कहते हैं, डूबते हुए को तिनके का सहारा भी काफी है लेकिन महाराष्ट्र में होने वाले विधानसभा चुनावों में तो इससे भी कहीं बढ़कर होने जा रहा है. यहां दो डूबती नावों को एक दूसरे का सहारा मिला है. वो भी उनके खिलाफ जो उससे चार गुना बड़ा है. राह कतई भी आसान नहीं है लेकिन नामुमकिन भी नहीं है. इन होल वाली नावों में सेंध लगाने के लिए शिवसेना भी है जिससे भी पार पाना सरल नहीं होगा.
दरअसल महाराष्ट्र में कांग्रेस और राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी यानि एनसीपी ने आगामी विधानसभा चुनाव के लिए गठबंधन किया है. दोनों पार्टियों ने 125-125 सीटें आपस में बांटी है. शेष 38 सीटें सहयोगी पार्टियों के लिए छोड़ी गयी है जिनपर वे अपने उम्मीदवार उतारेंगी. इस भागीदारी को एनसीपी चीफ शरद पवार और कांग्रेस की अंतरिम राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी ने स्वीकृति दे दी है. हालांकि अन्य सहयोगी पार्टियों का निर्णय फिलहाल अधर झूल में है. बता दें, महाराष्ट्र में विधानसभा की कुल 288 सीटें हैं. चुनाव का कार्यक्रम 19 सितम्बर तक घोषित होने की उम्मीद जताई जा रही है.
अब इन दोनों पार्टियों के साथ जो अहम दिक्कत है वो ये कि महाराष्ट्र में कांग्रेस और एनसीपी क्रमश: तीसरे और चौथे नंबर की पार्टी रह गयी हैं. पिछले चुनाव में भारतीय जनता पार्टी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है. 2014 के विधानसभा चुनावों में भाजपा को 122 सीटों पर जीत हासिल हुई थी. वहीं शिवसेना ने 62, कांग्रेस ने 42 और एनसीपी ने 41 सीटों पर कब्जा जमाया. अन्य 31 सीटों में से बहुजन विकास अगाड़ी को तीन, एआईएमआईएम को दो, सीपीआईएम, महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना, समाजवादी पार्टी और आरएसपी को एक-एक सीट मिली. सात सीटों पर निर्दलीयों ने जीत दर्ज की.
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लोकसभा चुनाव-2014 में बीजेपी को 23, शिवसेना को 18, एनसीपी को चार, कांग्रेस को दो और अन्य को एक सीट पर जीत मिली. हाल में हुए लोकसभा चुनाव में भी स्थितियां इससे अलग नहीं रही. हालांकि बीजेपी और शिवसेना ने एक साथ मिलकर चुनाव लड़ा लेकिन गठबंधन में दोनों पार्टियों ने मिलकर 41 जीतों पर अपना कब्जा जमाया. कांग्रेस व सहयोगियों को पांच और दो सीटों पर अन्य को जीत मिली.
जिस तरह के पिछले तीन चुनावों के परिणाम हैं, उससे देखते हुए तो कांग्रेस और एनसीपी बीजेपी व शिवसेना की टक्कर में कहीं टिक नहीं पा रही. हां, इस बार भाजपा और शिवसेना में सीटों के बंटवारे को लेकर जो खबरे आ रही हैं, उससे शरद पवार और कांग्रेस आलाकमान पर राहत के छीटे जरूर लगे होंगे. अगर बीजेपी-शिवसेना का गठबंधन टूटता है तो इसका थोड़ा फायदा तो कांग्रेस-एनसीपी को जरूर होगा. हालांकि नंबर तीन और चार की पार्टियां होने के बावजूद ये दोनों मिलकर नंबर एक और दो को कितनी टक्कर दे पाएंगी, ये तो भविष्य के गर्भ में छुपा है.
दोनों पार्टियों की शेष 38 सीटों पर बंटवारे को लेकर एक एक वरिष्ठ कांग्रेस नेता के बयान के मुताबिक दोनों दलों के नेताओं ने राज्य में सत्तारूढ़ भाजपा-शिवसेना की आंधी को रोकने के लिए फैसला लिया है कि अलांइस में वाम दल (क्षेत्रीय पार्टियां) को भी शामिल किया जाएगा. गठबंधन में बीजेपी विरोधी राज ठाकरे की महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) को भी शामिल करने पर विचार किया जा रहा है.