पॉलिटॉक्स ब्यूरो. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के सीजेआई रंजन गोगोई (CJI Ranjan Gogoi) की अध्यक्षता में गुरुवार को तीन बड़े फैसले आये. इनमें सबसे बड़ा निर्णय रहा राफेल मामला. राफेल विमान सौदे पर सुप्रीम कोर्ट ने आज पुनर्विचार याचिका पर निर्णय सुनाते हुए याचिका को खारिज कर दिया. सर्वोच्य न्यायालय की तीन जजों की बैंच ने मामले को क्लिन चीट देते हुए कहा कि विमान सौदे में एफआईआर और जांच की कोई जरूरत नहीं है. कोर्ट ने ये भी कहा कि अगर कोई जांच एजेंसी इस मामले में जांच करना चाहे तो कर सकती है. इस मामले के रद्द होते ही ‘चौकीदार चोर है’ के नारे को भी विराम लग गया है. हालांकि कांग्रेस नेता अभी भी इस फैसले को स्वीकार करने में सहज नहीं हो पा रहे हैं.
बता दें, केंद्र सरकार द्वारा फ्रांस के साथ किए गए लडाकू विमान ‘राफेल खरीद समझौते’ पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए गए थे, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में याचिका दायर की गई थी. इस मामले की जांच, खरीदने की प्रक्रिया, PMO के दखल पर सवाल खड़े किए गए थे. इस मामले को कांग्रेस के आला नेताओं ने लोकसभा चुनाव में भुनाने की कोशिश भी की थी. इसके बाद पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा, अरुण शौरी और वकील प्रशांत भूषण ने सर्वोच्च अदालत में पुनर्विचार याचिका दायर की थी.
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वहीं सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने आज के दूसरे दूसरे बड़े ‘सबरीमाला’ मामले में भी एक बड़ा लेकिन अधूरा फैसला सुनाते हुए सबरीमामला मामले को 7 जजों की उच्च बैंच को रैफर कर दिया. 3:2 के रेशो से यह फैसला सुनाया गया. दरअसल इस मामले में भगवान अयप्पा के मंदिर में 10 से 50 साल की महिलाओं के प्रवेश पर रोक को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गयी थी. यह उनके मासिक धर्म के चलते था. इससे पहले सितम्बर, 2018 में हाई कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा था कि किसी भी महिला को मंदिर में प्रवेश करने से रोका नहीं जा सकता. उसके बाद 10 से 50 साल की महिलाओं को मंदिर में एंट्री करने की अनुमति मिल गयी. इसके बाद अदालत में 56 पुनर्विचार याचिका, 4 नई याचिका और 5 ट्रांसफर याचिका सहित कुल 65 याचिकाओं पर निर्णय सुनाते हुए 5 जजों ने बैंच ने मामले को 7 जजों की बैंच के पास रैफर कर दिया. इस मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस आर.एफ नरीमन, जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस इंदु मल्होत्रा ने की. इससे पहले पीठ ने 6 फरवरी को अपने फैसले को सुरक्षित रख लिया था. नया फैसला आने तक हाई कोर्ट का फैसला यथावत होगा और मंदिर में सभी उम्र की बालिकाओं और महिलाओं का प्रवेश वैध रहेगा.
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) का आज का तीसरा बड़ा फैसला राहुल गांधी पर था. कोर्ट की रोक के बाद एक चुनावी सभा में राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए चौकीदार चोर है का नारा लगवाया. एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में भी उन्होंने इस बात को दोहराया था कि आखिर कोर्ट ने मान ही लिया कि चौकीदार चोर है. इस मामले में भाजपा नेता मिनाक्षी लेखी ने सुप्रीम कोर्ट में कोर्ट की अवमानना का मामला दाखिल किया. हालांकि राहुल गांधी ने इस मामले में बिना शर्त माफी मांग ली थी लेकिन लेखी का कहना था कि मामले को बिना कोई एक्शन लिए छोड़ा नहीं जाने देना चाहिए. आज सर्वोच्य न्यायालय के जस्टिस संजय किशन कौल ने कहा कि राहुल गांधी पर अवमानना का केस नहीं चलाया जाएगा. कोर्ट ने कहा कि राहुल गांधी का बयान दुर्भाग्यपूर्ण है और उन्हें आगे के लिए ऐसे बयान न देने की हिदायत दी गयी है लेकिन एक्शन नहीं लिया.
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बता दें, हाल में सुप्रीम कोर्ट ने 9 नवंबर को अयोध्या मामले में एतिहासिक फैसला सुनाते हुए विवादित जमीन को रामलला न्यास को सुपुर्द करने और मस्जिद के लिए अन्यत्र 5 एकत्र जमीन देने का निर्णय दिया. इसके बाद बुधवार को सीजेआई दफ्तर को कुछ शर्तों के साथ आरटीआई के दायरे में लाने का फैसला सुनाया गया. इसके बाद सीजेआई रंजन गोगोई के ये तीन प्रमुख मामलों पर निर्णय आना था. गोगोई 17 नवंबर को सीजेआई पद से रिटायर हो रहे हैं. उससे पहले इन सभी फैसलों पर देशभर की निगाहें गढ़ी हुई थी. जस्टिस बोबड़े सुप्रीम कोर्ट के नए चीफ जस्टिस की शपथ ग्रहण करेंगे.