विधायकों द्वारा पूनियां को लिखे पत्र ने फिर खोली पार्टी में एकजुटता की पोल, चौंके कटारिया और राठौड़ भी

कटारिया ने आश्चर्य जताते हुए कहा कि बेमौसम जो यह बारिश हुई है इसे समझने की जरूरत है, वहीं उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने इस पूरे मामले को चौंकाने वाला बताते हुए कहा कि बीजेपी में कभी भी नेतृत्व को ललकारने की कांग्रेसी संस्कृति हावी नहीं रही है

पूनियां को लिखे पत्र ने फिर खोली पार्टी में एकजुटता की पोल
पूनियां को लिखे पत्र ने फिर खोली पार्टी में एकजुटता की पोल

Politalks.News/Rajasthan. प्रदेश भाजपा में पूर्व सीएम वसुंधरा राजे समर्थक विधेयकों द्वारा विधानसभा में उपेक्षा का आरोप लगाते हुए बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनियां को लिखे गए पत्र के बाद मचा बवाल थमता नजर नहीं आ रहा है. इस मामले में नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने विधायकों की इस चिट्ठी की जानकारी मीडिया से मिलने का हवाला देते हुए कहा कि बेमौसम जो यह बारिश हुई है इसे समझने की जरूरत है. वहीं उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने इस पूरे मामले को चौंकाने वाला बताते हुए कहा कि बीजेपी में कभी भी नेतृत्व को ललकारने की कांग्रेसी संस्कृति हावी नहीं रही है.

दरअसल, प्रदेश भाजपा में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे समर्थक माने जाने वाले बीजेपी विधायकों ने जनहित के मुद्दे नहीं उठाने देने का हवाला देते हुए सदन में पक्षपात का आरोप लगाया है. इस मामले में तकरीबन 20 विधायकों ने पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनियां को एक पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने सभी को समान अवसर देने की पैरवी की है. इस पूरे मामले में हैरानी जताते हुए नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि अगर किसी विधायक को इस तरह की कोई आपत्ति थी तो एक चिट्ठी उन्हें भी लिख देते, जिससे उन्हें पता तो लगता कि खामी कहां रह रही है? कटारिया ने आगे इस पत्र को बेमौसम की बारिश करार देते हुए कहा कि बेमौसम की बारिश कहां से हुई और किस कारण से हुई इस बारे में पता करने की जरूरत है.

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गुलाबचंद कटारिया ने पत्र को लेकर कहा कि मुझे मीडिया के माध्यम से ही यह बात पता चली है. कटारिया ने कहा कि विधानसभा में हमने जनता की मांगों को रखा है, उसे सभी ने देखा है. मैं बात करूंगा कि ऐसा कौनसा मामला है, जो उन्होंने हमें दिया हो और हमने उसे लगाने का प्रयास नहीं किया. कटारिया ने बताया कि पहली बार 42 लोग राज्यपाल के अभिभाषण पर बोले हैं और जहां तक स्थगन प्रस्ताव का सवाल है तो स्थगन के लायक मामलों को खुद स्पीकर ओके करते हैं. कटारिया ने कहा कि अगर चिट्ठी लिखने वाले विधायकों को कोई तकलीफ थी तो मुझसे बात करते. कटारिया ने कहा इस संबंध में मैं प्रदेशाध्यक्ष से भी बात करूंगा और इसके अलावा विधायक दल की बैठक बजट के पहले रखी है, वहां विधायकों से व्यक्तिगत बात भी करूंगा.

बीजेपी में नेतृत्व को ललकारा नहीं जाता- राठौड़

वहीं विधानसभा में उपनेता राजेंद्र राठौड़ ने हैरानी भरा रिएक्शन देते हुए चिट्ठी प्रकरण को चौंकाने वाला बताया. राजेन्द्र राठौड़ ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी में इस तरह की कांग्रेसी संस्कृति कभी भी हावी नहीं रही है. राठौड़ ने कहा कि न तो यहां इस तरह की चिठ्ठियां लिखी जाती हैं और न ही नेतृत्व को ललकारा जाता है. उपनेता प्रतिपक्ष ने कहा कि अगर किसी विधायक को आपत्ति थी तो हर मंगलवार को होने वाली विधायक दल की बैठक में अपना मुद्दा रखा जा सकता था. राठौड़ ने कहा कि इस मुद्दे पर विधायक दल की बैठक के साथ ही कोर कमेटी में भी चर्चा होगी. जिन विधायकों के नाम चिट्ठी लिखने में आ रहे हैं उनमें से 80 फ़ीसदी तो राज्यपाल के अभिभाषण पर सदन में बोल भी चुके हैं.

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इससे पहले बीजेपी विधायक और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष कैलाश मेघवाल ने कहा कि पार्टी के ही कुछ विधायक इस बात को महसूस कर रहे थे कि उन्हें जनहित के मुद्दे सदन में उठाने का मौका नहीं मिल रहा और इस बात को पार्टी नेतृत्व के संज्ञान में लाने के लिए प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया को पत्र लिखा गया है. आपको बता दें, इस पत्र में मुद्दा उठाने वाले अधिकांश विधायक वसुंधरा राजे के करीबी माने जाते हैं, लेकिन इस बार पत्र में वसुंधरा राजे का कहीं भी जिक्र नहीं किया गया है.

गौरतलब है कि यह पहला मामला नहीं है जिससे बीजेपी की आंतरिक गुटबाजी खुलकर सामने आई हो, इससे पहले भी पूर्व सीएम वसुंधरा राजे समर्थक नेता प्रेस बयान देकर या चिंतन शिविर के आयोजित कर प्रदेश नेतृत्व के खिलाफ रोष व्यक्त कर चुके हैं. वहीं अब करीब 20 विधायकों द्वारा पूनियां को लिखे इन शिकायती पत्र ने पार्टी की एकजुटता के दावों की कलई खोल दी है, लेकिन अभी तक पार्टी के नेता इस पूरे मामले को षड्यंत्र बताने से बच रहे हैं.

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