उत्तराखंड में जहां BJP ने तीसरी बार बदल दिया मुख्यमंत्री, वहीं कांग्रेस कुमाऊं और युवा दांव में ही ‘अटकी’

उत्तराखंड में कांग्रेस नहीं बना पा रही नई टीम, बीजेपी ने कुमाऊं और युवाओं को अपने पाले में मिलाकर कांग्रेस की रणनीति पर पानी 'फेर' दिया, भाजपा की तर्ज पर ही राज्य में कांग्रेस भी युवा चेहरों की टीम मैदान में उतार सकती हैै, मगर हरीश रावत और प्रीतम सिंह में 'तालमेल' बैठ पाए तो

पंजाब के घमासान में उलझा कांग्रेस आलाकमान
पंजाब के घमासान में उलझा कांग्रेस आलाकमान

Politalks.News/Uttrakhand. उत्तराखंड में विपक्षी पार्टी कांग्रेस के नेता काफी दिनों से नए नेतृत्व की ‘ताजपोशी‘ को लेकर दिल्ली के फैसले का इंतजार ही करते रहे इस बीच भाजपा हाईकमान ने उत्तराखंड में तीसरी बार मुख्यमंत्री को बदलते हुए पुष्कर सिंह धामी को ‘कमान‘ सौंप कर कांग्रेस की रणनीति ‘फेल‘ कर दी. असल में राज्य कांग्रेस के बुजुर्ग नेताओं के सामने भाजपा आलाकमान ने युवा धामी को मुख्यमंत्री बना कर कांग्रेस की परेशानी और बढ़ा दी है. इसके साथ भाजपा ने ‘मिशन-22‘ के एजेंडे में राज्य के युवाओं को ‘आकर्षित‘ करने के लिए सियासी दांव चल दिया है . दूसरी ओर कांग्रेस के नेता नेतृत्व परिवर्तन को लेकर दिल्ली की ‘दौड़‘ लगाए हुए हैं. यही नहीं कई बड़े नेताओं ने तो 15 दिनों से आलाकमान के दरबार में ‘डेरा‘ भी डाल रखा है. लेकिन अभी तक कांग्रेस हाईकमान ने उत्तराखंड को लेकर कोई फैसला नहीं किया है. जिससे पार्टी के नेता और कार्यकर्ताओं में ‘मायूसी‘ छाई हुई है. वहीं धामी को अभी मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाले पांच दिन ही हुए हैं लेकिन उन्होंने युवाओं के लिए ‘लोकलुभावन‘ फैसले लागू करना शुरू कर दिया है.

उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव के लिए सात महीने का समय रह गया है, इसी को देखते हुए धामी हर रोज फटाफट योजनाओं को लागू करने में लगे हुए हैं. वहीं पुष्कर सिंह धामी को मुख्यमंत्री बनाए जाने से नाराज सतपाल महाराज हरक सिंह रावत, बिशन सिंह चुफाल कैबिनेट मंत्री बना कर पार्टी केंद्रीय नेतृत्व ने ‘नाराजगी‘ भी दूर कर दी है. लेकिन राज्य में कांग्रेस नेताओं के आपसी ‘मनमुटाव‘ के चलते एकजुट नहीं हो पा रही है. दूसरी ओर कमजोर माना जा रहा कुमाऊं मंडल को भी भाजपा साधने की कोशिश में है. इसका मुख्य कारण कांग्रेस के कद्दावर नेता हरीश रावत से पार्टी को मिलने वाली चुनौती बताया जा रहा है. यही कारण है कि ‘कुमाऊं से क्षत्रिय मुख्यमंत्री धामी और अब ब्राह्मण अजय भट्ट को केंद्र में राज्य मंत्री का जिम्मा दिया गया है.

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आपको बता दें कि उत्तराखंड में तकरीबन 80 लाख वोटर हैं, इसमें से 44 लाख के करीब युवा वोटर हैं, जिन पर भाजपा की नजर है. विधानसभा चुनाव को देखते हुए कांग्रेस भी अब राज्य में ‘बदलाव‘ का मुड बना चुकी हैं . हालांकि कांग्रेसी नेता कई दिनों से तैयारी में जुटे थे लेकिन ऐन मौके पर भाजपा ने उत्तराखंड में पुष्कर सिंह धामी को सीएम बनाकर बड़ा ‘दांव‘ खेला. भाजपा आलाकमान के इस दांव से कांग्रेस समेत विपक्षियों को बड़ा झटका लगा है. कांग्रेस दिल्ली में बैठकर बीजेपी के खिलाफ रणनीति बना रही थी, इसी बीच भारतीय जनता पार्टी ने कुमाऊं और युवाओं को अपने पाले में मिलाकर कांग्रेस की रणनीति पर पानी ‘फेर‘ दिया. अब माना जा रहा है कि कांग्रेस भी भाजपा को टक्कर देने के लिए राज्य में नए नेतृत्व को लेकर बदलाव कर सकती है. भाजपा की तर्ज पर ही राज्य में कांग्रेस भी युवा चेहरों की टीम मैदान में उतार सकती हैै. लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह ‘तालमेल‘ न बैठ पाने के कारण दिल्ली केंद्रीय नेतृत्व के लिए एक बड़ा ‘सिरदर्द‘ बना हुआ है. इसके लिए 15 दिनों से देहरादून से लेकर दिल्ली तक पार्टी के बीच लगातार मंथन चल रहा है लेकिन अभी तक बात नहीं बन पाई है.

