जब सीएम गहलोत ने मंच से पूछा- क्या ट्रांसफर के देने पड़ते हैं पैसे? तो ‘गुरुजनों’ ने लगा दी मंत्रीजी की क्लास

शिक्षक सम्मान समारोह में हुआ अजब वाक्या, मुख्यमंत्री गहलोत ने कार्यक्रम में मौजूद शिक्षकों से पूछ लिया कि ट्रांसफर के लिए पैसे देने पड़ते हैं क्या? इस पर गुरुजनों ने भर दी हामी, इसे सीएम ने बताया दुखदायी, हालांकि शिक्षा मंत्री डोटासरा ने एक चाय तक नहीं पीने का किया दावा, लेकिन सियासी गलियारों में चर्चा का दौर शुरू, सीएम की मौजूदगी में शिक्षकों के हत्थे चढ़े डोटासरा?

'हां देने पड़ते हैं ट्रांसफर के पैसे'
'हां देने पड़ते हैं ट्रांसफर के पैसे'

Politalks.News/Rajasthan. शिक्षा विभाग की ओर से जयपुर के बिड़ला ऑडिटोरियम में आज हुआ शिक्षक सम्मान समारोह सियासी गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ है. समारोह में सीएम गहलोत के सम्बोधन के दौरान एक बारगी तो ऐसी स्थिति बन गई की हर कोई अचंभित रह गया. दरअसल, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मंच से अपने भाषण के बीच में ही शिक्षकों से पूछा की क्या आपको ट्रांसफर के लिए पैसे देने पड़ते हैं, तो उपस्थित ‘गुरुजनों‘ ने मौका नहीं चूका और शिक्षा मंत्री की उपस्थिति में कह दिया है, हां हमें ट्रांसफर के लिए पैसे देने पड़ते हैं. इसके बाद सीएम गहलोत शिक्षा मंत्री की तरफ देखते ही रह गए. हालांकि की सीएम गहलोत के संबोधन के बाद शिक्षा मंत्री डोटासरा एक बार वापस उठे सफाई देते हुए नई ट्रांसफर नीति बनाने की घोषणा की. इस तरह अचानक हुआ यह मामला सियासी गलियारों में चर्चा का विषय बन गया है.

जब सीएम गहलोत ने पूछा- क्या ट्रांसफर के लिए देने पड़ते हैं पैसे?
अब हम आपको बताते हैं कि आखिर पूरा मामला क्या है. मंगलवार को बिरला ऑडिटोरियम में आयोजित हुए शिक्षक सम्मान समारोह में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने संबोधन के दौरान समारोह में मौजूद शिक्षकों से पूछ लिया कि ट्रांसफर के लिए क्या आपको पैसे खिलाने पड़ते हैं क्या? खुले मंच से सीएम गहलोत के सवाल को भुनाते हुए उपस्थित गुरुजनों ने भी कह दिया कि हां हमारा ट्रांसफर बिना पैसे लिए नहीं होता है. इस पर सीएम ने मंच पर बैठे शिक्षा मंत्री डोटासरा कि और कुछ देर घूरा और बोले कि, ‘कमाल है. बहुत दुख की बात है पैसे देकर शिक्षक पोस्टिंग करवाए. इसके लिए पॉलिसी बन जाए.’ सीएम गहलोत ने आगे कहा कि मेरा मानना है कि ऐसी पॉलिसी बने की शिक्षक अपने ट्रांसफर को लेकर निश्चिंत रहें की अपना ट्रांसफर तो दो साल बाद होगा या चार साल बाद ही होगा‘. सीएम गहलोत ने चुटकी लेते हुए कहा कि, ‘पॉलिसी बन जाएगी तो ये ना शिक्षक एमएलए के कपड़े फाड़ेंगे और ना एमएलए शिक्षा मंत्री के‘. इस पूरे वाक्ये के दौरान सभागार में जमकर तालियां भी बजीं.

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मैंने और मेरे स्टाफ ने नहीं पी किसी की चाय भी- डोटासरा

अचानक हुए इस वाकये से हतप्रभ शिक्षामंत्री गोविंद सिंह डोटासरा सीएम गहलोत के संबोधन के बाद एक बार फिर पोडियम पर और माइक संभालते हुए बोले कि, सीएम साहब ने बात छेड़ी है तो मैं यह बता दूं कि मेरे शिक्षा मंत्री रहते हुए मेरे या मेरे स्टाफ में से किसी ने एक चाय पी हो तो बता दें. निश्चित रूप से सीएम साहब का इशारा था कहीं ना कहीं जेब कट जाती है. वो मेरे नेतृत्व में मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में शिक्षकों की ट्रांसफर नीति बनाकर खत्म कर दिया जाएगा’.

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शिक्षकों की गरिमामयी उपस्थिति में हुए इस वाक्ये को लेकर सियासी गलियारों में चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है. इसको लेकर यह चर्चा हो रही है कि यह तो आज अति ही हो गई मुख्यमंत्री के पूछने पर शिक्षकों ने शिक्षा मंत्री की उपस्थिति में स्वीकारा कि उनके ट्रांसफ़र पैसे दे कर होते हैं’. ऐसा हाल के समय में कभी नहीं हुआ है. इस तरह खुले आम शिक्षक ट्रांसफर में भ्रष्टाचार की बात सामने आने के बाद अब बीजेपी को एक और मौका गहलोत सरकार को घेरने का मिल गया है. आपको बता दें समारोह में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 99 शिक्षकों को राज्यस्तरीय शिक्षक सम्मान से सम्मानित किया.

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