फिर गरमाया विधायकों की फ़ोन टैपिंग का मुद्दा, सीएम गहलोत के OSD ने दिल्ली हाईकोर्ट में लगाई याचिका

राजस्थान में पहले से ही दर्ज है एफआईआर, जिस पर चल रही है जांच, इसलिए उसी मामले में राजस्थान से बाहर एफआईआर का नहीं औचित्य, एफआईआर को रद्द नहीं भी किया जाता है तो इसे जीरो एफआईआर मानते हुए राजस्थान किया जाए ट्रांसफर

फिर उछला विधायकों का फोन टैपिंग मामला
फिर उछला विधायकों का फोन टैपिंग मामला

Politalks.News/Rajasthan. प्रदेश में बीते साल तत्कालीन उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट द्वारा अपने विधायकों के साथ कि गई बगावत के समय उठे फोन टैपिंग विवाद पर एक बार फिर सियासत गर्माती नजर आ रही है. इस मामले में मोदी सरकार में केंद्रीय जलसंसाधन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत द्वारा दिल्ली में दर्ज करवाई गई एफआईआर को अब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के ओएसडी लोकेश शर्मा ने दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी है. लोकेश शर्मा की याचिका पर आज दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई होगी. लोकेश शर्मा ने एफआईआर के क्षेत्राधिकार और कई तकनीकी पहलुओं के आधार पर शेखावत की याचिका को चुनौती दी है.

आपको बता दें, पिछले साल सचिन पायलट खेमे की बगावत के समय राजस्थान सरकार पर फोन टैपिंग के आरोप लगे थे. केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के परिवाद के बाद 25 मार्च को दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने एफआईआर दर्ज की थी. एफआईआर में गजेंद्र सिंह ने जनप्रतिनिधियों के फोन टैप करने और उनकी छवि खराब करने का आरोप लगाया है. शेखावत ने एफआईआर में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के OSD लोकेश शर्मा समेत अज्ञात पुलिस अफसरों को आरोपी बनाया है. दिल्ली क्राइम ब्रांच इस मामले की जांच कर रही है.

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FIR को रद्द करने या राजस्थान ट्रांसफर करने की मांग
मुख्यमंत्री गहलोत के ओएसडी लोकेश शर्मा ने अपनी याचिका मेंं एफआईअसार के क्षेत्राधिकार को भी चुनौती दी है. याचिका में तर्क दिया है कि फोन टैपिंग मामले में राजस्थान में पहले से ही एफआईआर दर्ज है जिस पर जांच चल रही है, इसलिए उसी मामले में राजस्थान से बाहर एफआईआर का औचित्य नहीं है. याचिका में यह भी तर्क दिया गया है कि अगर एफआईआर को रद्द नहीं भी किया जाता है तो इसे जीरो एफआईआर मानते हुए राजस्थान ट्रांसफर किया जाए.

आपको याद दिला दें, विधानसभा में बीजेपी विधायक कालीचरण सराफ द्वारा पिछले साल अगस्त में पूछे एक सवाल के जवाब में राजस्थान सरकार ने माना था कि सक्षम स्तर से मंजूरी लेकर फोन टेप किए गए थे. इस मुद्दे पर विधानासभा में भाजपा ने भाारी हंगामा किया था. हालांकि बाद में गहलोत सरकार की तरफ से संसदीय कार्यमंत्री शांति धारीवाल ने विधानसभा में कहा था कि किसी भी मंत्री, विधायक या जनप्रतिनिधि का फोन टेप नहीं किया गया. हथियारों और विस्फोटकों की सूचना पर गृह सचिव की अनुमति लेने के बाद दो लोगों के फोन सर्विलांस पर लिए गए थे. दो लोगों के फोन सर्विलांस पर लेने पर ये सरकार गिराने, पैसे का लेन-देन करके विधायकों की खरीद-फरोख्त करने की बातें कर रहे थे. यह मामला विधानसभा से लेकर लोकसभा और राज्यसभा तक उठा था. इस मुद्दे के सामने आने के बाद ही गजेंद्र सिंह ने एफआईआर करवाई थी.

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शांति धारीवाल के बयान को बनाया गजेंद्र सिंह ने आधार

गजेंद्र सिंह की FIR का आधार राजस्थान के संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल के बयान को बनाया गया था. धारीवाल ने विधानसभा में कहा था कि ऑडियो मुख्यमंत्री के OSD ने वायरल किए थे. गजेंद्र सिंह ने वायरल ऑडियो से अपनी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचने और मानसिक शांति भंग करने के आरोप लगाए. FIR में लिखा कि 17 जुलाई 2020 को देश के प्रतिष्ठित मीडिया समूहों ने संजय जैन और कांग्रेस विधायक भंवरलाल शर्मा के बीच फोन पर हुई बातचीत के ऑडियो को प्रसारित किया. यह फोन टेपिंग बिना गृह विभाग की अनुमति के की गई. गृह विभाग के तत्कालीन ACS ने मीडिया को दिए इंटरव्यू में कहा था कि उन्होंने फोन टेपिंग की अनुमति नहीं दी. इसका साफ अर्थ है कि गैर कानूनी तरीके से फोन टेप किए गए.

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