Politalks.News/Delhi. कांग्रेस से युवा नेताओं के जाने का सिलसिला जारी है, इसी कड़ी में आज महिला कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व सांसद सुष्मिता देव ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है. और ममता बनर्जी की TMC का दाम थाम लिया है. .इस्तीफा देने से पहले सुष्मिता ने अपने ट्विटर अकाउंट बायो बदल लिया था जिसके चलते कयास लगाए जा रहे थे कि वह जल्द ही कांग्रेस से किनारा कर सकती हैं. सुष्मिता देव राहुल गांधी के सबसे करीबी नेताओं में से एक थी. अब फिर से इस चर्चा ने जोर पकड़ लिया है क्या कांग्रेस एक डूबता हुआ जहाज है जिसे छोड़कर युवा नेता बेहतर भविष्य के लिए अलग रास्ता थाम रहे हैं? ऐसा क्या हो रहा है कि इन युवा नेताओं को कांग्रेस छोड़ने जैसा निर्णय लेना पड़ रहा है.
‘हाथ’ का साथ छोड़ TMC का थामा झंडा
कांग्रेस से इस्तीफ़ा देने के बाद सुष्मिता देव तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गई हैं. सुष्मिता देव टीएमसी नेता अभिषेक बनर्जी और डेरेक ओ ब्रायन की मौजूदगी में पार्टी में शामिल हुईं. सुष्मिता देव और टीएमसी नेता अभिषेक बनर्जी की मुलाकात कोलकाता के कैमाक स्ट्रीट में बनर्जी के कार्यालय में हुई. पॉलिटॉक्स ने सुबह ही बता दिया था कि सुष्मिता देव ममता बनर्जी के संपर्क में हैं और किसी भी समय पार्टी जॉइन कर सकती हैं.
कौन हैं सुष्मिता देव ?
पहले हम आपको बताते कौन हैं सुष्मिता देव, अखिल भारतीय महिला कांग्रेस की अध्यक्ष थीं, 25 सितंबर, 1972 को असम के सिलचर में जन्मीं सुष्मिता देव सात बार सांसद रहे संतोष मोहन देव और बिथिका देव की बेटी हैं. सिलचर से लोकसभा सदस्य बनने से पहले वह कांग्रेस से उसी जगह से विधानसभा की सदस्य भी रह चुकी हैं. सुष्मिता देव असम की बराक वैली से ताल्लुक रखती हैं और उन्हें असम की बंगाली बोलने वाली बराक इलाके का प्रमुख चेहरा माना जाता था. उनके पिता असम के दिग्गज का कांग्रेसी थे और उन्हें असम का प्रभावी बंगाली नेता माना जाता था. सुष्मिता देव ने सिलचर को ही अपनी कर्मभूमि बनाया, जिसे कि उनके पिता का गढ़ माना जाता था.
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क्यों छोड़ी है सुष्मिता देव ने कांग्रेस
सुष्मिता देव ने कांग्रेस के साथ अपने लंबे सफर के लिए पार्टी औऱ साथी कार्यकर्ताओं को धन्यवाद दिया है. सोनिया गांधी को लिखे पत्र में देव ने अपने आगे का समय जनकल्याण के लिए देने की बात कही है. मतलब बेहतर भविष्य के लिए कांग्रेस छोड़ने की बात स्वीकारी है. लेकिन सूत्रों का दावा है कि सुष्मिता देव ने अपनी बात नहीं सुनी जाने पर कांग्रेस का हाथ छोड़ा है. NRC और CAA के बाद असम में कांग्रेस की स्थिति ठीकठाक नहीं है. ये बात सुष्मिता कांग्रेस आलाकमान को बता चुकी थी. ये भी सामने आ रहा है कि असम के मुख्यमंत्री हेमंत बिस्वा की वे करीबी हैं और उन्होने असम चुनाव से पहले राहुल गांधी से कहा था कि हेमंत बिस्वा के कांग्रेस में घर वापसी के प्रयास होने चाहिए. लेकिन उनकी नहीं सुनी गई और नतीजा वहीं रहा असम में कांग्रेस की हार हुई औऱ हेमंत बिस्वा भाजपा की ओर से असम के मुख्यमंत्री बन गए हैं. असम विधानसभा चुनाव में महागठबंधन को मिली हार के बाद से ही पार्टी में उठापटक का दौर चल रहा था. बीजेपी को दोबारा सत्ता में आने से रोकने के लिए कांग्रेस का गठबंधन फार्मूला फेल हो गया था. इस महागठबंधन में सुष्मिता देव की अहम भूमिका रही थी. इसके बाद से ही माना जा रहा था कि सुष्मिता देव कांग्रेस को अलविदा कह सकती हैं.
