हरदा के नेतृत्व में कांग्रेस उतरेगी चुनावी रण में, रावत-प्रीतम के बीच ख़त्म होगी टसल? समय पर निर्भर

उत्तराखंड कांग्रेस में जारी सियासी कलह हुई ख़त्म! राहुल से मुलाकात के बाद बोले रावत- 'कैंपेन कमेटी की तरफ से मैं करूंगा चुनाव लीड, सब लोग उस काम में देंगे सहयोग, मैं कांग्रेस के लिए लुटाऊंगा अपनी जिंदगी,' सियासी चर्चा जोरों पर क्या ख़त्म होगी रावत-प्रीतम की आंतरिक कलह

उत्तराखंड चुनाव की कमान हरदा के हाथ
उत्तराखंड चुनाव की कमान हरदा के हाथ

Politalks.News/Uttarakhand. ‘कांग्रेस (Congress) है कि मुश्किलें रूकती ही नहीं’. उत्तराखंड विधानसभा चुनाव (Uttarakhand Vidhansabha Chunaav) से पहले कांग्रेस में कुछ भी ठीक नहीं चलता दिख रहा है. आलाकमान किसी तरह से पहले पंजाब (Punjab) की आंतरिक कलह से बाहर निकला तो अब उत्तराखंड कांग्रेस (Uttarakhand Congress) में जारी आंतरिक कलह उसके लिए बड़ा सिरदर्द बन सकती है. हालांकि दिल्ली में राहुल गांधी (Rahul gandhi) के साथ हुई उत्तराखंड कांग्रेस के नेताओं की बैठक से ये सार निकल कर आया है कि ‘आगामी चुनाव कांग्रेस हरीश रावत के नेतृत्व में ही लड़ेगी.’ ऐसे में सवाल ये उठ रहा है कि ‘क्या हरीश रावत (Harish Rawat) की उन सभी मांगों को मान लिया गया है जो उन्होंने ट्वीट के जरिये आलाकमान से कहने की कोशिश की थी.’

सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने अपने एक ट्वीट से प्रदेश की सियासत को गरमा जरूर दिया था और साथ ही आलाकमान को भी ये साफ मैसेज देने की कोशिश की थी उनके बिना आगामी चुनाव में पार पाना आसान नहीं होगा. उत्तराखंड कांग्रेस में मचे बवाल को लेकर कांग्रेस आलाकमान ने प्रदेश के दिग्गज नेताओं को दिल्ली तलब किया है. राहुल गांधी के आवास उत्तराखंड कांग्रेस के नेताओं की ढाई घंटे तक बैठक चली. इस बैठक में ये निर्णय लिया गया की पार्टी देवभूमि में आगामी चुनाव हरीश रावत के नेतृत्व में लड़ेगी.

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राहुल गांधी से मुलाकात के बाद मीडिया से मुखातिब होते हुए हरीश रावत ने कहा कि, ‘कांग्रेस अध्यक्ष के पास हमेशा ये विशेषाधिकार रहा है कि चुनाव के बाद पार्टी बैठती है. कांग्रेस अध्यक्ष को नेता के संबंध में अपनी राय देते हैं और कांग्रेस अध्यक्ष नेता तय करती हैं.’ हरीश रावत ने आगे कहा कि, ‘कैंपेन कमेटी की तरफ से मैं चुनाव लीड करूंगा और सब लोग उस काम में सहयोग देंगे. हम आगामी चुनाव में कांग्रेस के गीत गाएंगे. मैं कांग्रेस के लिए अपनी जिंदगी लुटाऊंगा. कैंपेन कमेटी के चेयरमैन के रूप में मैं चुनाव का नेतृत्व करूंगा. बीजेपी जानती है कि हमारे हर कदम से बीजेपी को ही दिक्कत होती है.’

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वहीं राहुल गांधी से मुलाक़ात के बाद कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने कहा कि, ‘कांग्रेस हरीश रावत के नेतृत्व में चुनाव लड़ेगी, मुख्यमंत्री का फैसला चुनाव के बाद होगा.’ बता दें कि उत्तराखंड में आगामी चुनाव से पहले ही कांग्रेस पार्टी के अंदर नेताओं के बीच मतभेद की खबर सामने आ रही थी. सूत्रों का कहना है कि, ‘हरीश रावत के देवेंद्र यादव के साथ संबंध ठीक नहीं है. दोनों नेता एक दूसरे पर सीधा हमला तो नहीं कर रहे थे लेकिन बिना नाम लिए कटाक्ष करते और प्रदेश के नेताओं को सांकेतिक संदेश देने में जुटे हुए थे कि पार्टी ने उन्हें कमान दे सकती है.

वहीं कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष प्रीतम सिंह के भी हरीश रावत के साथ रिश्ते कुछ ख़ास नहीं है. दरअसल दोनों नेताओं के बीच टसल का जो मुख्य कारण सामने आ रहा है वो प्रीतम सिंह को कांग्रेस अध्यक्ष से बदल कर नेता प्रतिपक्ष बनाया जाना है. सूत्रों के अनुसार प्रीतम सिंह को यह जिम्मेदारी हरदा के कहने पर ही मिली. लेकिन चार कार्यकारी अध्यक्ष और कोषाध्यक्ष अपने मन मुताबिक बना कर प्रीतम कैंप ने हरदा को जवाब देने की कोशिश की है. दोनों नेता अपने अपने तरीके से चुनावी मैदान में हैं. दोनों नेता ये अच्छी तरह जानते हैं कि फिलहाल देवभूमि की चुनावी हवा कांग्रेस के पक्ष में है.

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ऐसे में दोनों ही नेता खुद को आगामी मुख्यमंत्री के तौर पर पेश करना चाहते हैं. लेकिन प्रीतम सिंह कई बार ये कह चुके हैं कि आगामी चुनाव सामूहिक नेतृत्व में लड़ा जाएगा. दूल्हे का चेहरा ऐन मंडप पर ही नजर आएगा. इससे पहले हरीश रावत पंजाब की तर्ज पर किसी दलित को देवभूमि की कमान सौपनें की बात कह चुके हैं. दोनों ही दिग्गजों की इस आपसी खींचतान ने उनके समर्थकों और कांग्रेस कार्यकर्ताओं को असमंजस में डाल दिया है. साथ ही आलाकमान भी  किसी भी सूरत में रावत की नाराजगी झेल कर हाथ में आई बाजी नहीं छोड़ सकता.

लेकिन अब दिल्ली में हुई कांग्रेस नेताओं की बैठक के बाद कयास लगाए जा रहे हैं कि पार्टी में चल रही आंतरिक कलह थम चुकी है. हालांकि ये शांति कितने दिन तक चलेगी ये नहीं कहा जा सकता. हरीश रावत ने अभी कुछ दिन पहले ही ट्वीट करते हुए कहा था कि, ‘है न अजीब सी बात, चुनाव रूपी समुद्र में तैरना है, सहयोग के लिए संगठन का ढांचा अधिकांश स्थानों पर सहयोग का हाथ आगे बढ़ाने के बजाय या तो मुंह फेर करके खड़ा हो जा रहा है या नकारात्मक भूमिका निभा रहा है.’ हरीश रावत के इस ट्वीट के बाद प्रदेश की सियासत गरमा गई थी.

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