हरियाणा विधानसभा चुनावों में इन पांच चेहरों का भविष्य दांव पर

चुनाव में हाई प्रोफाइल चेहरों का राजनीतिक करियर दांव पर, अगर चुनाव हारते हैं तो राजनीतिक करियर हो सकता है समाप्त...

Haryana Election 2019

हरियाणा (Haryana) में 90 सीटों पर विधानसभा चुनाव जारी है. सुबह के घंटों में मतदान प्रक्रिया में गति धीमी रही लेकिन धीरे धीरे बढ़ती जा रही है. हरियाणा के सियासी रण में एक ओर कांग्रेस सत्ता वापसी की जद्दोजहद कर रही है, वहीं दूसरी ओर इस सियासी लड़ाई में कांग्रेसी दिग्गजों को घेरने के लिए बीजेपी ने बाकायदा चक्रव्यूह रचा है. चुनाव में पांच ऐसे हाई प्रोफाइल चेहरे ऐसे भी हैं जिनका राजनीतिक करियर इस चुनाव में दांव पर लगा है. अगर यहां वे चुनाव हारते हैं तो उनका राजनीतिक करियर समाप्त भी हो सकता है. ऐसे में मौजूदा चुनाव उनकी लिए करो या मरो जैसी स्थिति में है. आइए जानते हैं इन पांच हाई प्रोफोइल सीटों के बारे में …..

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भूपेंद्र सिंह हुड्डा – गढ़ी सांपला
हरियाणा (Haryana)के दो बार के मुख्यमंत्री रह चुके और कांग्रेस दिग्गज भूपेंद्र सिंह हुड्डा की रोहतक जिले की गढ़ी सांपला विधानसभा सीट प्रदेश की हाई प्रोफाइल सीटों में गिनी जाती है. हुड्डा के यहां से विधायक भी है. बीजेपी ने चुनावी मैदान में हुड्डा को चुनौती देने के लिए इनेलो छोड़कर पार्टी में आए सतीश नांदल को उतारा है. नांदल इस सीट पर हुड्डा के खिलाफ 2009 से लगातार चुनावी मैदान में उतर रहे हैं लेकिन अभी तक मात नहीं दे सके हैं. दोनों ही प्रतियोगी जाट समुदाय से आते हैं.

रणदीप सिंह सुरजेवाला – कैथल
कैथल विधानसभा सीट पर हैड्रिक जमाने उतरे कांग्रेस के प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला की ये सीट हरियाणा की दूसरी हाई ​प्रोफाइल सीट है. राहुल के राइट हैंड माने जाने वाले सुरजेवाला और उनके परिवार का लंबे समय से इस सीट पर कब्जा है. सीधे सीधे कहा जाए तो ये सीट कांग्रेस का गढ़ है. कैथल विधानसभा सीट पर अभी तक कुल 14 बार विधानसभा चुनाव हुए हैं जिनमें से 8 बार कांग्रेस ने जीत दर्ज की है. बीजेपी ने सुरजेवाला को उन्हीं के दुर्ग में घेरने के लिए साल 2000 में इनेलो की टिकट पर विधायक बने लीला राम पर दांव लगाया. जेजेपी ने खुराना गांव के मौजूदा सरपंच रामफल मलिक को मैदान में उतारकर कांग्रेस व भाजपा के समीकरण बिगाड़ने का काम किया है.

कुलदीप बिश्नोई – आदमपुर
हरियाणा (Haryana) की आदमपुर सीट भजनलाल परिवार की परंपरागत सीट है. यहां 1967 में हुए पहले चुनाव में हरि सिंह जीतकर विधानसभा पहुंचे थे. उसके बाद इस सीट पर आज तक भजनलाल परिवार का दबदबा है. इस बार भजनलाल के पुत्र और कांग्रेस प्रत्याशी कुलदीप बिश्नोई मैदान में हैं. बिश्नोई की मुश्किलें बीजेपी ने सेलिब्रेटी सोनाली फौगाट को उतारकर बढ़ा दी. ऐसे में मुकाबला रोचक हो चला है.

किरण चौधरी – तोशाम
भिवानी जिले की तोशाम विधानसभा सीट कांग्रेस की काफी महत्वपूर्ण सीटों में से एक है. पूर्व मुख्यमंत्री चौधरी बंसीलाल के गढ़ कहे जाने वाले तोशाम सीट का दायित्व इस बार किरण चौधरी के कंधों पर है जो वर्तमान विधायक भी हैं. तोशाम सीट पर कांग्रेस का 2000 से कब्जा है. किरण चौधरी 2005 से भी सीट पर विधायक रह चुकी हैं. किरण चौधरी को उन्हीं के गढ़ में घेरने के लिए बीजेपी ने शशि रंजन परमार और इनेलो ने कमला पर दांव खेला है.

चिरंजीवी राव – रेवाड़ी
रेवाड़ी विधानसभा क्षेत्र से लगातार छह बार जीत दर्ज करने वाले पूर्व मंत्री और कांग्रेस के दिग्गज कैप्टन अजय सिंह यादव के बेटे चिरंजीवी राव इस सीट से चुनावी मैदान में उतरे हैं. राव बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और आरजेडी के प्रमुख लालू प्रसाद यादव के दामाद हैं. 2014 में मोदी लहर में चुनाव हारने के बाद अजय सिंह ने इस बार अपने सुपुत्र को टिकट दिलाया. बीजेपी ने इस सीट पर अपने मौजूदा विधायक रणधीर सिंह का टिकट काटकर सुनील यादव पर दांव लगाया है.

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