Politalks.News/Bharat. ऐसा लगता है यह कोरोना महामारी लंबे समय तक इतनी आसानी से पीछा छोड़ने वाली नहीं है. कोविड-19 के बदलते नए रूप संकेत दे रहे हैं कि अभी इस महामारी के खिलाफ लड़ाई ‘लंबी’ है. पिछले वर्ष कोविड-19 की पहली लहर आई उसके बाद इस साल की शुरुआत में दूसरी, अब तीसरी लहर की भी केंद्र और राज्य सरकारों ने तैयारियां शुरू कर दी हैं. ‘ब्रिटेन के नए स्ट्रेन डबल म्यूटेंट ने देश में कहर बरपाया इसके साथ कई बीमारियां और भी बढ़ गई‘. डबल म्यूटेंट को लेकर सरकारों के साथ वैज्ञानिक और तमाम डॉक्टर्स इसकी खोज और समाधान करने में जुटे रहे. इसके बावजूद देशभर में संक्रमित मामले हर रोज चार लाख से अधिक आंकड़े आने लगे थे.
अब कुछ दिनों से कोरोना महामारी से कुछ ‘राहत‘ मिलती दिख रही थी. संक्रमित मामलेे भी घट रहे हैं. पिछले 24 घंटेेे में दो लाख, साठ हजार केस आए हैं. लेकिन अब देश में इस महामारी से एक और नया खतरनाक रूप निकला है. हम बात कर रहे हैं ‘ब्लैक फंगस‘ की. ‘गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब राज्यों के मुख्यमंत्री और कलेक्टरों के साथ डिजिटल माध्यम से चर्चा कर रहे थे तब उन्होंने कहा था यह महामारी नए-नए रूप बदल रही है, हमें इसके प्रति सावधान रहना होगा.’ पीएम मोदी का इशारा ब्लैक फंगस को लेकर ही था. इसके साथ ब्लैक फंगस के बाद अब ‘व्हाइट फंगस‘ की दस्तक से मुश्किलें बढ़ गई हैं. सोशल मीडिया पर कई यूजर एक दूसरे को इससे बचाव और उपाय करने की जानकारी साझा कर रहे हैं.
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बता दें कि व्हाइट फंगस इसलिए अधिक खतरनाक है क्योंकि शरीर के हर अंग को प्रभावित करता है. फेफड़ों तक पहुंचे, तो लंग बॉल कहते हैं. सीटी स्कैन जांच में फेफड़ों के भीतर यह गोल-गोल दिखाई देता है. ब्लैक फंगस से अब तक 200 से अधिक लोगों की जानें जा चुकी हैं. सबसे अधिक महाराष्ट्र में 100 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है. महाराष्ट्र के बाद राजस्थान, तमिलनाडु, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश हरियाणा, बिहार, उत्तराखंड आदि राज्यों में इसके मामले सामने आए हैं. जब लोगों की रोधक क्षमता कम हो जाती है, जैसा कि कोविड के मामले में होता है तो ये म्यूकर बढ़ना शुरू हो जाते हैं और संक्रमण पैदा करते हैं. इसमें नाक से खून रिसना और आंखों में सूजन जैसे लक्षण होते हैं. पहले से कोरोना वायरस से लड़ रहे मरीज के शरीर में ब्लड शुगर लेवल बढ़ने से उसकी इम्युनिटी या रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है. ऐसे में फंगल इंफेक्शन का खतरा कई गुना बढ़ा जाता है. जिसकी वजह से ब्लैक या व्हाइट फंगस होता है.
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फंगस इंफेक्शन ने अब सरकारों को एक बार फिर उलझा दिया
बता दें कि राजस्थान, गुजरात, हरियाणा, तेलंगाना और तमिलनाडु इस ब्लैक फंगस को पहले ‘महामारी’ घोषित कर चुके हैं. दिल्ली में भी इसके मरीजों के इलाज के लिए अलग से सेंटर्स बनाए जा रहे हैं. केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को खत लिखकर ब्लैक फंगस के लिए अलर्ट किया है. साथ ही सभी राज्यों सरकारों से इसे महामारी एक्ट के तहत नोटेबल डिजीज घोषित करने को कहा है. यानी राज्यों को ब्लैक फंगस के केस, मौतों, इलाज और दवाओं का हिसाब रखना होगा. फंगस के इलाज में असरदार दवा एम्फोटेरिसीन-बी की कमी सामने आने के बाद अब इसके उत्पादन के लिए तीन दिन में 5 कंपनियों को मंजूरी दी है. केंद्रीय रसायन और उर्वरक राज्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने इसकी जानकारी दी. मंडाविया ने यह भी कहा कि मौजूदा दवा कंपनियों ने औषधि का उत्पादन बढ़ाना शुरू कर दिया है. उन्होंने कहा कि भारतीय कंपनियों ने एम्फोटेरिसीन-बी की 6 लाख खुराक के आयात के लिए भी ऑर्डर दिए हैं जो जल्द ही आ जाएंगे.
स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने गुरुवार को राज्यों से कहा कि ब्लैक फंगस इंफेक्शन के केस बहुत ज्यादा बढ़ रहे हैं और इससे कोविड मरीज की मौतों की संख्या भी बढ़ रही है, हमारे सामने ये एक नई चुनौती है. दूसरी ओर आईसीएमआर के मुताबिक म्यूकरमाइकोसिस एक फंगल इन्फेक्शन है. ये ऐसे लोगों को निशाना बनाता है, जो दवाइयों पर चल रहे हों या उन्हें पहले से स्वास्थ्य की ऐसी परेशानियां हों, जिससे इम्युिनटी घट रही हो. ऐसे मरीजों को सांस लेने से फंगल इंफेक्शन हो सकता है. नाक और फेफड़े इसका निशाना बनते हैं. कोरोना महामारी के दौरान सामने आया ब्लैक फंगस अब बड़ी चिंता बन गया है. देश को अब फंगस इंफेक्शन से सचेत रहना होगा.