‘युवा चले जाते हैं तो बूढ़ों को दोषी ठहराया जाता है’- सिब्बल
कांग्रेस की अंतर्कलह पर G-23 ग्रुप के नेता कपिल सिब्बल ने तंज कसते हुए कहा है कि, ‘अंतरकर्लह से जूझ रही कांग्रेस पार्टी के नेताओं का दर्द सुष्मिता देव के इस्तीफे के साथ बाहर आ गया’. कांग्रेस के कपिल सिब्बल ने इस मामले का जिक्र करते हुए अपने ट्विटर अकाउंट पर लिखा कि, ‘जब युवा नेता पार्टी छोड़कर जाते हैं तो इसका आरोप पार्टी के पुराने और ‘बुजुर्ग’ नेताओं पर लगता है’. सिब्बल ने दावा किया कि, ‘पार्टी आगे बढ़ती रहती है, आंखें बंद किए’.
‘पार्टी को मंथन की जरूरत क्यों जा रहे हैं यंग गन’- कार्ति
वहीं इन दिनों पार्टी से नाराज चल रहे पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम ने इस पर ट्वीट करते लिए लिखा कि, ‘पार्टी को इस पर मंथन करने की जरूरत है कि आखिर सुष्मिता देव जैसे यंग नेता क्यों पार्टी छोड़ रहे हैं, आपको बताते चलें कि पिछले कुछ महिनों में कांग्रेस के कई युवा नेता पार्टी छोड़कर दूसरे दलों में शामिल हो चुके हैं. इनमें राहुल गांधी के करीबी रहे ज्य़ोतिरादित्य सिंधिया और जितिन प्रसाद शामिल हैं.
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संवादहीनता के दौर में सुरक्षित भविष्य की तलाश में यंग गन!
अब सवाल ये उठता है कि ऐसा हो क्यों रहा है कि पिछले दो साल में बेहतर भविष्य और संवादहीनता का आरोप लगाते हुए राहुल की टीम के सदस्यों ने कांग्रेस का हाथ छोड़ा है. ज्योतिरादित्य सिंधिया, खुशबू सुंदर, जितिन प्रसाद के बाद अब सुष्मिता देव. ऐसा परसेप्शन बन रहा है कि युवा नेताओं का कांग्रेस में कोई भविष्य नहीं है और संवादहीतना की स्थिति के चलते ये सभी अपना भविष्य सुरक्षित करते हुए कांग्रेस से किनारा कर रहे हैं. एक राजनीतिक जानकार ने टिप्पणी की है कि अब कांग्रेस के पास युवा चेहरों के नाम पर केवल सचिन पायलट, दीपेन्द्र हुड्डा, मिलिंद देवड़ा ही बचे हैं ये तीनों भी अपनी-अपनी नाराजगी जाहिर तो कर ही चुके हैं. अब भविष्य में क्या होता है ये तो समय ही बताएगा.
अपनों को डिनर कब देगा कांग्रेस आलाकमान!
एक अन्य राजनीतिक जानकार का कहना है कि, ‘सोनिया गांधी और राहुल गांधी विपक्ष के नेताओं को डिनर देने की तैयारी कर रही हैं. जबकि उन्हें अपनी पार्टी के नेताओं को बैठाकर बातचीत करनी चाहिए और रोडमैप बताते हुए विश्वास दिलाना होगा की उनका भविष्य कांग्रेस में सुरक्षित है. देश के युवाओं में परसेप्शन बन रहा है कि युवा नेता कांग्रेस को छोड़ रहे हैं क्योंकि वो एक डूबता जहाज है. कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी तो संवाद की बजाय ये तक कह चुके हैं. जो मोदी और संघ के डरते हैं वो कांग्रेस छोड़कर जा सकते हैं. नहीं रोकने की वाली इस नीति के चलते एक के बाद एक कांग्रेसी नेता कांग्रेस को छोड़ रहे हैं. अगर आपने संवाद नहीं किया तो आप किसी भी प्रशांत किशोर को लेकर आ जाइये ये सिलसिला रुकने वाला नहीं है’.