Politalks.News/Uttarpradesh. आज भारतीय जनता पार्टी के कई नेताओं की सियासत अगर चमक रही है या सिंहासन पर विराजमान हैं तो भाजपा के इन दिग्गज नेताओं का संघर्ष है. ‘लेकिन यह बुजुर्ग भाजपाई आज पार्टी से दरकिनार होकर अपने जीवन की आखरी बाजी खेलने को मजबूर हैं.’ हम आज बात करेंगे उन वरिष्ठ नेताओं की, जिनकी बदौलत आज भारतीय जनता पार्टी देश ही नहीं दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी बन गई है. इन कद्दावर नेताओं ने पार्टी को शिखर पर पहुंचाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी लेकिन अपनी सियासत में एक ऐसा कलंक लगा जो 28 वर्षों के बाद भी नहीं खत्म हुआ है.
जी हां हम बात कर रहे हैं अयोध्या में बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले की. बात को आगे बढ़ाएं इससे पहले आपको लगभग 30 वर्ष पीछे लिए चलते हैं. 90 के दशक में भारतीय जनता पार्टी अयोध्या में राम मंदिर बनाने के लिए देशभर में आंदोलन चला रही थी. उस दौर में पार्टी के तेजतर्रार नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, कल्याण सिंह, विनय कटियार और उमा भारती आदि ने अयोध्या में राम मंदिर बनाने और हिंदू वोटर कार्ड खेलने के लिए अपनी सियासत कुछ ज्यादा ही आक्रामक कर डाली थी.
भाजपा के ये दिग्गज नेता राम मंदिर के निर्माण का समर्थन कर रहे थे, उन्होंने 1992 के दिसंबर में एक कारसेवा का आयोजन किया. वे राम मंदिर के निर्माण में श्रमदान के लिए संगठित हुए थे. बाद में इन नेताओं पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने मामला दर्ज किया था. उसके बाद इन नेताओं पर ऐसा दाग लगा जो आज भी धुल नहीं पाया हैै. पिछले वर्ष 9 नवंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए हरी झंडी दे दी थी, लेकिन यह भाजपाई बाबरी विध्वंस मामले में आज भी आरोपित होने का दंश झेल रहे हैंं, अब 28 वर्ष बाद इन वरिष्ठ भाजपाइयों की सियासी पारी का सबसे लंबा और बड़ा फैसला बुधवार को सीबीआई की अदालत सुनाने वाली है.
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इन भाजपा नेताओं के साथ केंद्र से लेकर यूपी की योगी सरकार को भी है फैसले का इंतजार–
कल अयोध्या में बाबरी विध्वंस के मामले में सीबीआई की अदालत के द्वारा सुनाए जाने वाले फैसले का इंतजार भाजपाई बुजुर्ग नेताओं के साथ केंद्र से लेकर उत्तर प्रदेश की योगी सरकार को भी है. भले ही यह नेता आज भाजपा की सक्रिय राजनीति से दरकिनार कर दिए गए हैं लेकिन पार्टी का झंडा थामे हुए हैं. ‘कल आने वाले अदालत के फैसले पर मोदी और योगी सरकार की भी निगाहें टिकी हुई हैं.’ क्योंकि इन दिनों बिहार विधानसभा चुनाव और 12 राज्यों में 56 सीटों के लिए चुनाव की विसात बिछ चुकी है. अगर कल फैसला इन भाजपा नेताओं के खिलाफ आता है तो होने वाले बिहार विधानसभा चुनावों में विपक्षी दल अल्पसंख्यकों के बीच जाकर अपना वोट बैंक जरूर तलाशेगा.
अब बताते हैं क्या था पूरा मामला, छह दिसंबर 1992 को रामजन्मभूमि परिसर में कारसेवा की इजाजत सुप्रीम कोर्ट से मांगी गई थी, जिसमें कहा गया था कि रामभक्त अयोध्या में सरयू का जल और एक मुट्ठी मिट्टी राम चबूतरे पर चढ़ाएंगे. तत्कालीन उत्तर प्रदेश की भारतीय जनता पार्टी सरकार ने कोर्ट में हलफनामा देकर दावा किया था कि कारसेवक सिर्फ कारसेवा करके लौट जाएंगे. लेकिन लाखों की संख्या में जमा हुए रामभक्तों ने विवादित ढांचे को ध्वस्त कर दिया. ढांचा गिराए जाने के बाद तत्कालीन यूपी के मुख्यमंत्री कल्याण सिंह की सरकार ने घटना की जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा दे दिया. बाद में सरकार ने ढांचा गिराए जाने के मामले में जांच के आदेश दिए थे.
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आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, कल्याण सिंह और उमा भारती पर क्या हैं आरोप-
अब आपको बताते हैं आखिर इन नेताओं के खिलाफ केस क्यों दर्ज हुआ? दरअसल बीजेपी और वीएचपी ने मिलकर 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद के पास कारसेवा की घोषणा की थी. जहां ढांचा गिराया गया था उस जगह से 100-200 मीटर दूर ही एक रामकथा कुंज का मंच तैयार किया गया था. जहां से लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, अशोक सिंघल और विनय कटियार राम विलास वेदांती साध्वी ऋतंभरा समेत कई लोग भाषण दे रहे थे. सीबीआई ने अपनी चार्जशीट में इन नेताओं पर भड़काऊ भाषण देने और जनता को उकसाने के आरोप लगाए थे. ये वो बड़े चेहरे हैं जिन पर कल अयोध्या में विवादित ढांचे के विध्वंस मामले में फैसला आने वाला है.
बता दें कि इस मामले में कुल 49 आरोपी थे जिनमें 17 आरोपियों की मौत हो चुकी हैं, बाकी बचे 32 मुख्य आरोपियों पर कल फैसला आएगा. कोर्ट ने सभी आरोपियों को फैसले के दिन व्यक्तिगत तौर पर पेश होने को कहा है. लेकिन आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और कल्याण सिंह बढ़ती आयु और अस्वस्थता के कारण शायद पेशी के दौरान उपस्थित न हो सके. ‘वहीं दूसरी ओर उमा भारती ने कल आने वाले फैसले के बारे में भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष जेपी नड्डा को चिट्ठी लिखकर कहा है कि वो जेल जाने को तैयार हैं लेकिन इस मामले में जमानत नहीं लेंगी.’
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गौरतलब है कि अयोध्या में भगवान श्रीराम मंदिर के निर्माण का काम शुरू हो गया है. लेकिन अब करोड़ों लोगों की आस्था के प्रतीक रामजन्मभूमि से जुड़े एक और जिस फैसले का इंतजार है, वह कल आएगा. इस फैसले से लोगों के 28 वर्ष का लंबा इंतजार भी खत्म होगा. सीबीआई की अदालत तय करेगी कि अयोध्या में विवादित ढांचा साजिश के तहत गिराया गया था या कारसेवकों के गुस्से में ढांचा तोड़ा गया था.