सर्वमान्य और सर्वाधिक शक्तिशाली नेता हैं वसुंधरा- सिंघवी, राजे के बिना सत्ता की वापसी असंभव- कोली

वसुंधरा राजस्थान ही नहीं, देश की बड़ी नेता हैं. प्रदेश में जितनी लोकप्रियता राजे की है, उतनी किसी दूसरे नेता की नहीं- प्रताप सिंह सिंघवी, भाजपा की कमान वसुंधरा राजे के हाथ में होती तो गहलोत सरकार पिछले साल ही गिर गई होती, जिनके हाथों में नेतृत्व है, वे ही आपस में एक-दूसरे की कांट-छांट में लगे हैं, सभी अपने आप को मुख्यमंत्री का चेहरा मान रहे- बहादुर सिंह कोली

राजस्थान में वसुंधरा ही भाजपा और भाजपा ही वसुंधरा है
राजस्थान में वसुंधरा ही भाजपा और भाजपा ही वसुंधरा है

Politalks.News/Rajasthan. प्रदेश कांग्रेस में चल रही सियासी खींचतान के बीच प्रदेश भाजपा में नेतृत्व क्षमता को लेकर जुबानी जंग शुरू हो गई है. पहले पूर्व विधायक प्रहलाद गुंजल और भवानी सिंह राजावत के बाद अब छबड़ा से विधायक प्रताप सिंह सिंघवी और पूर्व सांसद बहादुर सिंह कोली भी पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के समर्थन में खुलकर सामने आए हैं. छबड़ा विधायक प्रताप सिंह सिंघवी ने पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को किनारे करने की चर्चाओं को कोरी अफवाह करार देते हुए कहा कि वसुंधरा राजस्थान ही नहीं, देश की बड़ी नेता हैं. प्रदेश में जितनी लोकप्रियता राजे की है, उतनी किसी दूसरे नेता की नहीं है, उनका कोई विकल्प नहीं है. वहीं बहादुर सिंह कोली ने कहा कि प्रदेश भाजपा की कमान अगर वसुंधरा राजे के हाथ में होती तो गहलोत सरकार पिछले साल ही गिर गई होती. कोली ने कहा वसुंधरा राजे पूरे प्रदेश की एकछत्र नेता हैं.

पूर्व मंत्री और छबड़ा विधायक प्रताप सिंह सिंघवी ने कहा कि वसुंधरा राजे राजस्थान ही नहीं, देश की बड़ी नेता हैं. प्रदेश में जितनी लोकप्रियता राजे की है, उतनी किसी दूसरे नेता की नहीं है, उनका कोई विकल्प ही नहीं है. सिंघवी ने कहा वसुंधरा राजे में वोटों को 15 से 20 फीसदी स्विंग करने की क्षमता है. इसी का परिणाम है कि प्रदेश में पहली बार पूर्ण बहुमत की सरकार उनके नेतृत्व में ही बनी. 2003 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को 120 सीटें मिलीं, 2013 में 163 सीटें मिलीं और भाजपा की सरकार बनी. यही नहीं 2008 के चुनाव में भाजपा हारी, लेकिन 78 सीटें मिली, जबकि कांग्रेस को 96 सीटें मिली थी. प्रताप सिंह सिंघवी ने कहा कि 2018 के विधानसभा चुनाव में कुछ लोगों ने साजिश के तहत एक नारा चलाया गया, लेकिन बावजूद इसके भाजपा ने 73 सीटों पर जीत दर्ज की. इन आंकड़ों से साफ जाहिर होता है कि राजस्थान में वसुंधरा राजे ही भाजपा की सर्वमान्य और सर्वाधिक शक्तिशाली नेता हैं.

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36 कौम का समान रूप से समर्थन प्राप्त राजे को
विधायक प्रताप सिंह सिंघवी ने आगे कहा कि पूर्व सीएम वसुंधरा राजे प्रदेश में जहां भी जाती हैं, उन्हें देखने और सुनने के लिए जनसैलाब उमड़ता है. जनता को एकत्रित करने की यह खूबी देश के चुनिंदा नेताओं के पास ही है. मैडम राजे को प्रदेश की 36 कौम का समान रूप से समर्थन प्राप्त है. वे किसी जाति विशेष या क्षेत्र विशेष की नेता नहीं हैं.

पिछले साल गिर जाती गहलोत अगर कमान वसुंधरा राजें के हाथ में होती- कोली
वहीं पूर्व सांसद बहादुर सिंह कोली ने कहा कि प्रदेश भाजपा का नेतृत्व अगर वसुंधरा राजे के हाथ में होता तो गहलोत सरकार पिछले साल ही गिर गई होती. अब सरकार गिरने की कोई संभावना नहीं है क्योंकि पायलट गुट के कई विधायक अब सीएम गहलोत के संपर्क में हैं. इसके साथ ही पूर्व सांसद कोली ने भाजपा नेताओं पर भी तंज कसते हुए कहा कि ऐसी विपरीत स्थितियों में भी भाजपा विपक्ष की भूमिका आक्रामक ढंग से नहीं निभा पाई. कोली ने कहा कि केवल सोशल मीडिया पर बयानबाजी करने से थोड़े ही संघर्ष होता है, बल्कि मुद्दों के लिए सड़क पर आना पड़ता है.

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प्रदेश भाजपा नेतृत्व पर सवाल उठाते हुए बहादुर सिंह कोली ने आगे कहा कि जिनके हाथों में नेतृत्व है, वे ही आपस में एक-दूसरे की कांट-छांट में लगे हैं. सभी अपने आप को मुख्यमंत्री का चेहरा मान रहे हैं, जबकि ये सब क्षेत्र विशेष में पकड़ रखते हैं, जबकि वसुंधरा राजे प्रदेश भर में एकछत्र नेता हैं. आमजन भी कहता है कि पार्टी का नेतृत्व संभाल रहे मौजूदा नेताओं में से किसी में भी सरकार वापस लाने का दम नहीं है. वसुंधरा राजे के बिना राजस्थान में सत्ता की वापसी असंभव है. राजस्थान में वसुंधरा ही भाजपा और भाजपा ही वसुंधरा है. मैडम राजे के कारण दो बार पूर्ण बहुमत से सरकार बनी.

पार्टी नेताओं पर गुटबाजी का आरोप लगाते हुए दो बार के सांसद और दो बार के विधायक रहे बहादुर सिंह कोली ने कहा कि गुटबाजी तो पार्टी नेता कर रहे हैं. पिछले दिनों संभाग स्तर का पार्टी ने प्रदर्शन किया. उसमें मुझ सहित राजे समर्थकों को सूचना ही नहीं दी. उसमें कार्यकर्ता नदारद थे केवल गुट विशेष के पदाधिकारी शामिल हुए.

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