आलाकमान की व्यस्तता और अंतर्कलह से राज्य के कांग्रेसी नेताओं में मची खींचतान
बता दें कि इंदिरा हृदयेश के पिछले महीने निधन होने के बाद पार्टी में नेता प्रतिपक्ष का पद खाली पड़ा हुआ है. लेकिन अभी कांग्रेस हाईकमान पंजाब-छत्तीसगढ़ में जारी उठापटक में ‘उलझी‘ हुई है. दूसरी ओर उत्तराखंड में कांग्रेस की अंतर्कलह की वजह से पार्टी में नई टीम नहीं बन पा रही है. वर्तमान कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह और पार्टी के महासचिव और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के बीच ‘मतभेद‘ जगजाहिर है. दोनों ही ‘ठाकुर समाज‘ से आते हैं. फिलहाल हरीश कांग्रेस ‘पंजाब के प्रभारी‘ भी हैं. पिछले दिनों पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और नवजोत सिंह सिद्धू के बीच सियासी घमासान को ‘सुलह‘ कराने में गांधी परिवार ने तीन सदस्यीय पैनल कमेटी में हरीश रावत को भी जिम्मेदारी सौंप रखी थी. लेकिन अभी पंजाब में अमरिंदर और सिद्धू के बीच मामला ‘शांत‘ नहीं हुआ है. लेकिन साल 2022 में विधानसभा चुनाव को देखते हुए पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत अपने राज्य में अधिक फोकस करना चाहते हैं, इसके लिए उन्होंने बाकायदा पंजाब प्रभारी से मुक्त होने के लिए आलाकमान से इच्छा भी जता चुके हैं.

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बता दें कि ‘हरीश रावत भी कुमाऊं से आते हैं. हरीश चुनाव से पहले राज्य में खुद को मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित करने के पक्ष में कई बार बयान दे चुके हैं, रावत ने कांग्रेस हाईकमान से चेहरे पर चुनाव लड़ने कि मांग की है. दूसरी ओर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह और उनके समर्थक पूर्व हरीश रावत के खिलाफ विरोध करने में लगे हुए हैं. इंदिरा हृदयेश के निधन के बाद कांग्रेस पार्टी के भीतर नेता प्रतिपक्ष के चयन का मामला दिल्ली हाईकमान के ‘पाले‘ में है. आलाकमान पंजाब और छत्तीसगढ़ में पार्टी के मसलों में व्यस्त होने से इस ओर ध्यान नहीं दे पा रहा है. यही कारण है कि पार्टी केंद्रीय नेतृत्व उत्तराखंड में किसे नेता प्रतिपक्ष और किसे प्रदेश अध्यक्ष या युवा चेहरे पर दांव लगाए, तय नहीं कर पा रहा है. प्रीतम सिंह ने बताया कि जल्द हाईकमान उत्तराखंड में पार्टी की नई टीम को लेकर फैसला करेगा, दूसरी ओर हरीश रावत भी साफ कह रहे हैं कि प्रदेश अध्यक्ष सहित तमाम फैसले हाईकमान ही करेगा और जो भी निर्णय पार्टी करेगी वो सभी को मान्य होगा.

वहीं कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष धीरेंद्र प्रताप ने कहा कि दिल्ली हाईकमान इस हफ्ते के आखिर में नेता प्रतिपक्ष के मामले पर कांग्रेस अपना निर्णय घोषित कर देगी. ऐसे में जब विधानसभा चुनावों में कम ही समय बचा है तो देखने वाली बात ये होगी कि कांग्रेस हाईकमान कब इस पर फैसला लेता है जिससे पार्टी नेता जल्द से जल्द चुनाव के लिए तैयार हो सके. बता दें की प्रीतम सिंह को नेता प्रतिपक्ष, विधायक गणेश गोदियाल को प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को चुनाव संचालन समिति का अध्यक्ष बनाने की भी ‘चर्चा‘ है. अब देखना होगा कांग्रेस हाईकमान भाजपा के पुष्कर सिंह धामी की टक्कर में किसी पुराने नेता को सामने लाती है या कोई नए युवा चेहरे को आगे करती है यह आने वाले दिनों में मालूम होगा.

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