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दिल्ली में मुख्यमंत्री VS उपराज्यपाल के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को सुनाया बड़ा फैसला, इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा- अधिकारियों की तैनाती और तबादले का अधिकार होना चाहिए दिल्ली सरकार को, यानी अब उपराज्यपाल नहीं मुख्यमंत्री ही दिल्ली का होगा असली बॉस, सुप्रीम कोर्ट ने कहा- चुनी हुई सरकार के पास प्रशासनिक सेवा का होना चाहिए अधिकार, उपराज्यपाल को सरकार की माननी होगी सलाह, वही सीजेआई ने कहा- यह सब जजों की सहमति से बहुमत का है फैसला, यह मामला सिर्फ सर्विसेज पर नियंत्रण का है, अधिकारियों की सेवाओं पर किसका अधिकार है?, CJI ने कहा- हमारे सामने सीमित मुद्दा यह है कि केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली में सेवाओं पर किसका नियंत्रण होगा? 2018 का फैसला इस मुद्दे पर स्पष्टता प्रदान करता है लेकिन केंद्र द्वारा उठाए गए तर्कों से निपटना है आवश्यक, अनुच्छेद 239AA व्यापक करता है सुरक्षा प्रदान, चीफ जस्टिस ने संवैधानिक बेंच का फैसला सुनाते हुए कहा कि दिल्ली सरकार की शक्तियों को सीमित करने को लिए केंद्र की दलीलों से जरूरी है निपटना, एनसीटीडी एक्ट का अनुच्छेद 239 aa काफी विस्तृत अधिकार करता है परिभाषित, 239aa विधानसभा की शक्तियों की भी समुचित व्याख्या करता है, इसमें तीन विषयों को सरकार के अधिकार क्षेत्र से बाहर रखा गया है

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