Politalks.News/Rajasthan. राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट कैंप में जारी खींचतान को खत्म करने की कवायद लगभग पूरी कर ली गई है. आज और कल यानि 4 अगस्त तक घोषणाएं भी होने के आसार हैं. इस पूरी कवायद के बीच गहलोत सरकार के नंबर दो और UDH मंत्री शांति धारीवाल का चौंकाने वाले बयान आया है. धारीवाल के हाईकमान को चुनौती देने वाले इस वायरल वीडियो ने सियासत को गरमा दिया है. एक तरफ गांधी परिवार अपने वर्चस्व को स्थापित करने में लगा है. पंजाब, उत्तराखंड के जरिए आलाकमान ने अपने स्थिति मजबूत करने की कोशिश में लगा है और दूसरी तरफ गहलोत सरकार के मंत्री और सिपहसालार शांति धारीवाल चुनौती दे रहे हैं. वहीं राजस्थान कांग्रेस के ही एक तटस्थ नेता का कहना है कि धारीवाल जी हमेशा सोच समझकर बोलते हैं और ये पायलट कैम्प को गहलोत खेमे की और से ये दो टूक संदेश है कि या तो पार्टी के साथ मिलकर रहें, सरकार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करें नहीं तो ‘अपनी ढपली, अपना राग’ बजाते रहें. बताया जा रहा है कि धारीवाल का ये बयान दुस्साहस की पराकाष्ठा नहीं बल्कि सोच समझकर असंतुष्टों का मनोबल तोड़ने की रणनीति का हिस्सा है. इसमें वो ये साफ साफ संकेत दे रहे हैं कि गहलोत के नेतृत्व में ही कांग्रेस और पार्टी विधायकों का भला है.
दरअसल, वायरल हो रहे वीडियो में एक पत्रकार द्वारा मंत्री शांति धारीवाल से राजस्थान में होने वाले बदलावों और अजय माकन के फीडबैक के बारे में पूछा जा रहा है. इसके जवाब में धारीवाल तल्ख लहजे में दो बार कहते हैं- ‘कौन कर रहा है बदलाव? यहां तो अशोक गहलोत ही हैं, जो कुछ हैं‘. शांति धारीवाल का 13 सेकेंड का यह वीडियो सोशल मीडिया के साथ-साथ सियासी गलियारों में जबरदस्त चर्चा का विषय बना हुआ है. इससे पहले प्रदेश प्रभारी अजय माकन ने भी रायशुमारी के बाद मैं ही दिल्ली हूं कह कर सभी को चौंका दिया था. अब सियासी जानकारों का कहना है कि जब प्रदेश प्रभारी दंभ भरकर कह रहे हैं कि मैं ही दिल्ली हूं तो रायशुमारी ही क्यों की गई और जब धारीवाल ये कह रहे हैं कि जो कुछ है अशोक गहलोत है तो आलाकमान और प्रदेश प्रभारी की पूरी कवायद पर सवाल खड़े हो रहे हैं. इन बयानों के बाद ये भी कहा जा रहा है कि कांग्रेस में सबकुछ सही नहीं चल रहा है.
