Politalks.News/Rajasthan. इसमें कोई दो राय नहीं है कि राजस्थान में जारी सियासी घमासान अब केंद्र बनाम गहलोत सरकार बन गया है. राज्य में चुनी हुई सरकार को गिराने की कथित साजिश सामने आने के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और कांग्रेस खेमा लगातार केन्द्र सरकार पर हमलावर है. इस बीच अब कांग्रेस ने मोदी सरकार से पांच सवाल पूछे हैं. वहीं सियासी संग्राम में शुरू से जयपुर में डटे एआईसीसी के वरिष्ठ नेता अजय माकन ने रविवार को होटल फेयरमॉन्ट के बाहर एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान जमकर मोदी सरकार पर निशाना साधा.
कांग्रेस नेता अजय माकन ने कहा कि आजादी के बाद से भारतीय लोकतंत्र के अंदर दो घटनाएं ऐसी हुई हैं, जो इतिहास में कभी नहीं हुईं. इसी वजह से हम लोग कह रहे हैं, एक तरह से लोकतंत्र का अपहरण हो गया है और प्रजातंत्र का कत्ल हो रहा है. पहली घटना में लोकतांत्रिक इतिहास में विधानसभा अध्यक्ष के नोटिस को आज तक रोका नहीं गया. विधानसभा के अध्यक्ष के निर्णय को कोर्ट जरूर एग्जामिन करती है. निर्णय देने से पहले की प्रक्रिया को कभी रोका नहीं गया, जो राजस्थान में पहली बार हुआ है. दूसरी घटना- सरकार विधानसभा का सत्र बुलाना चाहती है, उसे रोका जा रहा है. ऐसा पहली बार होगा कि चुनी हुई सरकार के कहने के बावजूद अब तक सत्र नहीं बुला रहे हैं.
अजय माकन ने आगे तीखा हमला करते हुए कहा कि मोदी सरकार और भाजपा ने प्रजातंत्र पर हमला बोल रखा है. राजस्थान में लोकतांत्रिक प्रक्रिया से चुनी सरकार को गिराने के षड्यंत्र से ये साफ है कि ये ताकतें प्रजातंत्र को दिल्ली दरबार की दासी बनाना चाहती हैं. लोकतंत्र को अपने हाथ की कठपुतली बनाना चाह रही हैं. बहुमत की सरेआम हत्या हो रही है. जनमत को कुचल कर भाजपा की काल कोठरी के पीछे डाल दिया गया है. संवैधानिक परंपराओं को बेरहमी से रौंदा जा रहा है. न्यायपालिका से उपेक्षित न्याय की उम्मीद खत्म हो गई है. राज्यपाल जैसे संवैधानिक पदों पर बैठे व्यक्ति संविधान की रक्षा करने में असहाय नजर आते हैं.
माकन ने कहा कि मोदी सरकार कोरोना से लड़ने के बजाय देश की चुनी हुई सरकारों को गिराने में लगी हुई है. विधानसभा स्पीकर की ओर से की गई कार्यवाही को रोका गया है, ऐसा कभी देखने में नहीं आया. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता माकन ने कहा है कि देशवासियों को मोदी सरकार से पांच सवाल पूछने चाहिए: –
कांग्रेस के पांच सवाल-
- क्या देश के संविधान और प्रजातंत्र पर भाजपा का हमला स्वीकार्य है। बहुमत और जनमत का फैसला राजस्थान की आठ करोड़ जनता करेगी या दिल्ली में बैठे हुक्मरान करेंगे?
- क्या प्रधानमंत्री और केन्द्र सरकार संविधान की परम्परा को सत्ता के लिए छोड़ सकते हैं?
- क्या चुनी हुई सरकार की ओर से विधानसभा सत्र बुलाने को राज्यपाल रोक सकते हैं?
- क्या न्यायपालिका की ओर से विधायिका के काम में अवैधानिक तौर पर दखलअदांजी की जा सकती है?
क्या इससे दोनों संस्थाओं में टकराव की स्थिति पैदा नहीं होगी?