यूपी चुनाव: बसपा व सपा की ब्राह्मण रिझाओ राजनीति के बीच कांग्रेस निकालेगी दलित स्वाभिमान यात्रा

6 महीने बाद होने वाले यूपी विधानसभा चुनाव को देखते हुए सभी दलों ने एक बार फिर से अलग-अलग जाति के मतदाताओं को लुभाने के लिए 'स्टेज' सजा लिए हैं, इसमें इस बार भी सभी पार्टियों का सबसे ज्यादा फोकस ब्राह्मण और दलित वोटर्स पर है

यूपी विधानसभा चुनाव से पहले सभी पार्टियों का सबसे ज्यादा फोकस ब्राह्मण और दलित वोटर्स पर है
यूपी विधानसभा चुनाव से पहले सभी पार्टियों का सबसे ज्यादा फोकस ब्राह्मण और दलित वोटर्स पर है

Politalks.News/UttarPradesh. अगले साल होने वाले उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले जातियों को रिझाने के लिए सभी राजनीतिक दलों ने नया ‘ट्रेंड‘ शुरू कर दिया है. आपको बता दें, देश में उत्तर प्रदेश और बिहार ये दो ऐसे राज्य हैं जहां चुनावों में नेताओं का सबसे अधिक फोकस जातियों पर ही रहता है’. 6 महीने बाद होने वाले यूपी विधानसभा चुनाव को देखते हुए सभी दलों ने एक बार फिर से अलग-अलग जाति के मतदाताओं को लुभाने के लिए ‘स्टेज‘ सजा लिए हैं. इसमें इस बार भी सभी पार्टियों का ब्राह्मण और दलित वोटर्स पर सबसे ज्यादा फोकस है. बीजेपी, सपा, बसपा और कांग्रेस सभी दल इस वाले वोट बैंक को साधने में जुट गए हैं.

ब्राह्मण वोटर्स को रिझाने की शुरुआत बसपा सुप्रीमो मायावती ने 23 जुलाई से अयोध्या से शुरू हुए ब्राह्मण सम्मेलनों से कर दी है. बसपा के बाद समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव भी अब 5 अगस्त से ब्राह्मण सम्मेलन की शुरुआत करने जा रहे हैं. वहीं बसपा और सपा के बाद कांग्रेस भी अब मैदान में कूद गई है. लेकिन कांग्रेस पार्टी ब्राह्मणों को नहीं बल्कि दलित वोटर्स को अपनी ओर लाने की तैयारी शुरू कर दी है. बता दें कि कांग्रेस 3 अगस्त को राज्य में ‘दलित स्वाभिमान यात्रा‘ का आगाज करने जा रही है. यूपी के सभी जिलों में शुरू होने वाली इस यात्रा में कांग्रेसी कार्यकर्ता और पदाधिकारी राज्य में दलितों से जुड़े मुद्दों को उठाते हुए योगी सरकार से सवाल करेंगे. स्वाभिमान यात्रा के दौरान पार्टी के कार्यकर्ता राज्य के भीतर हो रहे दलित उत्पीड़न के मुद्दे को उठाने का काम करेंगे. पार्टी की ओर से राज्य सरकार को अगले 10 दिनों में दलित उत्पीड़न रोकने के लिए ठोस कदम उठाने को लेकर अल्टीमेटम दिया जाएगा.

यह भी पढ़ें: माननीय ध्यान दें- 9 दिन में फुंक चुके हैं जनता के 60 करोड़, बिना चर्चा मिनटों में पास हो रहे अहम विधेयक

बसपा के दलित वोटों पर कांग्रेस और सपा की नजर
बता दें कि मायावती इन दिनों यूपी में ब्राह्मणों को लुभाने में लगी हुई हैं और इसका पूरा फायदा कांग्रेस उठाना चाह रही है. इसी कड़ी में दलित वोटरों को साधने के लिए कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी ने नया सियासी दांव चल दिया है. कांग्रेस को पता है कि पिछले दो विधानसभा चुनाव 2012 और 2017 में दलित वोटर्स ल लगातार बसपा (मायावती) दूर होता चला गया है. यहां हम आपको बता दें कि पिछले काफी समय से कांग्रेस की नजर बसपा के दलित वोटों पर है, जिसके चकते दलित मुद्दों को कांग्रेस और प्रियंका गांधी आक्रमक तरीके से उठाती रही हैं. सोनभद्र नरसंहार से लेकर हाथरस और आजमगढ़ सहित तमाम दलित समुदाय के मामलों में प्रियंका गांधी आक्रामक रहीं और घटनास्थल पर पहुंचकर योगी सरकार को घेरने का काम किया है. इतना ही नहीं प्रियंका गांधी आरोप लगातीं रहीं हैं कि मायावती विपक्ष के तौर पर नहीं बल्कि बीजेपी के प्रवक्ता के तौर पर काम कर रही हैं.

यह भी पढ़ें- मोइली बोले- मोदी विरोधी एजेंडे से BJP के खिलाफ नहीं मिलेगी सफलता, करना होगा यह काम

वहीं उत्तरप्रदेश में तेजी से उभरती भीम आर्मी के मुखिया चंद्रशेखर भी बसपा के दलित वोटरों पर नजर लगाए हुए हैं. दूसरी ओर सपा मुखिया अखिलेश यादव भी सत्ता में वापसी के लिए हरसंभव कोशिशों में जुटे हुए हैं. ऐसे में उनकी नजर बसपा के असंतुष्ट नेताओं को जोड़ने के साथ-साथ मायावती के कोर वोटबैंक दलित समुदाय पर भी है, जिसके सहारे अपनी चुनावी वैतरिणी पार लगाना चाहते है. हालांकि अभी कांग्रेस की 3 अगस्त को यूपी में निकाली जाने वाली दलित स्वाभिमान यात्रा को लेकर मायावती का कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है. लेकिन इतना तो तय है कि कांग्रेस के इस नए दलित दांव पर मायावती और प्रियंका गांधी के बीच तल्खी जरूर बढ़ गई है.

Leave a Reply