पॉलिटॉक्स न्यूज. लॉकडाउन में ट्रेनों से अपने घर लौट रहे प्रवासी मजदूरों पर सुप्रीम कोर्ट का एक बड़ा फैसला आया है. सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि सरकार मजदूरों से ट्रेनों का किराया नहीं वसूल सकती. सरकार को मजदूरों का ध्यान रखना पड़ेगा और सरकार ही मजदूरों का पूरा किराया वहन करेगी और रेल मंत्रालय को किराए का भुगतान करेगी. साथ ही राज्य सरकारों को फंसे हुए मजदूरों को खाना और राशन की व्यवस्था करने का निर्देश मिला है. साथ ही सभी राज्यों को अपने-अपने यहां प्रवासी और पलायन कर रहे लोगों के लिए किए गए इंतजाम पर रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है. वहीं कोर्ट रूम में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और वकील कपिल सिब्बल में तीखी बहस देखने को मिली.
दरअसल, कोर्ट रूम में जब सुनवाई के दौरान कपिल सिब्बल बोलने के लिए खड़े हुए और कोरोना संकट को एक मानवीय त्रासदी बताया. इस पर सॉलिसिटर जनरल ने विरोध जताया. सरकार की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कपिल सिब्बल से सवाल किया कि आपने इस संकट में क्या मदद की? जिस पर कपिल सिब्बल की ओर से जवाब दिया गया ‘चार करोड़, यही मेरा सहयोग है’.
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बहस तेज होती देख सुप्रीम कोर्ट ने सिब्बल से पूछा कि आप किसकी ओर से पेश हो रहे हैं? इस पर सिब्बल ने कहा कि वे सर्व हर जन आंदोलन, दिल्ली श्रमिक संगठन की ओर से आए हैं. सिब्बल ने अपनी दलील में बताया कि 1991 के आंकड़ों के अनुसार, देश में 3 करोड़ प्रवासी मजदूर हैं. अब ये संख्या बढ़कर 4 करोड़ के आसपास होगी लेकिन सरकार कह रही है सिर्फ 91 लाख को घर पहुंचाया है. अब बाकी लोगों का क्या हुआ, या वे कहां गए? इस पर एसजी ने कहा कि इसको लेकर एक राष्ट्रीय प्लान पर काम हो रहा है.
अपनी दलील में कपिल सिब्बल ने कहा कि आपने अपने हलफनामे में किसी राष्ट्रीय या राज्य स्तर के प्लान का जिक्र नहीं किया है. मेरी मांग है कि इससे ज्यादा ट्रेनें चलनी चाहिए. अगर कोई मजदूर रजिस्टर करना चाहे तो कैसे करे, अगर किसी को हिन्दी या दूसरी भाषा बोलनी ना आती हो तो क्या होगा? सिर्फ दाल देने से क्या होगा, वो पकाएंगे कैसे?
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सुनवाई पूरी करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला देते हुए गरीब मजदूरों से किराया न वसूले जाने का आदेश दिया. साथ ही राज्य सरकारों को मजदूरों का पूरा ध्यान रखने, खाने पीने की व्यवस्था करने और अन्य सुविधाएं मुहैया कराने के निर्देश दिए.
गौरतलब है कि प्रवासी मजदूरों को लेकर हुई सुनवाई में सरकार की ओर से अदालत में कहा गया कि केंद्र सरकार द्वारा अब तक 3700 ट्रेन चलाई गई हैं, जिनमें 91 लाख मजदूर वापस भेजे जा चुके हैं. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों को अपने-अपने यहां प्रवासी और पलायन कर रहे लोगों के लिए किए गए इंतजाम पर रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है.