लोकसभा में आज तीन तलाक को गैर-कानूनी ठहराने वाला विधेयक पेश किया गया. सरकार के कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद इस बिल को संसद में पेश किया. इस दौरान विपक्ष ने जमकर हंगामा किया. विरोध के बाद लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने मत विभाजन कराया गया. बिल पेश करने के समर्थन में 186 जबकि विरोध में 74 वोट पड़े.

एआईएमआईएम पार्टी के अध्यक्ष असुद्दीन ओवेसी ने विधेयक का विरोध करते हुए कहा कि अगर कोई आदमी गिरफ्तार हो जाता है तो वह जेल से भत्ता कैसे देगा? सरकार का कहना है कि अगर कोई मुस्लिम व्यक्ति इस अपराध को करता है तो विवाह बरकरार रहेगा और अगर उसे अदालत द्वारा दंडित किया जाता है तो उसे 3 साल की जेल होगी. वह 3 साल के लिए जेल जाएगा लेकिन शादी बरकरार रहेगी! मोदीजी कैसा कानून बना रहे हैं?

केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने ओवैसी के बयान पर पलटवार करते हुए कहा, ‘आज बहुत पीड़ा की बात है कि ओवैसी तीन तलाक का विरोध कर रहे हैं. आज पूरी कांग्रेस विरोध कर रही है, जबकि इससे पहले जब बिल पेश हुआ था तो कांग्रेस ने विरोध नहीं किया था. इतनी बड़ी हार के बाद क्या कांग्रेस पार्टी नहीं समझी?. यह बिल धर्म का नहीं बल्कि महिलाओं के न्याय के लिए है. कांग्रेस इंसाफ के खिलाफ है. हम इसे लोकसभा में भी पारित कराएंगे और राज्यसभा में भी ले जाएंगे. आज कांग्रेस के रुख की हम भर्त्सना करते हैं.’

आपको बता दें कि मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में भी तीन तलाक के खिलाफ विधेयक लाया गया था. बहुमत होने की वजह से यह लोकसभा में तो पारित हो गया राज्यसभा में बहुमत नहीं होने के कारण यह बिल अटक गया. पॉलिटॉक्स पहले भी यह कह चुका है कि बीजेपी के सामने लोकसभा में तीन तलाक विधेयक को पास कराने में कोई समस्या नहीं है, क्योंकि सदन में बीजेपी के 303 सांसद है जो बहुमत के आंकड़े से कहीं ज्यादा हैं. सरकार को इस बिल को पास कराने में असल चुनौती राज्यसभा में आने वाली है क्योंकि वहां एनडीए बहुमत से दूर है. एनडीए का घटक दल जेडीयू पहले ही बिल का विरोध कर रहा है. मुमकिन है कि पिछली बार की तरह यह बहुप्रतिक्षित बिल राज्यसभा में गिर सकता है.

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