हाड़ौती के कांग्रेस दिग्गज शांति धारीवाल का यह वीडियो 30 जुलाई की शाम का बताया जा रहा है. प्रदेश प्रभारी अजय माकन के फीडबैक कार्यक्रम के खत्म होने के बाद शांति धारीवाल बीकानेर दौरे पर गए थे. रास्ते में सीकर जिले के लक्ष्मणगढ़ में कुछ देर रुके थे. लक्ष्मणगढ़ में एक पत्रकार ने धारीवाल से कांग्रेस में संभावित बदलावों और अजय माकन के फीडबैक के बारे में पूछा तो धारीवाल ने पलटकर जवाब दिया कि, ‘कौन कर रहा है बदलाव? यहां जो कुछ हैं, वह अशोक गहलोत ही हैं’
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हाड़ौती क्षेत्र से आने वाले दिग्गज कांग्रेसी नेता शांति धारीवाल मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बाद सरकार में नंबर दो की हैसियत रखते हैं. यह बयान ऐसे वक्त आया जब प्रदेश प्रभारी अजय माकन 28 और 29 जुलाई को कांग्रेस विधायकों से वन टू वन रायशुमारी कर चुके थे और इसके बाद 30 जुलाई को कांग्रेस पदाधिकारियों के साथ बैठक करने के बाद कहा था कि बहुत से मंत्री ओहदे छोड़कर संगठन में काम करना चाहते हैं. शांति धारीवाल के इस बयान को गहलोत विरोधियों को खुली चुनौती के साथ-साथ हाईकमान को चुनौती के रूप में भी देखा जा रहा है.
आपको बता दें कि कांग्रेस हाईकमान जब सीएम अशोक गहलोत और सचिन पायलट खेमों के बीच खींचतान मिटाने के प्रयास में है, ऐसे वक्त में यह बयान सियासी रूप से अलग नैरेटिव बना रहा है. यह बयान ‘राजस्थान में गहलोत ही कांग्रेस’ वाली लाइन पर दिया हुआ बयान माना जा रहा है. साथ ही कुछ सियासी जानकारों का कहना है कि ये बयान प्रदेश प्रभारी अजय माकन का भी अपमान है. जब धारीवाल के अनुसार कांग्रेस में बदलाव सीएम अशोक गहलोत को करने हैं. तो क्यों प्रदेश प्रभारी से रायशुमारी करवाई गई. तीन दिन तक विधायकों और पार्टी पदाधिकारियों का समय खराब किया गया.
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ऐसा ही एक बयान प्रदेश प्रभारी अजय माकन में रायशुमारी के बाद दिया था माकन से जब पूछा गया था कि रायशुमारी के बाद दिल्ली आलाकमान क्या करने वाली है. इस पर माकन ने कहा था कि, ‘मैं ही दिल्ली हूं’. अब इन बयानों से ये साफ हो जाता है कि दोनों ही आलाकमान को चुनौती हैं. इधर मंत्री शांति धारीवाल ने तो प्रदेश प्रभारी की रायशुमारी पर सवाल ही उठा दिए है. माना जा रहा है कि धारीवाल ने इस बयान के जरिए अजय माकन के उस बयान का जवाब दिया है, साथ ही शांति धारीवाल ने यह स्पष्ट कर दिया है कि जो तय होगा वह अशोक गहलोत की मर्जी से ही होगा.
आपको बता दें, नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के ट्रबल शूटर्स में से एक माने जाते हैं. पहले भी सुलह के प्रयासों पर धारीवाल सवाल खड़े कर चुके हैं. शांति धारीवाल ने पिछले महीने भी एक सवाल के जवाब में कहा था कि, कांग्रेस में फूट थी, है और रहेगी.
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अब जब राजस्थान में सीएम गहलोत की सबकुछ हैं और प्रदेश प्रभारी अजय माकन ही ये कह रहे हैं ‘मैं ही दिल्ली हूं’. तो फिर क्यों इतनी कवायद की जा रही है. क्यों नेताओं को सीएम गहलोत से मिलने भेजा जा रहा है? क्यों विधायकों औऱ पार्टी पदाधिकारियों से रायशुमारी की गई है? क्यों विधानसभा में दो दिन तक विधायकों को बुलाया गया? दोनों दिग्गजों की रस्साकशी में सरकार का काम तो प्रभावित हो ही रहा है. 9 मंत्री पद खाली हैं इन विभागों को अधिकारियों के भरोसे सरकार ने छोड़ रखा है. जनता भी चुपचाप सारा माजरा समझने की कोशिश कर रही है. राजनीति में वोटर्स के पास एक दिन होता है. शायद उसी दिन का इंतजार कर रही है अब राजस्थान की जनता!