम सीट छाई हुई थी और मतदान से पहले शुभेंदु अधिकारी मीडिया के आंखों के तारे थे.