Politalks.News/Rajasthan. रविवार को वीसी के माध्यम से हुई सर्वदलीय बैठक में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि कोरोना की पहली लहर में भय का माहौल ज्यादा बना लेकिन मौतें कम हुई. दूसरी लहर में वेव भय गायब हुआ और मौतों का आंकड़ा ज्यादा बढा. सरकारी-गैर सरकारी हर व्यक्ति ने संकट काल में भागीदारी निभाई. सीएम गहलोत ने कहा कि राजनीति तो जिन्दगी भर होती रहेगी, हम लोग माइंड नहीं करते, केवल आगाह करते हैं. हम भारत सरकार को फीडबैक देते हैं तो वह आलोचना नहीं है पर कई बार इसे अन्यथा रुप में ले लिया जाता है, 18 प्लस को टीका लगाना राज्य सरकार के लिए संभव नहीं था. तो ये केन्द्र को बताना हमारा धर्म था. सुप्रीम कोर्ट तक हम लोगों को जाना पड़ा. ऐसे वक्त में कमियां बतानी चाहिए. नहीं बताएंगे तो कैसे पता चलेगा कि देश क्या सोच रहा है. सीएम गहलोत ने कहा जनता हमारी लड़ाई देखती होगी तो क्या सोचती होगी. कई बार नेताओं के सलाहकार गलत सलाह दे देते हैं.
प्रदेश में वैक्सीन की बर्बादी को लेकर चल रही खबरों को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि राजस्थान में वैक्सीन की बर्बादी की खबरें गलत हैं और इस मामले में हमें बदनाम किया जा रहा है. मुख्यमंत्री ने कहा कि केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने भी वैक्सीन बर्बादी की खबरों के आधार पर पत्र लिख दिया. सीएम ने कहा कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री एक बार हम ही से पूछ लेते. सीएम गहलोत ने कहा हमारे यहां साढे 11 लाख वैक्सीन बर्बाद बता दी, जबकि दूसरे राज्यों के केवल प्रतिशत में आंकड़े दिए. सीएम ने कहा कि हमारे अधिकारियों ने केन्द्र के निर्देशों को सही तरीके से फॉलो किया. अभी भारत सरकार और राज्य सरकारों को भी मिलकर काम करना चाहिए. ऐसे वक्त में भेदभाव नजर नहीं आना चाहिए.
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रविवार को सीएम आवास से कोविड वैक्सीनेशन सहभागिता को लेकर हुए संवाद कार्यक्रम में लोकसभा स्पीकर ओम बिडला, विधानसभा स्पीकर सीपी जोशी, सभी राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों, सांसदों, विधायकों, धर्मगुरूओं और एनजीओं के प्रतिनिधि भी जुड़े. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि हमें सोशल वर्कर बनकर काम करना है. एक-दूसरे का सहयोग करना है. सभी मतभेद भूल जाएं. अभी मीडिया को भी सरकार का सहयोग करना चाहिए.
मुख्यमंत्री गहलोत ने कहा कि डेल्टा वेरिएंट बहुत खतरनाक आया. इसने ब्लैक फंगस जैसी कई दूसरी बीमारियां भी पैदा कर दी. आगे इसका क्या रुप होगा, किसी को नहीं मालूम. अब डेल्टा प्लस वेरिएंट आ गया है. अब तक करीब 700 तरह के म्यूटेंट हो चुके हैं. हमने तीसरी लहर तक की तैयारी कर ली है.
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि वैक्सीन से मना करने का अधिकार किसी को नहीं है. किसी को दूसरे की जान जोखिम में डालने का अधिकार नहीं है. जिन इलाकों में वैक्सीन लगाने से लोग मना कर रहे हैं उनमें जागरूकता लाई जाएगी, ऐसे इलाकों में में 80 फीसदी से ज्यादा जिन गांवों में वैक्सीनेशन होगा वहां उन पंचायतों को 50 लाख या इसके आसपास विकास के लिए अलग से देंगें.
विधायक कोष का पैसा हैल्थ सेक्टर पर होगा खर्च
मुख्यमंत्री ने कहा कि 18 से 44 साल के युवाओं के वैक्सीनेशन के लिए पूर्व में विधायक कोष से लिए गए पैसे का इस्तेमाल अब हैल्थ सेक्टर पर ही खर्च किया जाए. फ्री वैक्सीन के लिए राज्य सरकार ने जो पैसा लिया था, विधायक फंड का पैसा हम वापस लौटाएंगे, लेकिन उसकी गाइडलाइन बनाकर उसे इस साल केवल स्वास्थ्य सेवाओं पर ही खर्च करना होगा. सभी विधायक एमएलए फंड का उपयोग स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने में करें, अगली बार अपने तरीके से खर्च करें.
