महाराष्ट्र (Maharastra) के कद्दावर कांग्रेस नेता हर्षवर्धन पाटिल (Harshavardhan Patil) ने बुधवार को मुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़नवीस (Devendra Fadnavis) की तारीफ की और राकांपा नेता शरद पवार (Sharad Panwar) तो कुटिल व धूर्त नेता बताते हुए भाजपा में शामिल होने के संकेत दे दिए. समझा जाता है कि वह कभी भी भाजपा में शामिल हो सकते हैं. पुणे जिले की इंदापुर विधानसभा सीट विवाद की जड़ बताई जाती है. हर्षवर्धन पाटिल (Harshavardhan Patil) इंदापुर के विधायक रह चुके हैं. अब राकांपा नेता दत्ता भरणे यहां से विधायक हैं. इस सीट पर कांग्रेस और राकांपा, दोनों पार्टियां दावा कर रही हैं. विवाद अब तक नहीं सुलझ पाया है.
बुधवार को हर्षवर्धन पाटिल (Harshavardhan Patil) ने इंदापुर में अपने समर्थकों के साथ बैठक की. उन्होंने समर्थकों को संबोधित करते हुए शरद पवार पर निशाना साधते हुए कहा कि राकांपा ने उनका अपमान किया है उनका उपयोग राजनीतिक हथियार के रूप में किया है. हर्षवर्धन पाटिल (Harshavardhan Patil) चार बार इंदापुर के विधायक रह चुके हैं. पिछले विधानसभा चुनाव में उन्हें राकांपा के दत्तात्रेय भरणे ने मामूली अंतर से हरा दिया था. इस बार हर्षवर्धन पाटिल इंदापुर सीट से फिर चुनाव लड़ना चाहते हैं, लेकिन राकांपा यह सीट कांग्रेस के लिए छोड़ने को तैयार नहीं है. पिछला विधानसभा चुनाव कांग्रेस और राकांपा अलग-अलग लड़ी थी. इसके बावजूद हर्षवर्धन पाटिल ने लोकसभा चुनाव में बारामती से राकांपा उम्मीदवार सुप्रिया सुले (Supriya Sule) का समर्थन किया था.
राकांपा के रवैये से महाराष्ट्र के पूर्व कैबिनेट मंत्री हर्षवर्धन पाटिल (Harshavardhan Patil) दुखी हैं. उन्होंने अपने समर्थकों से कहा कि पिछले चुनाव के बाद से आप लोग पिछले कुछ महीनों से ईमानदारी से गठबंधन धर्म का पालन कर रहे हैं. लेकिन बदले में क्या मिला…? लोकसभा चुनाव के नतीजे 23 मई को आ गए थे. आज चार सितंबर है. चार महीने हो गए. कई बैठकें हुईं, लेकिन एक भी राकांपा नेता इंदापुर सीट की बात नहीं कर रहा है. राकांपा जो शिव स्वराज यात्रा निकाल रही है, उसमें भी इंदापुर को शामिल नहीं किया गया है. मुंबई में दोनों पार्टियों के बीच सीटों के तालमेल पर बातचीत हुई थी. इसमें भोर, जुन्नार और पुरंदर सीटों पर कांग्रेस का चुनाव लड़ना तय हुआ, लेकिन इंदापुर सीट राकांपा के खाते में चली गई. उन्होंने आरोप लगाया कि मैंने राकांपा (NCP) की मदद ही की थी, लेकिन उसने मेरी पीठ में छुरा घोंपने का काम किया है.
जब हर्षवर्धन पाटिल ने संबोधित करते हुए समर्थकों से पूछा कि इस स्थिति में क्या करना चाहिए तो कई लोगों ने नारा लगाया, भाजपा में आ जाना चाहिए. इस पर पाटिल ने कहा कि आपकी भावनाओं का सम्मान किया जाएगा. उन्होंने मुख्यमंत्री फड़नवीस की तारीफ करते हुए कहा कि मैं पिछले कुछ सालों से सत्ता में नहीं हूं, फिर भी उन्होंने मेरी कोई बात नहीं टाली. पाटिल ने कहा, एक बार मेरी किताब विधान गाथा के विमोचन समारोह में भाग लेने के लिए फड़नवीस ने मंत्रिमंडल की बैठक टाल दी थी.