Politalks.News/Rajasthan. कोरोनाकाल में प्रदेश की जनता की सलामती के लिए अपनी जान जोखिम में डालकर सेवाकार्य में जुटी ब्यूरोक्रेसी को राजनेताओं के जबरदस्त दबाव का सामना करना पड़ रहा है. भीलवाड़ा जिले का ऐसा ही एक मामला कल से सुर्खियों में बना हुआ है. पूर्व मंत्री, मांडल से कांग्रेस विधायक के साथ भीलवाड़ा डेयरी के अध्यक्ष रामलाल जाट और हुरड़ा तहसीलदार स्वाति झा के बीच हुए एक विवाद के बाद प्रदेश के सियासी-प्रशासनिक हलकों में हलचल मची हुई है. तहसीलदार स्वाति झा ने विधायक रामलाल जाट पर धमकाने और गालियां देने का आरोप लगाया है. विधायक के धमकाने के दो वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं, जिसमें विधायक जाट तहसीलदार से अभद्रता कर रहे हैं. इस मामले में राजस्थान तहसीलदार सेवा परिषद रामलाल जाट के खिलाफ लामबंद हो गई है. RTS एसोसिएशन ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिख जाट के खिलाफ कार्रवाई की मांग भी की है.
आपको बता दें, कांग्रेस विधायक रामलाल जाट का विवादों से पुराना नाता रहा है. याद दिला दें, पारसी देवी आत्महत्या प्रकरण में उन्हें अपना मंत्री पद छोड़ना पड़ा था. कांग्रेस विधायक रामलाल जाट और हुडला तहसीलदार स्वाती झा के बीच हुई तकरार का 1 मिनट 48 सेकेंड और 9 मिनट 67 सेकेंड के दो वीडियो वायरल हो रहे हैं. जिसमें विधायक तहसीलदार को खेड़ा गांव में एक नामांतरण के मामले में भला बुरा कह रहे हैं. जबकि तहसीलदार बार-बार यह सफाई दे रही है कि इस मामले में न्यायालय से कोई स्थगन आदेश नहीं दिया है.
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वहीं भीलवाड़ा डेयरी अध्यक्ष और विधायक रामलाल जाट का आराेप है कि तहसीलदार जनता के काम नहीं करती हैं. जाट का तर्क है कि जनता के काम ताे बताने ही पड़ेंगे, लेकिन इसमें अभद्रता जैसा कुछ नहीं हुआ है. आपको बता दें, इस मामले में तहसीलदार झा काे राजस्व मंडल ने 21 मई काे एपीओ कर दिया था, लेकिन हाईकाेर्ट से स्टे मिलने पर उन्हाेंने बुधवार शाम काे हुरड़ा में कार्यभार संभाल लिया है. दाेनाें के बीच विवाद एक जमीन के नामांतरण मामले से जुड़ा है. बताया जाता है कि तहसीलदार के पास कुछ लाेग नकल लेने आ रहे थे, लेकिन उन्हें नकल नहीं मिली इसलिए यह विवाद हुआ है. हालांकि तहसीलदार ने कहा कि नकल में देरी का काेई मामला नहीं है.
मिली जानकारी के अनुसार, हुरड़ा तहसील कार्यालय में 21 मई काे बाेरखेड़ा के तीन लोग जिनमें गढ़वालाें का खेड़ा सरपंच हेमराज आदि लाेग नायब तहसीलदार के पास जमाबंदी की नकल लेने गए थे. तहसीलदार स्वाति झा वहां पहुंच गईं. तहसीलदार ने कहा कि अभी नकल नहीं मिल सकती क्याेंकि काेविड के कारण स्टाफ पूरा नहीं है. इस पर उन लाेगाें ने विधायक रामलाल जाट काे फाेन लगाकर तहसीलदार से बात करवाई. आरोप है कि फाेन पर अभद्रता हुई. इसके बाद विवाद बढ़ गया. यह घटना सुबह 11 बजे हुई और शाम करीब 4 बजे तहसीलदार झा एपीओ कर दी गईं. तत्काल बाद उन्हें रिलीव भी कर दिया.
