PoliTalks news

इस बार का लोकसभा चुनाव कई मायनों में पिछले चुनावों के मुकाबले दिलचस्प होगा. इसकी वजह है कि उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में कई ऐसी सीटें हैं, जहां नए खिलाड़ी राजनीति में मंझे दिग्गजों को टक्कर देते नजर आ रहे हैं. सियासी दंगल के ये नए खिलाड़ी कहीं तो राजनीति की लंबी पारी खेल चुके खिलाड़ियों को चुनौती देंगे तो कहीं उनके आने से मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है. हालांकि चुनावी परिणाम में थोड़ा समय शेष है लेकिन मुकाबला कहीं मायनों में मजेदार हो गया है. आइए जानत हैं ऐसी ही कुछ लोकसभा सीटों के बारे में …

आजमगढ़
मुलायम सिंह यादव की इस परम्परागत सीट पर फिर से सांसद बनने की अभिलाषा लिए समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव मैदान में उतर रहे हैं. विधान परिषद से लेकर लोकसभा तक के सदस्य रह चुके अखिलेश यादव यूपी की सत्ता की कमान भी संभाल चुके हैं. अखिलेश यादव जैसे दिग्गज के सामने भाजपा ने दिनेश लाल यादव निरहुआ को चुनावी समर में उतारा है. निरहुआ एक भोजपुरी स्टार हैं और राजनीति के मंच पर नए खिलाड़ी हैं. इसके बावजूद निरहुआ के मैदान में आने से आजमगढ़ लोकसभा सीट का चुनाव रोमांचक हो गया है.

गाजियाबाद
इस सीट पर भाजपा ने पिछली बार इसी सीट से सांसद रहे वीके सिंह पर दांव खेला है. वहीं सपा गठबंधन ने पहले तीन बार के विधायक रहे सुरेंद्र कुमार मुन्नी को टिकट दिया, बाद में वैश्य मतदाताओं में अच्छी पकड़ रखने वाले सुरेश बंसल को मैदान में उतारा. इन दिग्गजों के सामने कांग्रेस ने युवा महिला चेहरा डॉली शर्मा को टिकट देकर गाजियाबाद सीट की लड़ाई त्रिकोणीय कर दी.

बदायूं
पश्चिमी उत्तर प्रदेश का बदायूं लोकसभा क्षेत्र समाजवादी पार्टी का गढ़ है. सपा पिछले 6 लोकसभा चुनाव से इस सीट पर अजेय है. अखिलेश यादव के चचेरे भाई धर्मेंद्र यादव दूसरी बार इस सीट से सांसद हैं और गठबंधन के प्रत्याशी भी हैं. कांग्रेस ने धर्मेंद्र यादव के सामने सलीम शेरवानी जैसे दिग्गज को टिकट दिया हैं. वहीं भाजपा ने संघमित्रा मौर्य को टिकट देकर मुकाबले को रोमांचक बना दिया है. संघमित्रा, प्रदेश के श्रम मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य की बेटी हैं.

गोंडा
गोंडा लोकसभा सीट पर भाजपा ने अपने वर्तमान सांसद कीर्ति वर्धन सिंह को एक बार फिर मैदान में उतारा है. कीर्ति इस सीट से तीन बार सांसद रह चुके हैं. सपा-बसपा गठबंधन ने इस सीट पर विनोद कुमार सिंह उर्फ पंडित सिंह को टिकट दिया है. इन दो दिग्गजों के सामने कांग्रेस ने अपने सहयोगी दल (अपना दल) की अध्यक्ष कृष्णा पटेल को चुनावी समर में उतारा है. कृष्णा पटेल भले ही राजनैतिक दृष्टि से अपने विरोधियों के सामने नई हैं लेकिन उनकी सक्रियता ने गोंडा की हवा का रूख जरूर बदल कर रख दिया है.

बाराबंकी
बाराबंकी सीट से सांसद शाह पीएल पुनिया के बेटे तनुज पुनिया को कांग्रेस ने अपना प्रत्याशी बनाया है. तनुज पुनिया भले ही अभी तक पिता के चुनाव का प्रबंधन भले ही देखते रहे हों, लेकिन चुनाव की दृष्टि से राजनीति के नए चावल हैं. उनके सामने भाजपा के उपेंद्र रावत हैं जो जैदपुर सीट के विधायक हैं. वहीं समाजवादी पार्टी ने चार बार सांसद और तीन बार के विधायक रह चुके राजनीति के दिग्गज राम सागर रावत पर दांव खेल दोनों उम्मीदवारों की हवा टाइट कर दी है.

इटावा
वैसे तो यह सीट समाजवादियों का गढ़ रही है लेकिन 2014 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी ने यहां से जीत दर्ज की थी. लेकिन पार्टी ने मौजूदा सांसद अशोक दोहरे का टिकट काट कर आगरा से सांसद रहे रमा शंकर कटेरिया को थमाया है. टिकट कटने से नाराज अशोक दोहरे ने भाजपा से किनारा कर कांग्रेस का हाथ थामा और इस सीट पर फिर से दावा ठोका है. इन दोनों के सामने सपा-बसपा गठबंधन ने कमलेश कठेरिया को उतारा है. कमलेश का नाम यहां नया नहीं है क्योंकि उनके पिता प्रेमदास भी इटावा लोकसभा सीट से एक बार सांसद रह चुके हैं.

लखीनपुर
लखीनपुर खीरी लोकसभा सीट पर चुनाव अन्य सीटों से और भी मजेदार होने जा रहा है. इस सीट पर बीजेपी ने अपने वर्तमान सांसद अजय कुमार मिश्रा उर्फ टेनी को फिर से टिकट दिया है. उनके सामने कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व सांसद जफरअली नकवी चुनाव लड़ रहे हैं. इन दोनों के सामने सपा ने नए चेहरे पूर्वी वर्मा पर दांव लगाया है. पूर्वी वर्मा हालांकि राजनीति की कच्ची चावल हैं लेकिन राजनीति उनके खून में बसती है. उनके परिवार के लोग करीब दस बार इस सीट का प्रतिनिधित्व संसद में कर चुके हैं. ऐसे में पूर्वी पर खेला गया सपा का दाव किसी भी तरीके से कांग्रेस-बीजेपी के प्रत्याशी से कमतर नहीं माना जा रहा है.

Leave a Reply