महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और शिवसेना (ठाकरे गुट) प्रमुख उद्धव ठाकरे अयोध्या में रामलला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में न बुलाए जाने से नाराज हैं. कार्यक्रम में निमंत्रण न आने पर नाराज उद्धव ठाकरे ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि अयोध्या आने के लिए किसी के निमंत्रण की जरूरत नहीं है. उन्होंने कहा कि भगवान राम किसी व्यक्ति या राजनीतिक दल की संपत्ति नहीं है. पूर्व सीएम ने ये भी कहा कि रामलला सभी के हैं और जब भी मेरी इच्छा होगी, मैं अयोध्या जाउंगा. माना जा रहा है कि उद्धव के ये बोल भारतीय जनता पार्टी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर सीधा वार है.
यह सर्वविदित है कि राम मंदिर बनने के इतिहास में शिवसेना की भूमिका अहम बतायी जाती है. उद्धव ठाकरे इस वक्त शिवसेना के प्रमुख हैं. इससे पहले पीएम मोदी ने जनता से अपील करते हुए कहा है कि जिन्हें निमंत्रण मिला हो, वो ही अयोध्या आए. वैसे ये अपील सुरक्षा और अन्य व्यवस्था को लेकर की गयी है लेकिन इस बात की नाराजगी उद्धव ठाकरे कुछ ज्यादा ही ले गए हैं.
उद्धव ठाकरे ने कहा कि भगवान राम किसी व्यक्ति या राजनीतिक दल को मंदिर के अभिषेक को राजनीतिक कार्यक्रम नहीं बनाना चाहिए. ठाकरे ने ये भी कहा कि सेना यूटीबी ने अपने फंड से भी राम मंदिर के निर्माण में योगदान दिया है. ठाकरे ने कहा कि रामलला सभी के हैं. रामलला किसी एक पार्टी या व्यक्ति की संपत्ति नहीं है. रामलला अपने करोड़ों भक्तों के हैं इसलिए भगवान राम के नाम पर राजनीति नहीं होनी चाहिए. उद्धव ने कहा कि राम मंदिर बनाने का फैसला अदालत ने दिया था, सरकार ने नहीं लिया था.
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उद्धव ठाकरे ने ये भी कहा, ‘लालकृष्ण आडवाणी ने रथ यात्रा शुरू की थी और इसका श्रेय भी उन्हें ही जाता है. मेरी बात छोड़िए, मुझे पता चला है कि आडवाणी जी और मुरली मनोहर जोशी को भी निमंत्रण नहीं मिला है. राम मंदिर की लड़ाई आस्था का विषय थी और हमें खुशी है कि मंदिर रहा है.’
पूर्व सीएम ने कहा कि मुझे निमंत्रण मिला या नहीं, यह मुद्दा नहीं है लेकिन सिर्फ एक व्यक्ति को इसका श्रेय नहीं लेना चाहिए. उन्होंने कहा कि राम मंदिर के समर्थन में प्रचार करने और हिंदुत्व का समर्थन करने के लिए चुनाव आयोग ने बाल ठाकरे का मतदान अधिकार छीन लिया था, लाखों कारसेवकों ने राम मंदिर के लिए बलिदान दिया है.