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आरटीएस एसोसिएशन ने लिखा सीएम गहलोत को पत्र
गुरुवार काे राजस्थान तहसीलदार परिषद ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत काे निंदा प्रस्ताव भिजवाया. परिषद के कार्यकारी अध्यक्ष ऋषभ देव तहसीलदार विमलेंद्र राणावत ने आराेप लगाया कि विधायक का व्यवहार महिला अधिकारी काे धमकाने वाला, अभद्र व अमर्यादित था. आरटीएस एसोसिएशन ने चेतावनी दी कि विधायक पर कार्रवाई नहीं हुई ताे प्रशासनिक काम का बहिष्कार करेंगे.
तहसीलदार जहां भी रहीं विवादित ही रहीं- रामलाल जाट
वहीं इस पूरे मामले में कांग्रेस विधायक रामलाल जाट ने कहा कि, बाेरखेड़ा की लालीदेवी जमीन के नामांतरण के लिए परेशान हाे रही थीं. वहां के लाेगाें ने समस्या बताई. जन प्रतिनिधि हाेने के नाते उनकी समस्या सुनना हमारा फर्ज है. फाेन पर भी यही काम बताया है. अभद्रता जैसा कुछ नहीं है. ऐसा है ताे वे रिकाॅर्डिंग या कुछ तथ्य बताएं. वैसे भी, तहसीलदार झा जहां भी रहीं, विवादित ही रहीं. उनके खिलाफ बिजयनगर पुलिस थाने में दाे मामले भी दर्ज हैं. अब जनता के काम ताे करने ही पड़ेंगे. इसमें काेई राेड़े अटकाएगा ताे हम उन्हें काम करने के लिए भी कहेंगे
मेरे साथ अभद्रता हुई है, मेर खिलाफ कहां मामले दर्ज मुझे नहीं पता- स्वाति झा, तहसीलदार
तहसीलदार स्वाति झा ने कहा कि लालीदेवी एक बार भी मुझसे नहीं मिली, बस उनके तीन लड़के आ रहे थे, किसी जमीन की नकल के लिए. वे 18 मई काे मेरे पास आए थे. मैंने तीन दिन बाद बुलाया ताे 21 मई काे वापस आ गए. लेकिन कोविड की वजह से स्टाफ नहीं था, इसलिए कहा कि आज नकल नहीं मिल सकती. उन्हाेंने मेरी यह कहकर किसी व्यक्ति से बात कराई और कहा कि रामलाल जाट से बात कर लें. सामने माेबाइल पर काैन बात कर रहे थे यह ताे पता नहीं है लेकिन अभद्रता हुई है. म्यूटेशन खुलने में या और किसी काम में देरी नहीं हुर्ई. मेरे खिलाफ कहां मामले दर्ज हैं, यह मेरी जानकारी में नहीं है.
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दरअसल, बाेरखेड़ा गांव की विधवा लालीदेवी जाट ने वर्ष 2018 में तीन बीघा कृषि जमीन खरीदी थी. वर्ष 2021 तक इसका नामांतरण नहीं खुला. बताया गया है की लालीदेवी पचासाें बार तहसील के चक्कर काट चुकी हैं. लाली ने यह जमीन भीम सिंह से खरीदी लेकिन उनका निधन हो गया. बताया जाता है कि इस जमीन पर उनकी पत्नी बसन्त कंवर ने भी हक़ जताया. बसंत कंवर ने नामांतरण का आवेदन कर दिया. इस पर मामला कोर्ट में चला गया. आरोप है मामला विचाराधीन और यथस्थिति के आदेश के बावजूद बसन्त कंवर के पक्ष में नामांतरण खुल गया. अब इस जमीन की नकल मांगी जा रही थी लेकिन नहीं मिलने पर लाेगाें ने विधायक जाट की तहसीलदार झा से बात कराई थ, तब यह विवाद हाे गया. विवाद के बाद का एक वीडियो भी वायरल हो रहा है.