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लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी की अगुवाई में मिली प्रचंड और ऐतिहासिक जीत के बाद ‘TIME’ बदला-बदला सा नजर आ रहा है. हम बात कर रहे हैं अमेरिका की मशहूर मैगजीन ‘टाइम’ (TIME) की. मंगलवार के प्रकाशन में ‘टाइम’ ने पीएम नरेंद्र मोदी की तारिफों के पुल बांधे हैं. मैगजीन ने लिखा है कि नरेंद्र मोदी ने देश में जाति और धर्म की खाई को कम कर भारत को एकजुट करने का काम किया है. साथ ही लिखा है कि यह काम इससे पहले दशकों से कोई पीएम नहीं कर पाया है. बता दें कि इससे पहले चुनाव के दौरान यह मैगजीन मोदी को विभाजनकारी बता चुकी है.

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बड़ी जीत के साथ दूसरी बार देश के प्रधानमंत्री बनने जा रहे हैं नरेंद्र मोदी पर अमेरीकी मैगजीन ‘टाइम’ (TIME) की राय अब बदल गई है. मंगलवार के संस्करण में मैगजीन ने लिखा है कि पीएम मोदी ने जिस तरह से देश को संगठित किया है, वह कोई और पीएम दशकों में नहीं कर सका है. मैगजीन ने पीएम नरेंद्र मोदी की तारिफों के पुल बांधते हुए एक लंबा आर्टिकल छापा है. जिसमें पीएम मोदी को देश में जाति और धर्म के बंधन को तोड़कर सबको एक साथ जोड़ने वाला बताया गया है.

मैगजीन ने विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र में मतदाताओं का मन जीतकर मोदी द्वारा बड़ी जीत हासिल करने को ऐतिहासिक बताया है. ‘टाइम’ मैगजीन ने आर्टिकल में लिखा है कि पीएम मोदी के नेतृत्व में एनडीए ने 50 प्रतिशत से बस कुछ ही कम राष्‍ट्रीय वोट हासिल करने में सफलता हासिल की है. इससे पहले आखिरी बार सन् 1971 में इंदिरा गांधी के रूप में कोई भारतीय पीएम दोबारा निर्वाचित हो सका था. बता दें कि लोकसभा चुनाव में पीएम मोदी की अगुवाई में बीजेपी ने 305 सीटें व एनडीए गठबंधन ने 352 सीटों पर सफलता पाई है.

इसके अलावा पीएम नरेंद्र मोदी पर ‘टाइम’ मैगजीन के इस आर्टिकल में एक सवाल भी पूछा गया है कि कैसे यह कथित विभाजनकारी शख्सियत न केवल सत्ता में कायम रह पाया है, बल्कि उसके समर्थक और भी ज्यादा बढ़ गए हैं? मैगजीन के इसी सवाल का जवाब भी लेख में ही छापा गया है. जिसमें लिखा है कि एक प्रमुख कारक यह रहा है कि मोदी भारत की सबसे बड़ी कमी ‘जातिगत भेदभाव’ को पार करने में कामयाब रहे हैं. साथ ही आर्टिकल के लेखक ने तो मोदी की पिछड़ी जाति होने को ही इस एकजुटता का सूत्रधार माना है.

बता दें कि इससे पहले देश में लोकसभा चुनाव के दौरान ‘टाइम’ (TIME) मैगजीन ने पीएम मोदी को कवर पर छापा था. जिसमें उन्हें भारत का ‘डिवाडर इन चीफ’ बताया गया था. मैगजीन के इस लेख के बाद खासा बवाल हुआ था. चुनाव प्रचार में मोदी विरोधियों ने इसे खूब इस्तेमाल भी किया था. इस आर्टिकल से मोदी के विरोधियों की आवाज को बल मिला था. वे इसे मोदी पर वैश्विक मीडिया की सोच के रूप में उन्हें ‘विभाजनकारी’ बताने की बात प्रमुखता से उठाने लगे थे. लेकिन देश की जनता ने यह सब नकारते हुए नरेंद्र मोदी को फिर से सत्ता सौंप दी.

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