Politalks.News/AndhraPradesh. एक बार फिर दो राजनीतिक दलों के बीच ताली बजने लगी है. एक दल ने दिल्ली में बैठकर ताली बजाई तो दूसरे ने राजधानी से लगभग 1800 किलोमीटर दूर आंध्र प्रदेश से ताली बजाकर संकेत दिए कि हम आपके कुनबे में शामिल होने के लिए तैयार हैं. यह ताली बजाने का खेल मंगलवार को सियासी गलियारों में खूब सुर्खियों में है. आइए दोनों दलों की बेकरारी को आगे बढ़ाते हैं, पहले बात करेंगे भाजपा यानी एनडीए की. इसके लिए आपको लिए चलते हैं एक साल पहले, पिछले वर्ष इसी अक्टूबर माह में जब महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव हुए थे, चुनाव परिणाम के बाद शिवसेना ने मुख्यमंत्री पद को लेकर भाजपा एनडीए से अपना नाता तोड़ दिया था.
चूंकि शिवसेना और भाजपा एक ही विचारधारा की पार्टी होने के बावजूद उद्धव ठाकरे का एनडीए छोड़ना, नरेंद्र मोदी और अमित शाह के लिए बड़ा झटका था. अभी पिछले दिनों कृषि कानून के विरोध में भाजपा के सबसे पुराने वफादार साथी अकाली दल ने अपने आपको एनडीए से अलग कर लिया. इससे पीएम मोदी और अमित शाह की ताकत कमजोर होने के साथ एनडीए में भी बिखराव देखा गया.
यह भी पढ़ें: एलजेपी के एनडीए से अलग होने पर भाजपा की चुप्पी कहीं न कहीं नीतीश के लिए खतरे की घण्टी
ऐसे में शिवसेना और अकाली दल के जाने के बाद वाईएसआर कांग्रेस को एनडीए में शामिल करने के लिए पीएम मोदी ने दोनों हाथ आगे बढ़ा दिए हैं. वहीं दूसरी ओर वाईएसआर कांग्रेस प्रमुख और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी भी एनडीए में शामिल होने के लिए फड़फड़ा रहे हैं.
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी ने आज पीएम मोदी से की मुलाकात-
कुछ दिनों से कयास लगाए जा रहे हैं कि वाईएसआर कांग्रेस ने एनडीए में शामिल हो सकती है. इसी कड़ी में आज आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी ने दिल्ली आकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लंबी मुलाकात की. दोनों की मुलाकात के बाद सियासी अटकलों का बाजार गर्म है. ‘सीएम रेड्डी का पिछले 15 दिनों में यह दिल्ली का दूसरा दौरा है. पिछली बार रेडी जब दिल्ली आए थे तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात नहीं हो सकी थी, गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात करके लौट गए थे, लेकिन जगन मोहन रेड्डी उस समय एनडीए में शामिल होने के संकेत दे गए थे.’ आधिकारिक सूचना के मुताबिक आज जगन मोहन रेड्डी अपने राज्य आंध्र प्रदेश को विशेष पैकेज की मांग करने के लिए पीएम मोदी से मिलने आए हैं. जगन ने प्रधानमंत्री से आंध्र प्रदेश के विकास के लिए कई मुद्दों पर चर्चा की.
आपको बता दें कि पिछले दिनों जगन सरकार ने केंद्र द्वारा जीएसटी मुआवजा भुगतान की भरपाई के लिए अतिरिक्त उधार लेने के लिए मोदी सरकार द्वारा दिए गए विकल्प को भी स्वीकार कर लिया था, हालांकि तेलंगाना सहित 12 से अधिक राज्यों ने इसका विरोध किया था. तब भी इस बात के कयास लगाए गए थे कि वाईएसआर कांग्रेस एनडीए का हिस्सा बनना चाहती है. पीएम मोदी और सीएम जगन रेड्डी से मुलाकात के बाद सियासी पारा गरम हो गया है. वहीं दूसरी ओर वाईएसआर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और आंध्र प्रदेश विधानसभा में पार्टी के मुख्य सचेतक श्रीकांत रेड्डी ने कहा कि राज्य में सत्तारूढ़ वाईएसआर कांग्रेस केंद्र में एनडीए के साथ जुड़ने पर बातचीत के लिए तैयार है, बशर्ते राज्य को विशेष दर्जा दे दिया जाए और आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम में किए गए सभी वादे पूरे किए जाएं.
वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद पीएम मोदी की वाईएसआर कांग्रेस पर है नजर–
वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को केंद्र में जितनी बड़ी सफलता मिली थी उतना ही जगनमोहन रेड्डी ने आंध्र प्रदेश में अपना जलवा दिखाया था. बता दें कि आंध्र प्रदेश के विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव एक साथ हुए थे. आंध्रप्रदेश राज्य में सत्ता परिवर्तन की लहर इतनी तेज थी कि विधानसभा चुनाव में वाईएसआर कांग्रेस पार्टी ने सिर्फ बहुमत नहीं बल्कि प्रचंड जीत हासिल की है. जगन मोहन रेड्डी की पार्टी ने विधानसभा की 175 में से 151 सीटें अपने नाम कर लीं. विधानसभा और लोकसभा के चुनाव में जगनमोहन रेड्डी ने टीडीपी के प्रमुख एन चंद्रबाबू नायडू की सियासत समेट दी थी. इसके साथ ही राज्य में 25 लोकसभा सीटों में से वाईएसआर कांग्रेस ने 22 सीटों पर कब्जा किया था, वहीं नायडू की तेलुगू देशम पार्टी 3 सीटों पर ही विजय प्राप्त कर सकी थी.
यह भी पढ़ें: हाथरस कांड पर योगी की कुर्सी हिला अब उपचुनावों में कांग्रेस तलाश रही आगे की सियासी जमीन
जगनमोहन रेड्डी को मिली अपार सफलता के बाद पीएम मोदी ने उन्हें शुभकामनाएं देते हुए अपने प्रधानमंत्री शपथ ग्रहण में दिल्ली आमंत्रित किया था. पीएम मोदी तभी से जगनमोहन रेड्डी को अपने साथ लेकर चलना चाह रहे हैं. गौरतलब है कि कुछ दिनों बाद प्रधानमंत्री मोदी अपने मंत्रिमंडल का विस्तार करने वाले हैं, ऐसे में संभव है कि नए कैबिनेट में पीएम वाईएसआर कांग्रेस के कोटे से कुछ मंत्रियों को शामिल कर सकते हैं. पिछले दिनों अकाली दल की केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर के इस्तीफा देने के बाद कई विभाग मोदी मंत्रिमंडल में खाली चल रहे हैं. अगर पीएम मोदी वाईएसआर कांग्रेस को एनडीए में शामिल कराने में सफल हो जाते हैं तो भाजपा को शिवसेना, अकाली दल की भरपाई बहुत हद तक पूरी हो सकेगी.