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वहीं ओपन संवाद में चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा ने कहा कि वैक्सीन बर्बादी को लेकर बे सिर-पैर की बातें की गई. कई राजनेताओं ने कह दिया साढे 11 लाख डोज बर्बाद हो गई. पहले सच्चाई जाननी चाहिए. हैल्थ वर्कर्स का मनोबल तोड़ने की कोशिश नहीं होनी चाहिए. डॉ. रघु शर्मा ने कहा कि वेक्सीनेशन का आज तक का इतिहास रहा है कि हमेशा वैक्सी भारत सरकार द्वारा फ्री लगाई जाती है, वेक्सीन की तीन-तीन तरह की कीमत तय कर दी गई.
चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के दखल के बाद प्रधानमंत्री ने फ्री वेक्सीनेशन की घोषणा की. यह पहले हो जाना चाहिए था, भ्रान्तियां नहीं होती, समय बर्बाद नहीं होता. वेक्सीनेशन भी तभी कारगर है जब टाइम बाउंड हो. मास्क की अनिवार्यता का कानून हमने बनाया. सरकार चाहती है भ्रान्तियां दूर कर ज्यादा से ज्यादा लोगों को वैक्सीन लगे. इसके लिए सभी लोगों को समन्वित प्रयास करने होंगे.
वैक्सीनेशन को लेकर हुए ओपन संवाद में विधानसभा स्पीकर सीपी जोशी ने कहा कि राजनीतिक पार्टियों के कार्यकर्ताओं की एप्रोच बूथ लेवल तक है. राजनीतिक पार्टियों अपने कार्यकर्ताओं को मोटिवेट करे. धर्मगुरुओं के माध्यम से जागरुकता लाई जा सकती है. नीचे स्तर तक धर्मगुरुओं के अनुयायी हैं. इस महामारी का मुकाबला कम वेक्सीन से ही कर सकते हैं. वेक्सीन की लाइफ भी केवल एक साल है. उसके बाद फिर बूस्टर लगवाना होगा. वेक्सीन की उपलब्धता भारत सरकार के हाथ में है. जागरुकता कार्यक्रम को नीचे स्तर तक पहुंचाने की जरुरत है. हैल्थ प्रेरक के तौर पर लोगों को ट्रेनिंग दी जाए, हमें प्रिवेन्टिव मीजर्स लेने की ज्यादा जरुरत है. 18-44 साल आयु वर्ग के केवल 57 लाख लोगों को वैक्सीन लगी है.
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वहीं प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष और शिक्षा राज्यमंत्री गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि ज्यादा से ज्यादा लोगों को वेक्सीनेट करने के प्रयास हों. बच्चों के स्वास्थ्य को लेकर भी बड़ी चिन्ता है, बच्चों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखकर स्कूल्स कैसे खोलें. इसे लेकर भी मुख्यमंत्री के साथ चर्चा करेंगे. ऑनलाइन शिक्षण की व्यवस्था की जा रही है, राज्य सरकार ने बेहतर कोरोना मैनेजमेंट किया, सभी वर्गों का उसमें सहयोग मिला. डोटासरा ने कहा कि उम्मीद है सभी सांसद अपने प्रभाव का इस्तेमाल करेंगे, प्रधानमंत्री तक राजस्थान की बात पहुंचाएंगे. जनता सब कुछ जानती है.
माकपा विधायक बलवान पूनियां ने कहा कि वेक्सीनेशन के लिए विधायक कोष के 3 करोड़ रुपए लिए गये थे. अब चूंकि फ्री वैक्सीनेशन की घोषणा हो चुकी है. इसलिए एमएलए फंड का पैसा विकास कार्यों के लिए वापस कर दिया जाए. भले ही थोड़ा सा उसमें से रख लें.क्योंकि पहले राज्य सरकार इस पर पैसा खर्च कर चुकी है. सीपीआई के के डी के छंगाणी ने कहा कि निजी हॉस्पिटल्स को भी फ्री वैक्सीनेशन का आदेश देना चाहिए. इन अस्पतालों को बहुत कम कीमत पर जमीनें दी गई हैं. समाज के प्रति थोड़ा बहुत दायित्व उनका भी बनता है.