सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार के बुलडोज़र एक्शन पर गंभीर आपत्ति जताई है। मॉरीशस में आयोजित सर मॉरिस रॉल्ट मेमोरियल लेक्चर 2025 में बोलते हुए मुख्य न्यायाधीश (CJI) बीआर गवई ने कहा कि कानून के दायरे से बाहर किसी भी तरह की कार्रवाई स्वीकार्य नहीं है। सीजेआई की इस टिप्पणी से योगी सरकार सकते में आ गई है, क्योंकि लंबे समय से अवैध अतिक्रमण और आपराधिक प्रवृत्ति के लोगों पर बुलडोज़र चलाने की कार्रवाई राज्य सरकार की पहचान बन गई है।
गवई ने कहा कि भारतीय न्याय व्यवस्था रूल ऑफ लॉ यानी (कानून के शासन) से चलती है, इसमें बुलडोजर एक्शन की जगह नहीं है. बुलडोजर एक्शन का मतलब कानून तोड़ना है. यानी किसी आरोपी के खिलाफ बुलडोजर चलाना कानून की प्रक्रिया को तोड़ना है. उन्होंने कहा कि सरकार एक साथ जज, जूरी और जल्लाद नहीं बन सकती. बुलडोजर शासन संविधान के अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के संरक्षण के अधिकार) का उल्लंघन है.
लोकतंत्र में केवल कानून का राज
CJI गवई ने कहा कि भारत में रूल ऑफ लॉ केवल नियमों का सेट नहीं है, बल्कि यह नैतिक और सामाजिक ढांचा है, जो समानता, गरिमा और सुशासन सुनिश्चित करता है. उन्होंने महात्मा गांधी और डॉ. भीमराव अंबेडकर के योगदान का हवाला देते हुए कहा कि उनका दृष्टिकोण बताता है कि लोकतंत्र में कानून का राज ही समाज को न्याय और जवाबदेही की ओर ले जाता है.
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चीफ जस्टिस ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने समय समय पर अपने कई अहम फैसलों से रूल ऑफ लॉ को मजबूत किया है. तीन तलाक खत्म करने, व्यभिचार कानून को निरस्त करने, चुनावी बॉन्ड स्कीम और निजता को मौलिक अधिकार मानने जैसे फैसलों ने दिखाया कि अदालत ने रूल ऑफ लॉ को एक ठोस सिद्धांत बनाया है, जिससे मनमाने और अन्यायपूर्ण कानून खत्म किए गए.
पिछले साल लिया बुलडोजर एक्शन पर फैसला
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने नवंबर 2024 में बुलडोजर एक्शन पर फैसला सुनाया था. कोर्ट ने कहा था कि अफसर जज नहीं बन सकते. वे तय न करें कि दोषी कौन है. बेंच ने ये भी कहा था कि 15 दिन के शॉ-कोज नोटिस के बगैर निर्माण गिराया तो अफसर के खर्च पर दोबारा बनाना पड़ेगा. अदालत ने 15 गाइडलाइंस भी दीं थीं. इसमें कहा गया है कि अगर प्रॉपर्टी मालिक की ओर से ऑर्डर पर स्टे नहीं लिया जाता है तो बुलडोजर एक्शन लिया जा सकता है. अगर प्रोसेस की गाइडलाइन में चूक हुई तो कोर्ट की अवमानना का केस चलाया जाएगा. देखा जाए तो देश में बुलडोजर एक्शन की शुरूआत योगी सरकार द्वारा ही की गयी थी. सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद अब योगी सरकार किस तरह का नया एक्शन प्लान लाती है, ये देखने वाली बात होगी.



























